जयपुर

खड़गे साहब सावधान ! गहलोत आ रहे है दिल्ली, राजस्थान के सत्यानाश के बाद अब दिल्ली की बारी

महेश झालानी
6 Dec 2023 12:28 PM GMT
खड़गे साहब सावधान ! गहलोत आ रहे है दिल्ली, राजस्थान के सत्यानाश के बाद अब दिल्ली की बारी
x
Kharge Saheb be careful! Gehlot is coming to Delhi, after the annihilation of Rajasthan, now it is Delhi's turn.

राजस्थान में राजस्थान में भट्टी बुझने के बाद अशोक गहलोत की नजर अब मल्लिकार्जुन खड़गे की कुर्सी पर है । गहलोत इस कुर्सी को हथियाना चाहते है । उनकी इच्छा है कि अब वे राजनीतिक सलाहकार बनकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को "ठिकाने" लगा सकते है । इसी योजना पर गहलोत ने योजना बनाना प्रारम्भ कर दिया है ।

सभी जानते है कि गहलोत को बेरोजगार रहना बिल्कुल पसंद नही है । वे जब राजस्थान में फ्लॉप हो जाते है तो दिल्ली चले जाते है और जब दिल्ली में उनकी कोई पूछ नही रहती है तो वे वापिस राजस्थान लौट आते है । चुनावो में शर्मनाक पराजय के बाद वे चाहते है कि दिल्ली जाकर खड़गे को धकियाकर पावर अपने हाथ मे ली जाए ।

मासूम से दिखने वाले अशोक गहलोत नम्बर एक के धूर्त व्यक्ति है । अपने प्रतिद्वंदियों को ठिकाने लगाना उनको बखूबी आता है । उन्होंने महसूस कर लिया है अगले पांच साल तक राजस्थान में उनके लिए कोई स्कोप नही है । इसलिए वे खड़गे को अपदस्थ कर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के समकक्ष कोई पद तलाश कर उस पर काबिज होने के ख्वाहिशमंद है । उनकी सोच है कि अहमद पटेल की तरह खड़गे या सोनिया गांधी के सलाहकार बनकर वे देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर भी काबिज हो सकते है ।

यद्द्पि दिल्ली में अब गहलोत का पहले जैसा दबदबा नही रहा है । लेकिन वे चिलम भरने में सिद्धहस्त है । अपनी चिकनी चुपड़ी बातो से वे फिर गांधी परिवार को बरगलाकर अपने लिए उपयुक्त कुर्सी तलाशने का "जादू" इन्हें आता है । वैसे भी तीन राज्यो में कांग्रेस की पराजय के बाद खड़गे किसी को मुँह दिखाने के काबिल नही रहे है । ऐसे में गहलोत के लिए दिल्ली दरबार मे घुसपैठ करना इतना कठिन नही है ।

गहलोत कई बार सार्वजनिक रूप से घोषणा कर चुके थे कि कुर्सी उन्हें छोड़ती नही है । लेकिन कुर्सी ने ऐसी लात मारी कि बेचारे अब तक सदमे में है । भले ही वे योजना कुछ भी बना ले । लेकिन आने वाला वक्त गहलोत के लिए बहुत ही कष्टकारी साबित होने वाला है । यह सिद्ध हो चुका है कि वे बहुत बड़ी पनौती है और उनके जादू की भी पोल खुल चुकी है । अब भीड़ का सारा बहाव गहलोत के बजाय पायलट की ओर जाने वाला है । गहलोत के बारे में उनके समर्थक ही यह कहने लगे है कि यह व्यक्ति जिसके कंधे पर हाथ रख देगा, उसका राजनीतिक भविष्य चौपट होना सुनिश्चित है ।

जैसा कि मैं पहले लिख चुका हूँ कि गहलोत को पहली दफा सचिन पायलट ने चुनोती दी थी । भले ही पायलट सीएम बनने में कामयाब नही हुए हो, लेकिन पांच साल तक सचिन ने गहलोत की नींद उड़ाए रखी । कभी चैन से सोने नही दिया । सीएमआर के लोग बताते है कि ख्वाब में भी गहलोत को सचिन पायलट और गजेन्द्रसिंह शेखावत नजर आते थे । इनकी वजह से कई बार नींद भी टूट जाती थी और दोनों को गरियाने लगते थे ।

गजेंद्रसिंह शेखावत वह व्यक्ति है जिसने जोधपुर में गहलोत की प्रतिष्ठा का जनाजा निकाल दिया था । करोड़ो रूपये स्वाहा करने और सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने के बाद भी गहलोत अपने इकलौते और लाड़ले बेटे वैभव को जीत नही दिला पाए । गजेंद्र सिंह ने वैभव को पौने तीन लाख वोट से बुरी तरह पराजित किया । किसी भी विधानसभा क्षेत्र में वैभव को बढ़त नही मिली ।

इसी हार के मद्देनजर गहलोत ने वैभव को विधानसभा चुनावों में नही उतारा । गहलोत बखूबी जानते थे कि उनके बेटे में चुनाव जीतने के बिल्कुल भी लक्खन नही है । आरसीए का चुनाव वैभव कैसा जीता, जनता बखूबी जानती है । इस जीत के लिए सीपी जोशी ने भरपूर मुआवजा हासिल किया । बताया जाता है कि वैभव की शर्मनाक पराजय के बाद गहलोत ने जोधपुर की जनता को खूब गालिया निकाली और तीन साल तक वे जयपुर नही गए ।

शेष फिर कभी..........

Next Story