जयपुर

Rajasthan Rajya Sabha Elections latest update : जबरन थोपे रामू काकाओं को भगाने पर ही बच सकती है पवित्र राजस्थान की इज्जत

महेश झालानी
5 Jun 2022 11:39 AM GMT
Rajasthan Rajya Sabha Elections latest update : जबरन थोपे रामू काकाओं को भगाने पर ही बच सकती है पवित्र राजस्थान की इज्जत
x

Rajasthan Rajya Sabha Elections latest update:जैसे किरायेदार मकान खाली करते वक्त मकान का कबाड़ा कर देता है, ठीक उसी तर्ज पर माननीय अशोक गहलोत जी कांग्रेस की दुर्गति करने पर आमादा है । वे भलीभांति जानते है कि अगली बार लाख कोशिश के बाद भी कांग्रेस सत्ता पर काबिज नही होगी । इसलिए वे खुद भी ऐसे प्रयास कर रहे है ताकि वे अपना रिकार्ड खुद ही तोड़ सके । अब तक प्रदेश में न्यूनतम 21 सीट का रिकार्ड रहा है । इस दफा यह लक्ष्य 11 का है ।

आज प्रदेश पेयजल, महंगाई, भ्रस्टाचार और अफसरों की तानाशाही से जूझ रहा है । बावजूद इसके संवेदनशील मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी बचाने की खातिर विधायकों को पांच सितारा होटल में अय्याशी कराने में व्यस्त है । पूरी सरकार और नौकरशाही विधायको की खातिरदारी में जुटी हुई है । मुख्यमंत्री भलीभांति जानते है कि यदि राज्यसभा में तीन प्रत्याशियों में से एक भी उम्मीदवार हार गया तो उनकी कुर्सी जाना तय है ।

अशोक गहलोत ख्वाहिशमंद है कि वे अगली बार भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन हो । लेकिन उनके कृत्यों को देखकर लगता नही है कि राजस्थान में कांग्रेस 10 सीट भी ला पाएगी । बीजेपी के कांग्रेस मुक्त अभियान को पूरा करने में गहलोत पूरी प्रतिबध्दता से जुटे हुए है । यह तय है कि गहलोत निश्चित रूप से अगले मुख्यमंत्री नही बनेगे । लेकिन इससे पहले वे प्रदेश और पार्टी का बंटाधार करने में सक्रिय है । मेरा दावा है कि हालत यही रहे तो प्रदेश के किसी कमरे या कार्यालय में सोनिया और राहुल की तस्वीर देखने को नही मिलेगी ।

दरअसल कुछ लोगो ने कांग्रेस के पिंडदान करने की सुपारी ले रखी है । वीरो की इस धरती पर एक भी ऐसा माई का लाल उभरकर सामने नही आया जो बाहरी उम्मीदवारों के खिलाफ एक लफ्ज भी बोल सके । दरअसल जूते चाटना आज राजनेताओ की फितरत बन गई है । पिछली दफा भी सारे कांग्रेसी विधायक बिल में दुबक गए थे और वोट डाला राजस्थान से बाहर के उम्मीदवार मनमोहन सिंह और केसी वेणुगोपाल को । केसी ना लीपने के है और ना ही थेपने के । चूंकि गांधी परिवार के ये "रामू काका" है, इसलिए इन्हें टिकट मिल गया था ।

इस बार भी तीन रामू काका गांधी परिवार से आयातीत होकर आए है, इसलिए इनको जिताना अशोक गहलोत की विवशता है । हालांकि चुटकी में तीनों को गहलोत निपटा सकते है, लेकिन इससे गांधी परिवार खफा हो जाएगा । गहलोत अपनी कुर्सी गंवाने के इच्छुक नही है । इसलिए थोपे गए रामु काकाओ की तीमारदारी में पूरी कांग्रेस के साथ निर्दलीय और बसपा के विधायक रेड कार्पेट बिछाकर तीनो के स्वागत में लगे हुए है ।

संयम लोढा और भरतसिंह के अलावा किसी कांग्रेसी में इतनी हिम्मत नही है कि अपनी जुबान तक खोल सके । लोढा और भरतसिंह भी अब खामोश होकर बैठ गए है । कांग्रेस की तकलीफ यह है कि इसके नेता ऑफ द रिकार्ड तो तीनों को गाली निकाल रहे है और वैसे स्वागत करने में सक्रिय है । न प्रमोद तिवारी राजस्थान को निहाल करने वाले है और न ही मुकुल वासनिक । रणदीप सुरजेवाला के बारे में सभी जानते है । यह "आदरणीय मित्रों" गांधी परिवार का हेड "रामू काका" है ।

ये तीनो गेस्ट आर्टिस्ट राजस्थान का कोई भला कर पाएंगे, ऐसा सोचना भी पाप है । तीनो नायाब नगीने है । एक यूपी से, दूसरा महाराष्ट्र और तीसरा हरियाणा से । जितने के बाद कभी राजस्थान आ जाए तो यह प्रदेशवासियो पर बहुत बड़ा एहसान होगा । यह सही है कि पार्टी नेतृत्व के निर्देशों की पालना करना हर कार्यकर्ता का धर्म होता है । इसका यह मतलब तो नही कि आलाकमान द्वारा भेजे रामू काकाओ के स्वागत में पलक पावड़े बिछाए जाए ।

मुख्यमंत्री द्वारा बीजेपी पर हॉर्स ट्रेडिंग का अक्सर आरोप लगाया जाता है । क्या अब खुद सीएम हॉर्स ट्रेडिंग नही कर रहे है ? क्या प्रशिक्षण के नाम पर विधायकों को पांच सितारा होटल और रिसोर्ट में ऐश कराना हॉर्स ट्रेडिंग से इतर है । एक तरफ पार्टी के प्रति निष्ठावान और समर्पित बेचारे विधायक गुड़ और तेल का हलवा खाने को विवश है । जबकि निर्दलीय और बसपा वालो के समक्ष 56 प्रकार के व्यंजन परोसे जा रहे है । आखिर पार्टी विधायको के साथ भेदभाव क्यो ? क्या यह वफादारी की सजा नही है ?

पहले भी गोलमा देवी जैसी अंगूठा छाप मंत्री बन गई थी और वफादार पार्टी विधायको से बात करना भी सीएम अपनी तौहीन समझते थे । आज घोघरा जैसे विधायक अपने कर्मो को रो रहे है । जबकि राजेन्द्र गुढ़ा, बाबूलाल नागर जैसे लोगों की पांचो अंगुलिया घी और सिर कढाई में है । कहावत है कि दुष्ट ग्रह की सबसे पहले पूजा होती है। जैसे शनि महाराज की । इसी तर्ज पर आंख दिखाने वाले संदीप यादब, वाजिब अली और लाखन मीणा जैसे लोगो को खुलकर कमाने की छूट दे रखी है बल्कि सीएम इनकी हर मांग पूरी करने के रात को 2 बजे भी तैयार रहते है ।

सुना था कि यह वीरो की धरती है । लेकिन जिसकी पूंछ उठाई, वही……..निकला । अब भी वक़्त सोचने और चिंतन करने का । पैसा आता जाता रहता है । स्वाभिमान भी कोई चीज होती है । बकौल प्रतापसिंह खाचरियावास के यह आन बान और शान की धरती है । अंतरात्मा की आवाज को सुनते हुए वीरो की इस पावन धरती से जबरन थोपे हुए रामू काकाओं को बेज्जत करके भगाओ ताकि फिर कोई व्यक्ति राजस्थान की इज्जत से खिलवाड़ नही कर सके । बन्द करो राजस्थान को चारागाह बनाने का तमाशा ।

महेश झालानी

महेश झालानी

Next Story