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हज सब्सिडी छलावा या हकीकत

मो हफीज
17 Jan 2018 9:47 PM IST
हज सब्सिडी छलावा या हकीकत
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जिससे निश्चित रूप से किराया कम हो जाएगा,वैसे भी हज पर सब्सिडी देना इस्लाम के हिसाब से ठीक नहीं है, कर्ज या दान लेकर हज यात्रा करना, किसी मुसलमान के लिए जायज नहीं है,
दरअसल हज सब्सिडी एक खूबसूरत छलावा है। जिसकी हकीकत कम ही लोगों को पता है। हज कमेटी कि और से जाने वाले हाजियों को एयर इंडिया या सऊदी अरब कि एयरलाइंस से जाना पड़ता था। मक्का में कोई हवाई अड्डा नहीं है जिसके कारण सब हाजी जद्दा जाते है।इन दिनो मे भारत से विभिन्न जगहों से आने-जाने की टिकट की दर को सामान्य से तीन गुना ज्यादा महँगा कर दी जाती है। इसे कोई समझ नहीं पाता है।

जबकि हज कि फ्लाइट मे जद्दा मे बहुत मामूली दर पर ईंधन भरा जाता है। इस रियायत के बावजूद अगर कोई व्यक्ति जद्दा घूमने जा रहा है और दुसरा हज के इरादे से जा रहा है तो दोनों का किराया अलग होगा। और सारे लोग हज कमेटी के जरीए ही यात्रा पर नहीं जाते है। पिछले साल 1.70 लाख यात्रियों मे से सवा लाख ही कमेटी के जरिए गए थे। बाकि प्राइवेट टूर ऑपरेटर्स के जरिये गये थे और इनको किसी तरह की सब्सिडी भी नहीं मिलती है इसके बावजूद इनको किसी तरह का घाटा नहीं होता हैं।

हकीकत तो यह है कि ये सब ग्रुप में बुकिंग कराते हैं, जिससे टिकट की कीमत और कम हो जाती है. इसके अलावा, रहने-खाने और वहां यात्रा की भी व्यवस्था सामूहिक रूप से की जाती है.सब्सिडी का पैसा सरकार चाहे जिस भी क्षेत्र में लगाए, लेकिन इसके खत्म होने के साथ ही सेंट्रल हज कमेटी को हज यात्रा के लिए अंतरराष्ट्रीय टेंडर निकालना चाहिए. इसका ठेका उसी विमान सेवा को दी जानी चाहिए जो सबसे कम किराये पर यात्रियों को ले जाने-लाने के लिए तैयार हो.

जिससे निश्चित रूप से किराया कम हो जाएगा,वैसे भी हज पर सब्सिडी देना इस्लाम के हिसाब से ठीक नहीं है, कर्ज या दान लेकर हज यात्रा करना, किसी मुसलमान के लिए जायज नहीं है, सब्सिडी से किया गया हज तो किसी भी मुसलमान के लिए बिलकुल भी जायज नहीं है,सही हुआ सरकार ने सब्सिडी बंद करदी जिससे लोगों को पता तो चलेगा कि सब्सिडी के नाम पर किस तरह मुसलमानों को राजनीति कि फुटबॉल बनाया जाता है।

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