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यही हाल उस बेगैरत दोस्त के जैसा भाजपा का है। राम मंदिर का लॉलीपॉप दिखाकर सत्ता पर तो काबिज हो गई है।
एक दोस्त ने मुसीबत के समय दोस्त की आर्थिक सहायता की। महीने गुजर गए, साल गुजर गया, लेकिन दोस्त ने पैसे लौटाने की सुध ली। जब भी दोस्त तकादा करता, दूसरा दोस्त कोई ना कोई बहाना बना लेता। महीनों से वर्ष गुजर गए, लेकिन दोस्त ने अपना वादा पूरा नही किया।
यही हाल उस बेगैरत दोस्त के जैसा भाजपा का है। राम मंदिर का लॉलीपॉप दिखाकर सत्ता पर तो काबिज हो गई है। अब वह राम मंदिर के नाम पर जनता को अंगूठा दिखा रही है। बेवकूफ लोग आज भी आस लगाए बैठे है कि मंदिर का निर्माण जल्दी होगा। सन 2050 तक तो कोई उम्मीद है नही। उसके बाद भाजपा के उत्तराधिकारियों का जवाब होगा कि मंदिर निर्माण की बात उनसे करो जिन्होंने वादा किया था। तब ना हम होंगे और ना ही वादा करने वाले। श्री राम बोलो, 900 ग्राम तोलो।
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