जयपुर

सुभाष चंद्रा को षड्यंत्रपूर्वक जिताने वालो में सुरजेवाला भी शरीक थे : चन्द्रा की चाल से आशंकित है कांग्रेस

Shiv Kumar Mishra
9 Jun 2022 7:14 AM GMT
सुभाष चंद्रा को षड्यंत्रपूर्वक जिताने वालो में सुरजेवाला भी शरीक थे : चन्द्रा की चाल से आशंकित है कांग्रेस
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वर्तमान राज्यसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की ओर से घोषित प्रत्याशी रणदीप सुरजेवाला 14 विधायको में से एक थे जिन्होंने बड़ी कुटिलता और षड्यंत्र के अंतर्गत भाजपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष चंद्रा को राज्यसभा भेजने में अपनी महत्वपूर्ण अदा की थी । एक बार फिर से सुभाष चंद्रा कांग्रेस प्रत्याशी को हराकर राज्यसभा में जाने के लिए लालायित है ।

चूंकि सुरजेवाला खुद सुभाष चन्द्रा की कलाबाजियों के न केवल चश्मदीद गवाह रहे है बल्कि उन्होंने षड्यंत्र रचकर चन्द्रा को राज्यसभा भेजने में मदद की थी । वही चन्द्रा फिर से कांग्रेस में तोड़फोड़ कर राज्यसभा जाने का मंसूबा बना रहे है । दरअसल वोट के लिहाज से चार प्रत्याशी ही जीत सकते है । लेकिन बीजेपी ने चन्द्रा को समर्थन देकर कांग्रेस को बाड़ेबंदी में जाने के लिए मजबूर कर दिया । जैसा खेल चन्द्रा ने हरियाणा में खेला था, ऐसा खेल फिर नही हो जाए इस बात से कांग्रेस में दहशत का माहौल है ।

जी ग्रुप के चेयरमैन सुभाष चंद्रा बहुत छंटी हुई चीज है । 2016 के राज्यसभा चुनाव में हुई जीत विवादों में आ गई थी । विवादों में आने की वजह रही कि चुनाव में कांग्रेस के 14 वोट रद्द हो गये थे जिनमे सुरजेवाला का वोट भी शामिल था । उस वक्त इस सब के पीछे राजनीतिक दलों ने एक बड़ी साजिश का भी आरोप लगाया था । सुभाष चंद्रा को राज्यसभा पहुंचाने में इन्ही 14 रद्द वोटों ने बड़ी भूमिका निभाई थी । चन्द्रा ने दावा किया है कि उन्हें कांग्रेस के भी वोट मिलेंगे । इसमे कितनी सत्यता है, कल पता लग जाएगा ।

जैसे इस वक्त जून महीने में राज्यसभा के लिए चुनाव हो रहे हैं वैसे ही साल 2016 में भी राज्यसभा के चुनाव जून महीने में हो रहे थे । उस वक्त परिस्थितियां कुछ ऐसी बनी की 2 सीटों के लिए 3 उम्मीदवार मैदान में थे । कमोबेश ऐसी ही स्थिति इस बार के राजस्थान चुनाव को लेकर है । सीट 4 और उम्मीदवार पांच । ऐसे में घमासान मचना स्वाभाविक है । बीजेपी और कांग्रेस दोनो एक दूसरे को मात देने के लिए आमादा है ।

जून 2016 में हुए चुनाव में आरके आनंद जो इंडियन नेशनल लोकदल के उम्मीदवार थे, को कांग्रेस और इनेलो का समर्थन प्राप्त था । हालांकि वे खुद भी सोनिया गांधी से मिलकर आये थे तो माना जा रहा था कि उनकी जीत पक्की है । जबकि सुभाष चंद्रा बीजेपी के समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में थे । फच्चर फंसाने के लिए एक और उम्मीदवार मैदान में कूद पड़ा । यानी उस चुनाव में 2 सीटों के लिए तीन उम्मीदवार खड़े थे ।

हरियाणा चुनाव के दौरान कांग्रेसी नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपना वोट खाली रखा था । लेकिन उस वक्त जब वोटों की गिनती होने लगी तो ऐसा कहा जाने लगा कि जो आरके आनंद को वोट पड़ने थे उनकी स्याही अलग थी । क्योंकि राज्यसभा चुनाव के लिए एक तरह की पेन से ही वोट करने होते हैं । ये पेन चुनाव आयोग की तरफ से दिए जाते है । इसी स्याही के पेन से ही टिक मार्क करना होता है. लेकिन कांग्रेस के 14 उम्मीदवारों के वोट पर दूसरी पेन के निशान थे जिसके चलते उनके वोट कैंसिल कर दिये गये ।

हालांकि स्याही का वह विवाद कोर्ट में भी गया था, लेकिन अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि वो स्याही अलग थी या नहीं । स्याही अलग होने के नाम पर वोट तो कैंसल हो गए, लेकिन अभी तक साफ नहीं हो पाया है कि वह पेन कैसे बदला गया जिससे टिक मार्क करना था । साथ ही वह पेन किसने बदला था, यह भी आज तक स्पष्ट नहीं हो पाया है । क्योंकि आरके आनंद अभय चौटाला के करीबी थे, इसी वजह से उन्होंने आरोप लगाया था कि जानबूझकर कांग्रेस के लोगों ने पेन बदला है ताकि आरके आनंद के वोट रिजेक्ट हो जाएं और सुभाष चंद्र जीत जाए ।

अशोक गहलोत की तरह सुभाष चंद्रा राजनीति के माहिर खिलाड़ी है । कांग्रेस को अंदेशा है कि स्याही की तरह चन्द्रा कोई नया खेल भी खेल सकते है । चन्द्रा के इस दावे के बाद कांग्रेस और सतर्क होगई है कि उन्हें निर्धारित मतों से ज्यादा वोट मिलेंगे । गहलोत की बाड़ेबंदी और सतर्कता के चलते चन्द्रा कामयाब हो जाएंगे, ऐसा लगता नही है । गहलोत ज्यादा सतर्क इसलिए भी है कि कांग्रेस का एक भी उम्मीदवार हार जाता है तो उनकी कुर्सी हिल सकती है ।

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