जयपुर

राजस्थान में आखिर 100 किलोमीटर के दायरे में से क्यों चुने गए सीएम , डिप्टी सीएम और विधानसभा अध्यक्ष? दिलचस्प कहानी पढिए और समझिए पूरा खेल

Shiv Kumar Mishra
13 Dec 2023 6:54 AM GMT
राजस्थान में आखिर 100 किलोमीटर के दायरे में से क्यों चुने गए सीएम , डिप्टी सीएम और विधानसभा अध्यक्ष? दिलचस्प कहानी पढिए और समझिए पूरा खेल
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Why were the CM, Deputy CM and Assembly Speaker elected from within a radius of 100 kilometers in Rajasthan

भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान में एक नहीं कई इतिहास इस बार रचे है, जिनमें प्रमुख बात क्षेत्रीय असंतुलन की सामने आई है है। जहां पंजाब की सीमा से सटे गंगानगर जिले से लेकर झालावाड़ और जैसलमैर से लेकर धोलपुर तक फैले राजस्थान में आज सीएम डिप्टी सीएम सिर्फ 100 किलोमीटर के दायरे में से चुने गए है।

राजस्थान के उत्तर में स्थित श्रीगंगानगर से दक्षिण में झालावाड़ की दूरी लगभग नौ सौ किलोमीटर है और लगभग इतनी ही दूरी पश्चिम में जैसलमेर से पूरब में भरतपुर की है। जयपुर के उत्तर पश्चिम में विद्याधर नगर क्षेत्र स्थित है जहां से चुनी गई जयपुर राजघराने की राजकुमारी दिया कुमारी को आज भाजपा ने उपमुख्यमंत्री घोषित किया है।

विद्याधर नगर से अगर 130 किलोमीटर दूर स्थित अजमेर के लिए निकलते हैं तो लगभग पंद्रह किलोमीटर पर सांगानेर विधानसभा क्षेत्र शुरू हो जाता है जो आज चुने गए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का निर्वाचन क्षेत्र है।

इस निर्वाचन क्षेत्र की सीमा छोड़कर आगे 30 किलोमीटर चलने पर दूदू विधानसभा क्षेत्र शुरू होता है जहां से आज दूसरे उपमुख्यमंत्री मनोनीत हुए प्रेमचंद बैरवा चुने गए हैं।

दूदू विधानसभा क्षेत्र की सीमा से लगभग पचास किलोमीटर पर अजमेर उत्तर की सीमा शुरू होती है जहां से चुने गए वासुदेव देवनानी को विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए नामित किया गया है।

आज घोषित उक्त चारों नामों को देखकर लगता हैं कि तीन लाख बयालीस हजार वर्ग किलोमीटर में फैले भारत के सबसे बड़े भूभाग वाले राज्य में भाजपा नेतृत्व ने विद्याधर नगर से शुरू अपनी तलाश में जो भी अगला नाम आता गया उसको पद बांटते गए और क्षेत्रीय संतुलन का कोई ध्यान नहीं रखा गया।

अब क्या भारतीय जनता पार्टी इस क्षेत्रीय संतुलन से लोकसभा चुनाव में नुकसान उठाएगी या नहीं यह तो समय बताएगा लेकिन जिस तरह से एक दूसरे के पास पास की चारों विधानसभा से चार लोगों के ऊपर पूरी जिम्मेदारी दी गई है। अभी मंत्रिमंडल का निर्माण नहीं हुआ है मंत्रिमंडल विस्तार के बाद जातीय और क्षेत्रीय संतुलन की बात तय की जाती है। लेकिन अब तक घोषित चारों पदों पर क्षेत्रीय संतुलन की कोई कवायद नहीं की गई है।

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