जयपुर

राजस्थान मंत्रीमंडल विस्तार: सपना मेरा टूट गया रे..... !

महेश झालानी
6 Aug 2021 11:25 PM IST
राजस्थान मंत्रीमंडल विस्तार: सपना मेरा टूट गया रे..... !
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वही हुआ जो अशोक गहलोत ने सोच रखा था । न तो गहलोत को मंत्रीमंडल का पुनर्गठन करना था और न ही उन्होंने किया । आलाकमान द्वारा दिये निर्देश के बाद भी गहलोत ने सचिन पायलट गुट को अंगूठा दिखाकर जोर का झटका जोर से दिया है ।

जैसा मैंने लिखा था कि यदि 5 अगस्त तक मंन्त्रिमण्डल का विस्तार या पुनर्गठन नही हुआ तो यह कार्यक्रम दीपावली के आसपास तक खिंच सकता है । वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए यही लगता है कि गहलोत इस साल को भी पार कर सकते है । जो व्यक्ति आलाकमान के प्रस्ताव को अस्वीकार कर सकता है, वह अजय माकन, केसी वेणुगोपाल, शैलजा या डीके शिवकुमार को भाव देगा, समझ से परे है ।

सचिन पायलट की ताजा दिल्ली यात्रा के बाद उनके समर्थक पूरी उम्मीद लगाए बैठे थे कि इस दफा पिटारे में अवश्य ही कुछ होगा । लेकिन हर बार की तरह पिटारा पूरी तरह खाली था । आलाकमान की अनदेखी से पायलट अब पूरी तरह टूट चुके है । उनका सब्र कभी भी खण्डित हो सकता है । चूंकि उनके पास कोई विकल्प नही है, इसलिए जहर का घूंट तब तक पीना पड़ेगा, जब तक अशोक गहलोत उन पर मेहरबानी नही करते ।

पिछले साल पायलट ने दौड़ाकर दौड़ाकर गहलोत को नाको चने चबवाए थे । पायलट की वजह से गहलोत को अपने समर्थकों के साथ कभी कूकस तो कभी मेरियट में शरण लेनी पड़ी । अंत मे जाना पड़ा जैसलमेर ताकि कोई विधायक रस्सी तोड़कर भाग नही जाए ।

जैसे ही पायलट कई दिनों की यात्रा के बाद जयपुर लोटे, उनके समर्थकों के चेहरे खिल उठे । पूरी उम्मीद थी कि पायलट अपने साथ मंत्रियों की सूची के साथ साथ वित्त, गृह, परिवहन, पीडब्लूडी तथा नगरीय विकास जैसे विभाग अपनी जेब मे लाए है । इस उम्मीद में पायलट के घर मेला लगने लगा । जब पता लगा कि इस दफा भी दिल्ली की खाक छानने के अलावा कुछ हासिल नही हुआ तो समर्थक विधायकों का अवसादग्रस्त होना स्वाभाविक था ।

मैंने पहले भी लिखा था, आज पुनः लिख रहा हूँ कि पायलट को अपना स्वाभिमान और इज्जत बचानी है तो दिल्ली में नेताओं की चौखट पर हाजिरी देना बंद करना चाहिए । गहलोत ने उनका राजनीतिक कैरियर तबाह करने की प्रतिज्ञा ले रखी है । पहले पायलट ने गहलोत को परेशान किया । अब बारी गहलोत की है । हर बॉल में पायलट क्लीन बोल्ड हो रहे है । खुद का नही, अपने समर्थक विधायको के भविष्य का ख्याल पायलट को रखना चाहिए ।

झुनझुना थमाने के अलावा गहलोत कुछ दे देंगे, यह मुगालता पालना बेवकूफी के अतिरिक्त कुछ नही है । अमरिंदर सिंह की तरह न तो गहलोत कमजोर है और न ही नवजोतसिंह सिद्धू की तरह पायलट प्रभावशाली । आलाकमान उन्हें हर बार गोली दे रहा है । अगर पायलट नही समझते है तो इसमें आलाकमान का कोई कसूर नही है । कहावत है पागलपन का इलाज हो सकता है, बेवकूफी का नही । पायलट का भविष्य फिलहाल अंधकारमय है । दिशा कोई सूझ नही रही है । ऐसे में फिर मानेसर जैसी बेवकूफी नही कर बैठे, यह बहुत बड़ा खतरा है ।

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