जयपुर

राजस्थान में किसान नेताओं ने कुछ यूँ भरी हुंकार, कृषि कानूनों का मृत्यु प्रमाण पत्र लेकर ही घर लौटेंगे - योगेंद्र यादव

Shiv Kumar Mishra
24 March 2021 5:40 AM GMT
राजस्थान में किसान नेताओं ने कुछ यूँ भरी हुंकार,  कृषि कानूनों का मृत्यु प्रमाण पत्र लेकर ही घर लौटेंगे - योगेंद्र यादव
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जयपुर में किसान महापंचायत में शामिल होने के लिए मंगलवार को सामाजिक कार्यकर्ता और किसान आंदोलन के नेता योगेंद्र यादव जयपुर आए. उनके साथ भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत भी मंच पर साथ थे. किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानून मर चुके हैं. फिलहाल ये कानून वेंटिलेटर पर हैं. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अड़ियल रुख के कारण इसकी घोषणा नहीं हो रही है.

योगेंद्र यादव ने कहा कि पिछले दिनों एक पत्रकार ने उनसे इस पर सवाल पूछा था कि जब ये कानून मर चुके हैं तो वह आंदोलन क्यों चला रहे हैं. इस पर उनका जवाब था कि कानून मर तो गए, लेकिन हम कृषि कानूनों का मृत्यु प्रमाण पत्र लेकर ही महापड़ाव खत्म करेंगे. उन्होंने नारा दिया कि हम लड़ेंगे और जीतेंगे.

इससे पहले योगेंद्र यादव ने शहादत दिवस पर सरदार भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को और जयंती दिवस पर राममनोहर लोहिया को याद किया. उन्होंने कहा कि शहीद भगत सिंह की विरासत एक अंगारे की तरह है. धीरे-धीरे अंगारे पर राख जमा होने लगी है और जब अंगारे पर ज्यादा राख जमा हो जाती है तो कोई बड़ी कुर्सी वाला आदमी उसे अपनी जेब में डाल लेता है. ऐसे में हमारा काम यह है कि उस अंगारे पर जमी राख को फूंक मारकर उड़ाते रहें. ताकि वो अंगारा दोबारा गर्म हो जाए और कोई कुर्सी पर बैठा हुआ व्यक्ति उस अंगारे को अपनी जेब में नहीं रख सके. उन्होंने किसान आंदोलन के लिए संघर्ष करने वाली नवदीप को याद किया.

योगेंद्र यादव ने कहा कि 22 मार्च को पीएम मोदी ने कहा था कि एमएसपी की व्यवस्था लागू है. यह पहले भी लागू थी और आगे भी लागू रहेगी. लेकिन उन्होंने राजस्थान की सभी मंडियों में फसलों के भाव देखे तो एक भी फसल ऐसी नहीं थी. जो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बिकी हों. सभी फसलें एमएसपी से कम भाव पर ही बिकी थी. यानी मोदीजी ने जिस न्यूनतम समर्थन मूल्य का वादा किया था. वह एक भी फसल में किसानों को नहीं मिल रहा है. यादव ने चुटकी लेते हुए कहा कि ऐसे में पीएम मोदी के बयान का मतलब है कि प्रधानमंत्री झूठ बोलते थे, बोल रहे हैं और आगे भी बोलते रहेंगे.

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