जयपुर

क्यों मियां भाई जुम्मन कब समझोगे अपने नेता तुम्हें पसंद नहीं इस्तेमाल करते हैं

Shiv Kumar Mishra
24 Nov 2020 6:44 AM GMT
क्यों मियां भाई जुम्मन कब समझोगे अपने नेता तुम्हें पसंद नहीं इस्तेमाल करते हैं
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मो हफीज

आज सुबह की सैर पर कॉलोनी के पार्क में मियां भाई जुम्मन मियां चहकते महकते उछलते फिसलते मिल गये। काफी दिनों के बाद जीवन में घटी दुर्घटना की भांति जुम्मन मियां का यूं सामने आना अचानक कई घटनाओं के एक साथ घटने जैसा था हमने भी मौके की गनीमत जानकर जुम्मन मियां भाई को आता देख दूर से ही दोनों हाथ जोड़कर नमस्कार कर दी रामा श्यामा के बाद जुम्मन मियां भाई की खुशी में हम भी शरीक हो गए हमने कहा कि मियां जुम्मन आज कुछ ज्यादा ही खुश दिख रहे हो। जुम्मन ने अपना तकीया कलाम बोलते हुए कहा कि पंडित जी अपनी पार्टी का मेयर हेरिटेज जयपुर में बनवा के आरिया हूं पूरे 31 जुम्मन जिता कर लाया हूं बडी मेहनत से अब खुशी तों पंडित बनती है हम ने कहा भाई जुम्मन शेर का बच्चा एक ही अच्छा 31 जुम्मन जिताने वाले समाज को जयपुर में मेयर का पद तो मिला नहीं देखो सचिन पायलट का जलवा बंदे का खोफ कांग्रेस सरकार भाजपा दोनों में ही दिख रहा है। एक जीती कांग्रेस में हेरिटेज जयपुर निगम में मेयर बन गई दूसरी भाजपा की ग्रेटर निगम की मेयर बन गई दोनों ही दलों में गुर्जर समाज की महिलाओं को मेयर बनाया है। तुम्हारे 31 जुम्मन पार्षद दो विधायक अपनी मानी जाने वाली कांग्रेस सरकार में बाबाजी का ठुल्लू लेकर मेयर के बजाय खुश हो रहे हैं।

हमारी बात सुनते ही जुम्मन मियां का हाजमा बिगड़ कर उल्टियां करने लगा कहने लगा पंडित तुम हमेशा ही हरी कथा में कुत्ते लडाने का काम करते हो भाई हेरिटेज जयपुर नगर निगम में हम अपनी पार्टी का कांग्रेस मेयर बना कर खुश और खाम खाह ही आप हमारी बुराई कर रहे हो। भाई शुभ घड़ी में मुंह मीठा करो और शुभ-शुभ बोलो। एक तों हमारी मेयर बनी है वह भी तुम को फूटी आंख नहीं सुहाती है गजब करते हो भाई पंडित जी यह सब नहीं चलेगा। यह कह कर जुम्मन मियां का पारा चढ़ गया और मुंह बनाकर मुंह में समाई उधारी के पान की पीक उसने वहीं जोर जोर से गुस्से में उल्टी कर दी। हम भी घाघ पंडित जुम्मन मियां से कब डरने वाले थे हमने सदैव ही जुम्मन पर अपने ज्ञान का सिक्का जमाया है और जुम्मनो को औकात में रहना सिखाया है हमने कहा क्यूं रे बैगानी शादी के अब्दुल्ला जुम्मन दीवाने बारात किसी की भी हो तेरे हिस्से में जी तोड नाचने के बाद एक टाईम का खाना ही हिस्सें में आता है अरे बावले देख सत्ता और सरकार का दूल्हा तुझे कोई नहीं बनाएगा।

दुल्हन और दहेज विदाई का नेग दूल्हे के फूफा मामा बहनोई को ही जाएगा हर बार सरकार बनाने में तुझे बाराती की भांति साथ रख नचाया जाता है तेरे पल्ले कुछ नहीं पर तुझे समझ नहीं आता है। तू जहां पर था वहीं घाणी के बैल की भांति खूब चलकर खड़ा पाता है फिर भी तू समझ नहीं पाता तेरी नीयती ये तेरे अपनों ने ही बनाई है पर तुझे आज तक समझ राजनीति नहीं आई है मियां जुम्मन तू कल भी फुटपाथ पर बैठ पंचर बनाता था आज भी तेरा भला पंचर बनाने से ही होता है दो जून रोटी की चिंता बच्चों की पढ़ाई-लिखाई से ज्यादा तेरे लिए राजनीति हो गई है देख हमारे पंडित नेताजी को जयपुर में जो चाहा करते हैं जुम्मन सच्चर कमेटी बनाने वालों ने ही तेरी बुरी गत बनाई पर छोटी सी बात तुझे कब समझ आई है तू देश दुनिया की राजनीति की बात करता है। इस पर जुम्मन का गुस्सा और बढ़ गया कहने लगा देख पंडित हमारी दोस्ती का लिहाज हर बार में ही करता हूं पर अब आप मेरी मां समान सियासी दल को बुरा मत कह हमारे नेताओं की बुराई मत कर चाहें जो भी हों मेरा वोट पंजे को ही जाएगा। हमने हमारे वोट से दो अपने विधायक और दूसरे भी जिताएं है तब से यार पंडित आप हमे कुछ ज़्यादा ही भला बुरा कहते रहें हैं देखो यार दीन धर्म का नाता है वोट हमारा पंजे को ही जाता है।

हम भी कब हार मानने वाले थे हमने रामायण गीता कुरान का अध्ययन चुप रहने के लिए थोड़ा किया है हमने भी जुम्मन को चुप कराने के लिए कह दिया भाई जुम्मन मियां तू पूरा जात का शक्ल का अक्ल का मियां भाई हैं आपके अपने नेता कागजी शेर है। तुम्हारे धर्म में तों शराब हराम है शराब की कमाई हुई दौलत से मस्जिद में रोशनी के लिए दिया बाती बल्ब नहीं लगता है तो फिर तुम अपना एक नेता शराब बेचने वाले कलाल को कैसे मान रहे हो इस्लाम धर्म का अपमान करने वालें कलाल में आप जुम्मन मियां दीन धर्म कौम की भलाई का धर्म ढूंढ रहे हो ला हो वला मिंया बड़े नादान हो कसम से एक शराब बेचने वाला कलाल मियां सत्ता का दलाल ही बनेगा कसम नेता कौम नहीं बनेगा। मियां जुम्मन जिसके चरित्र में अपने धर्म का सम्मान नहीं वह फिर अपने धर्म के मानने वालों का सम्मान कब करेगा। मियां जुम्मन पैसे वालों के लिए राजनीति सेवा से बड़ा व्यापार होता है इनके पास समाज कौम को देने के लिए अपना क्या है जो ये कौम को बांटेंगे? मियां जुम्मन कोयले की दुकान में दिमाग़ की दवा ढूंढ रहे हो आजादी के बाद से आज तक वहीं गलतियां दोहरा रहे हो जुम्मनो तुम को अपना हो या पराया सभी इस्तेमाल करते हैं पसंद सिर्फ वोट देने तक करते हैं सत्ता में भागीदारी कौन देता है भारत की राजनीति में सभी सेक्यूलर दलों ने तुमको भाजपा हराने का ठेका दे रखा है फिर भी भाजपा जीत रही है राजनीति में तुम सिर्फ हराने जिताने का पदार्थ भर हो सम्मानित मतदाता नहीं समझें।

जब जब तुम अपने हितों की बात करोगे तुम्हारे वोट लेने वाले नेता तुम्हें जलील करेंगे की तुम अधिकार मांग कर भाजपा विपक्ष के साथ मिलकर अपनी पार्टी को कमजोर कर रहे हो। सरकार में वैसे तुम्हारा एक कल्याण मंत्री भी हैं जो एक फूटा ढ़ोल है जिसमें हाथ हाथ डालने पर इधर से उधर हाथ खाली निकलता है उसकी सारी उर्जा अपने घर वालों की हिस्ट्रीशीट बंद कराने में ही बीत जाती हैं अपने घर के बदमाशों की ढ़ाल है यह फूटा ढ़ोल। सुनले जुम्मन इस ज्ञानी पंडित की बात तुम्हारे समाज का 95 फीसद वोट कांग्रेस को जाता है और सरकार में तुम्हारा मात्र एक मंत्री वहीं जैन समाज कम संख्या में वोट करता है उनके दो स्वायत्त शासन, खनिज विभाग के केबीनेट मंत्री तुम्हारे वाले के पास बाबाजी का ठुल्लू मलाईदार महकमे के तुम काबिल नहीं जुम्मन राजनीति से तुम को मिलता क्या है कभी इस पर विचार कर के भी अपने फैसले लिया करो।

इतना सुनते ही जुम्मन का पारा चढ़ गया बोला देख पंडित हमारे खून में वफादारी है हम जिसके भी साथ लगते हैं ईमानदारी से साथ देते हैं भाई ईमानदारी भी कोई चीज होती है। हमने भी झट से कहा क्यूं रे ईमानदार जुम्मन बिन फेरे हम तेरे कब तक करते रहोगे धर्म निर्पेक्षता की लाश को अपने कन्धों पर ढ़ोने वाले मजदूर तेरी अपनी यह हालत मजूर की तूने खुद बनाई है और भी सुनले नवाब सिराजुद्दौला को गद्दार मीर जाफर बन कर अंग्रेजों से मिल तुमने हराया टीपू सुल्तान की अंग्रेजों की आखरी जंग में मीर कासिम बन युद्ध के मैदान में तनख्वाह बांटने का काम तुम्हारे अपने ने किया था।पैगम्बर ईश दूत ईश्वर के अवतार मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन को सन 61 हिजरी में कर्बला में भूखा प्यासा बच्चों सहित शहीद करने वाले यजीद के साथी मुसलमान ही तो थे सुन भाई जब दौलत और हुकुमत पाने का नशा दिल दिमाग में चढ़ जाता है तो फिर व्यक्ति शैतान बन जाता है उसे जयचंद बनने में देर नहीं लगती और जुम्मन तू आज के इस घोर कलियुग में अपने समाज के नेताओं से त्याग प्यार बलिदान की आशा रखता है तेरे साथ राजनीतिक मसखरी की जाती हैं जिससे तेरे भाई बहल जाते हैं तुझे आज भी तेरे अपने नेता बालक बुद्धी का समझ बहलाते हैं तेरे वोट सब चाहते हैं पर तेरा भला तेरे अपने ही नहीं चाहते हैं यूपी राज्य में एक मसखरी तेरे साथ तेरे सलमान खुर्शीद नेता ने की थी याद कर नेताजी तेरे आरक्षण के लिए फांसी चढ़ने को तैयार थे पर आरक्षण आज तक मिला नहीं ये चुनावी जुमले है इनसे तुझे राजी किया जाता है।

यह सुनते ही जुम्मन को कुछ अक्ल आई फिर उसने हमारी बातों से सहमती जताई लगे हाथ हमने कहा सुन जुम्मन आरएसएस संघ एक व्यक्ति नहीं विचारधारा है जो कांग्रेस में भी उतनी ही ज्यादा मौजूद है तेरा नेता हो सकता है संघी विचारधारा पर सेक्युलर मुखौटा लगाए हों।

आज के घोर कलियुग में नेता जी सिर्फ कुर्सी के लिए जीतें मरते हैं सत्ता की कड़ाही को गर्म करने के लिए ईंधन नेताओं के लिए इस देश की गरीब जनता है जिसे रोज ही दंगों में जलाया जाता है फिर जुम्मन जिनकी सियासी पार्टी है उन मालिकों के हिसाब से पार्टी चलती है जुम्मन तुम और तुम्हारे विधायक पार्षद सियासी पार्टी के दिहाड़ी के मजदूर भर हो भला मालिक मजूर में बहुत अंतर होता है तुमने कभी अपनी पार्टी बनाई है जो तुम्हारे हक के लिए लड़े। सुन दो हजार मजूर पैदा करने से बेहतर एक थानेदार पैदा करना काश तुम पढ़ें लिखें होते लालची नहीं तब तुम्हारी भी राजनीति में हैसियत होती। अनपढ़ जाहिल राजनीति की कुटिल चालें कहां समझते हैं वोट और कलम की ताकत को हथियार बनाना सीखें इस ज्ञानी पंडित की बात तेरे बहुत काम आयेंगी नेताजी को वोट की चोट से मारो पहले घर के दलाल मारो फिर बाहर के। यह सुन जुम्मन मियां भाई की आंख में आंसू थे पता नहीं वह बदले के थे या पश्चाताप के बस निरंतर आंसू बह रहे थे।


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