
पार्टी में जारी कलह या शीर्ष नेतृत्व की नाराजगी, वसुंधरा राजे के लिए क्या पड़ा भारी?

राजस्थान उपचुनावों में भारतीय जनता पार्टी और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को बड़ा झटका लगा है. अजमेर लोकसभा, अलवर लोकसभा और मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज कर ली है. तीनों उप चुनाव के परिणाम कांग्रेस के पक्ष में चले गये.
अजमेर में 8 विधनसभा तो अलवर में 11 विधानसभा सीटें हैं, और मांडलगढ़ को मिलकर इसे 20 विधानसभा सीटों पर चुनाव के नज़रिये से देखा जा रहा था. अजमेर नॉर्थ और अजमेर साउथ सीट से वसुंधरा सरकार के दो मंत्री वासुदेव देवनानी और अनीता भदेल विधायक हैं, लेकिन फिर भी यहां कांग्रेस को भारी समर्थन मिला. जानकारों के मुताबिक शीर्ष नेतृत्व से मनमुटाव भी वसुंधरा को भारी पड़ा है.
सरकार में मिनिस्टर राजकुमार रिणवां ने नाराज़गी जाहिर करते हुए पहले ही कह दिया था कि इस फालतू की बयानबाजी के चलते अगर हम हार जाएं तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. उधर विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने भी बागी सुर अपनाते हुए यहां तक कह दिया कि उन्हें वसुंधरा का नेतृत्व स्वीकार नहीं है. तिवाड़ी ने अपनी ही सरकार से रिफाइनरी पर श्वेत पत्र तक मांग लिया.
मामला तब और बिगड़ गया जब सरकार भ्रष्ट लोकसेवकों को बचाने के लिए कानून लेकर आ गई. इसे काला कानून कहा गया क्योंकि ये आरोपी लोकसेवकों को तो बचा ही रहा था, न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर भी प्रतिबंध लगा रहा था. मामला बढ़ने पर इस प्रस्ताव को सेलेक्ट कमेटी को सौंपकर मामला रफा-दफा किया गया.