धर्म-कर्म

उथल- पुथल एवं निराशा से भरे जीवन में बाबा ने किया आशा का संचार

Shiv Kumar Mishra
28 Aug 2022 12:10 PM IST
उथल- पुथल एवं निराशा से भरे जीवन में बाबा ने किया आशा का संचार
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7 साल पहले की बात है, जीवन में उथल- पुथल मचा हुआ था। मैं कंप्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग करने के बाद भी अच्छी कंपनी में प्लेसमेंट पाने में सक्षम नहीं हो पाया। मन भी उखड़ा- उखड़ा सा रहने लगा। अधिकतर दोस्तों की अच्छी कंपनियों में नौकरी लग चुकी थी। मैं बहुत व्याकुल था उन दिनों। तभी मेरे एक मित्र ने एक दिन मंगलवार को मुझे लखनऊ में ही श्री हनुमान सेतु मंदिर चलने को कहा। वहां गया तो बाबा की प्रतिमा देखकर ऐसा लगा कि वे मुझसे कुछ कहना चाहते हैं। मैं स्वयं को रोक नहीं पाया। अश्रुओं की धारा फूट पड़ी। खूब रोया उस दिन। उस दिन की रात जब मैं सोया तो मुझे नींद नहीं आ रही थी।

बाबा के बारे में इंटरनेट पर चीजें ढूंढ- ढूंढ कर पढ़ रहा था। उनके हनुमान जी के प्रति प्रेम ने मुझे भाव विभोर कर दिया। उस रात मेरे स्वप्न में बाबा ने मुझे दर्शन दिया। मुस्कुराते हुए मुझसे कहा तू क्यों चिंता करता है, मैं हूं ना। चल उठ। राम राम का जाप कर। मेरी नींद अचानक से खुली सुबह के साढ़े तीन बज रहे थे। नित्य क्रिया से निवृत होकर मैं ध्यान लगाने लगा और आंखें मूंद कर राम राम का जाप करने लगा। धीरे- धीरे इसे मैंने प्रतिदिन अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लिया। आज भी सोचता हूं एक वो दिन था और एक आज का दिन है। बाबा मुझे रोने ही नहीं देते। उन्होंने मुझे हंसने के हजारों अवसर दिए। मुझे मेरे जीवन में मान, सम्मान, प्रतिष्ठा, यश, धन सब मिला।

ज्योतिष कर्म एवं काव्य लेखन के माध्यम से समाज में सम्मान का पात्र बना। मेरी कविता की पुस्तक 'हँसी के पीछे का शोर' को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान से पुरस्कृत होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। पुस्तक को देश भर में जुड़े हुए साथियों ने खरीद- खरीद कर पढ़ा। मेरे जैसे नए कवि के लिए यह सब किसी चमत्कार से कम नहीं था। यह बाबा की कृपा ही तो थी। जो झोली भर- भर के मुझे मिल रही थी। ज्योतिष में मेरी भविष्यवाणी बाबा जी के आशीर्वाद की बदौलत सत्य होने लगीं। बाबा की बड़ी कृपा हुई। उनके माध्यम से प्रभु श्री राम चंद्र जी और हनुमान जी की कृपा हुई। कभी कभी स्वयं को बहुत सौभाग्यशाली समझता हूं। आज ज्योतिष कर्म और अध्यात्म से जुड़े हुए 7 वर्ष होने को हैं। बाबा की दया से मेरा अध्ययन हमेशा बढ़ता रहा। कई सारी दिव्य अनुभूतियां हुई हैं

। जिससे ईश्वर के प्रति मेरी निष्ठा और बढ़ गई। आज जो लोग ईश्वर की सत्ता को नकारते हैं, बाबा को नहीं मानते, मैं उनसे बस यहीं कहना चाहता हूं कि आप पूरी निष्ठा के साथ, बिना किसी लालच के ईश्वर से जुड़ें, बाबा से प्रेम करें। बाबा हर पल हमारे साथ हैं लेकिन अपने अंदर वो योग्यता और पुरुषार्थ पैदा करें, जिससे कि दैवीय शक्तियों की कृपा होने लगे आप पर। अंत में बस इतना कहना चाहूंगा कि कुछ भी असंभव नहीं जग में। ईश्वर का साक्षात्कार भी संभव है। रामधारी सिंह दिनकर के शब्दों में कहें तो मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है और सौभाग्य न सब दिन सोता है। सौभाग्य को जागना ही है। बजरंगबली की तरह अपनी शक्तियों को पहचानने का समय है। बाबा को अनुभव करिए वो कहीं और नहीं हमारे हृदय में हैं, उनके साथ प्रभु श्री राम और हनुमान जी भी हैं।

जय श्री सीता राम जी। जय हनुमान जी। जय बाबा नीम करौली जी की।

मोहित कुमार पाण्डेय लखनऊ

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