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Goverdhan Puja 2022: क्यों की जाती है गोवर्धन पूजा? जानें, तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और कथा

Shiv Kumar Mishra
25 Oct 2022 7:28 AM GMT
Goverdhan Puja 2022: क्यों की जाती है गोवर्धन पूजा? जानें, तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और कथा
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Goverdhan Puja 2022: क्यों की जाती है गोवर्धन पूजा? जानें, तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और कथा

Goverdhan Puja 2022: गोवर्धन पूजा को अन्न कूट का पर्व भी कहा जाता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार गोवर्धन पूजा कार्तिक मास की प्रतिपदा को मनाई जाती है. ये त्योहार उत्तर भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. खास कर मथुरा, वृंदावन, नंदगांव, गोकुल, बरसाना में इसकी मान्यता ज्यादा है. इस बार गोवर्धन पूजा का पर्व 26 अक्टूबर, बुधवार को मनाया जा रहा है. इस दिन गोवर्धन पर्वत, गोधन यानि गाय और भगवान श्री कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है. इसके साथ ही वरुण देव, इंद्र देव और अग्नि देव आदि देवताओं की पूजा का भी विधान है. गोवर्धन पूजा में विभिन्न प्रकार के अन्न को समर्पित और वितरित किया जाता है, इसी वजह से इस उत्सव या पर्व का नाम अन्नकूट पड़ा है. इस दिन अनेक प्रकार के पकवान, मिठाई से भगवान को भोग लगाया जाता है.

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त

उदया तिथि के अनुसार गोवर्धन पूजा का पर्व 26 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा. गोवर्धन पूजा की शुरुआत 25 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 18 मिनट पर होगी और इसका समापन 26 अक्टूबर दोपहर 02 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगा. इसका शुभ मुहूर्त 26 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 36 मिनट से लेकर 08 बजकर 55 मिनट तक रहेगा.

जानें, क्यों की जाती है गोवर्धन पूजा

अन्नकूट या गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारम्भ हुई है. इसमें हिन्दू धर्मावलंबी घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन नाथ जी की अल्पना बनाकर उनका पूजन करते है. उसके बाद गिरिराज भगवान (पर्वत) को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अन्नकूट का भोग लगाया जाता है. इस दिन मंदिरों में अन्नकूट किया जाता है.

गोवर्धन पूजा पर अन्नकूट उत्सव

गोवर्धन पूजा के मौके पर मंदिरों में अन्न कूट का आयोजन किया जाता है. अन्न कूट यानि कई प्रकार के अन्न का मिश्रण, जिसे भोग के रूप में भगवान श्री कृष्ण को चढ़ाया जाता है. कुछ स्थानों पर विशेष रूप से बाजरे की खिचड़ी बनाई जाती है. साथ ही तेल की पूड़ी आदि बनाने की परंपरा है. अन्न कूट के साथ-साथ दूध से बनी मिठाई और स्वादिष्ट पकवान भोग में चढ़ाए जाते हैं. पूजन के बाद इन पकवानों को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को बांटा जाता है. कई मंदिरों में अन्न कूट उत्सव के दौरान जगराता किया जाता है और भगवान श्री कृष्ण की आराधना कर उनसे खुशहाल जीवन की कामना की जाती है.

गोवर्धन पूजन सामग्री

देवता को अर्पित की जाने वाली मिठाई, अगरबत्ती, फूल, ताजे फूलों से बनी माला, रोली, गोवर्धन पूजा सामग्री की सूची में चावल और गाय का गोबर सभी शामिल हैं. छप्पन भोग, जिसमें 56 विभिन्न खाद्य पदार्थ होते हैं, तैयार किया जाता है, और पंचामृत शहद, दही और चीनी का उपयोग करके बनाया जाता है.

गोवर्धन पूजन विधि

गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से गोवर्धन बनाकर उसे फूलों से सजाया जाता है. गोवर्धन पूजा सुबह या शाम के समय की जाती है. पूजन के दौरान गोवर्धन पर धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल आदि चढ़ाये जाने चाहिए. इसी दिन गाय-बैल और कृषि काम में आने वाले पशुओं की पूजा की जाती है. गोवर्धन जी गोबर से लेटे हुए पुरुष के रूप में बनाए जाते हैं. नाभि के स्थान पर एक मिट्टी का दीपक रख दिया जाता है. इस दीपक में दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे आदि पूजा करते समय डाल दिए जाते हैं और बाद में प्रसाद के रूप में बांट दिए जाते हैं.

पूजा के बाद गोवर्धन जी की सात परिक्रमाएं लगाते हुए उनकी जय बोली जाती है. परिक्रमा के वक्त हाथ में लोटे से जल गिराते हुए और जौ बोते हुए परिक्रमा पूरी की जाती है. गोवर्धन गिरि भगवान के रूप में माने जाते हैं और इस दिन उनकी पूजा घर में करने से धन, संतान और गौ रस की वृद्धि होती है. गोवर्धन पूजा के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा भी की जाती है. इस मौके पर सभी कारखानों और उद्योगों में मशीनों की पूजा होती है.

गोवर्धन पूजा पर न करें ये गलतियां

गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का आयोजन बंद कमरे में न करें. गायों की पूजा करते हुए भगवान कृष्ण की पूजा करना न भूलें. परिवार के सभी लोग अलग - अलग होकर पूजा न करें. पूजन में सम्मिलित लोग काले रंग के कपड़े न पहनें. हल्के पीले या नारंगी रंग के वस्त्र पहनें. गोवर्धन पूजा के दिन गाय या जीवों की सेवा करें. आज के दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करना न भूलें. अगर कोई व्यक्ति कमजोर हो तो उसके साथ बुरा व्यवहार न करें.

गोवर्धन पूजा मंत्र

लक्ष्मीर्या लोक पालानाम् धेनुरूपेण संस्थिता.

घृतं वहति यज्ञार्थे मम पापं व्यपोहतु..

यानी सायंकाल पश्चात् पूजित गायों से पूजित गोवर्धन पर्वत का मर्दन कराएं. फिर उस गोबर से घर-आंगन लीपें.

गोवर्धन पूजा कथा

विष्णु पुराण में गोवर्धन पूजा के महत्व का वर्णन मिलता है. बताया जाता है कि देवराज इंद्र को अपनी शक्तियों पर अभिमान हो गया था और भगवान श्री कृष्ण इंद्र के अहंकार को चूर करने के लिए एक लीला रची थी. इस कथा के अनुसार एक समय गोकुल में लोग तरह-तरह के पकवान बना रहे थे और हर्षोल्लास के साथ गीत गा रहे थे. यह सब देखकर बाल कृष्ण ने यशोदा माता से पूछा कि, आप लोग किस उत्सव की तैयारी कर रहे हैं. कृष्ण से सवाल पर मां यशोदा ने कहा कि, हम देवराज इंद्र की पूजा कर रहे हैं. माता यशोदा के जवाब पर कृष्ण ने फिर पूछा कि हम इंद्र की पूजा क्यों करते हैं. तब यशोदा मां ने कहा कि, इंद्र देव की कृपा से अच्छी बारिश होती है और अन्न की पैदावार होती है, हमारी गायों को चारा मिलता है. माता यशोदा की बात सुनकर कृष्ण ने कहा कि, अगर ऐसा है तो हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए. क्योंकि हमारी गाय वहीं चरती है, वहां लगे पेड़-पौधों की वजह से बारिश होती है.

कृष्ण की बात मानकर सभी गोकुल वासियों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू कर दी. यह सब देख देवराज इंद्र क्रोधित हो गए और अपने इस अपमान का बदला लेने के लिए मूसलाधार बारिश शुरू कर दी. प्रलयकारी वर्षा देखकर सभी गोकुल वासी घबरा गए. इस दौरान भगवान श्री कृष्ण ने अपनी लीला दिखाई और गोवर्धन पर्वत को छोटी सी अंगुली पर उठा लिया और समस्त ग्राम वासियों को पर्वत के नीचे बुला लिया. यह देखकर इंद्र ने बारिश और तेज कर दी लेकिन 7 दिन तक लगातार मूसलाधार बारिश के बावजूद गोकुल वासियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा. इसके बाद इंद्र को अहसास हुआ कि मुकाबला करने वाला कोई साधारण मनुष्य नहीं हो सकता है. इंद्र को जब यह ज्ञान हुआ कि वह भगवान श्री कृष्ण से मुकाबला कर रहा था, इसके बाद इंद्र ने भगवान श्री कृष्ण से क्षमा याचना की और स्वयं मुरलीधर की पूजा कर उन्हें भोग लगाया. इस पौराणिक घटना के बाद से गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई.

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