धर्म-कर्म

कैसे बन गएं भगवान कृष्ण लड्डू गोपाल? जानिए इसके पीछे का रहस्य

Shiv Kumar Mishra
30 Aug 2021 6:22 AM GMT
कैसे बन गएं भगवान कृष्ण लड्डू गोपाल? जानिए इसके पीछे का रहस्य
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Lord Krishna , Laddu Gopal

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त कुंभनदास थे। उनका एक बेटा था रघुनंदन। कुंभनदास के पास भगवान श्रीकृष्ण का एक चित्र था जिसमें वह बांसुरी बजा रहे थे। कुंभनदास हमेशा उसकी पूजा में ही लीन रहते थे। वह अपने प्रभु को कभी भी कहीं छोड़कर नहीं जाते थे।

एक बार कुंभनदास के लिए वृंदावन से भगवान कथा के लिए बुलावा आया। पहले तो कुंबनदास ने उस भागवत में जाने से मना कर दिया। परंतु लोगों के आग्रह करने पर वे जाने के लिए तैयार हो गए। उन्होंने सोचा कि पहले वे भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करेंगे। इसके बाद वह भागवत कथा करके अपने घर वापस लौट आएंगे। इस तरह से उनका पूजा का नियम भी नहीं टूटेगा। कुंभनदास ने अपने पुत्र को समझा दिया कि मैंने भगवान श्रीकृष्ण के लिए भोग तैयार कर दिया है। तुम बस ठाकुर जी को भोग लगा देना इतना कहकर वह वहा से चले गए।

कुंभनदास के भेटे ने भोग की थाली ठाकुर जी के सामने रख दी और उनसे विनती की कि वह आएं और भोग लगा ले। रघुनंदन मन ही मन ये सोच रहा ता कि ठाकुरजी आएंगे और अपने हाथों से खाएंगे जौसे सभी मनुष्य खाते हैं। कुंभनदास के बेटे ने कई बार भगवान श्रीकृष्ण से आकर खाने के लिए कहा। लेकिन भोजन को उसी प्रकार से देखर वह निराश हो गया और रोने लगा। उसने रोते-रोते भगवान श्रीकृष्ण से कहा कि भगवान आकर भोग लगाइए। उसकी पुकार सुनकर ठाकुर जी ने एख बालक का रूप रखा और भोजन करने के लिए बैठ गए। जिसके बाद रघुनंदन के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। वृंदावन से भागतव करके जब कुंभनदास घट लौटा तो उसने अपने बेटे से प्रसाद के बारे में पूछा। रघुनंदन ने अपने पिता से कहा ठाकुरजी ने सारा भोजन खा लिया है। कुंभनदास ने सोचा की अभी रघुनंदन नादान है। उसने सारा प्रसाद खा लिया होगा और डांट की वजह से झूठ बोल रहा है। अब रोज कुंबनदास भागवत के लिए जाते और शाम तक सारा प्रसाद खत्म हो जाता था।

कुभनदास को लगा कि अब उनका पुत्र कुछ ज्यादा ही झूठ बोलने लगा है। लेकिन उनका पुत्र ऐसा क्यों कर रहा है। कुंभनदास ने एक दिन लड्डू बनाकर थाली में रख दिए और दूर से छिपकर देखने लगे । रघुनंदन ने रोज की तरह ठाकुर जी को आवाज दी और ठाकुर जी एक बालक के रूप में कुंभनदास के बेटे के सामने आ गए। रघुनंदन ने ठाकुरजी से फिर से खाने के लिए आग्रह किया। जिसके बाद ठाकुर जी लड्डू खाने लगे। कुंभनदास जो दूर से इस घटना को देख रहे थे। वह तुरंत ही आकर ठाकुर जी की चरणों में गिर गए। ठाकुर जी के एक हाथ में लड्डू और दूसरे हाथ का लड्डू जाने ही वाला था। लेकिन ठाकुर जी उस समय वहीं पर जमकर रह गए। तभी से लड्डू गोपाल के इस रूप की पूजा की जाने लगी।

बोलो बांके बिहारी लाला की जय ....

Shiv Kumar Mishra

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