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How Rakshabandhan festival started: रक्षाबंधन त्योहार की शुरुआत कैसे हुई ?, पढ़िए ये कथा

Shiv Kumar Mishra
11 Aug 2022 5:31 AM GMT
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता लक्ष्मी ने राजा बलि को सबसे पहले राखी बांधी थी। एक बार राजा बलि ने 100 यज्ञ पूरा करके स्वर्ग पर आधिपत्य का प्रयास किया, इससे इंद्र डर गए। वे भगवान विष्णु के पास गए और उनसे रक्षा का निवेदन किया। तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण किया।

वे वामन अवतार में राजा बलि के पास गए और भिक्षा में तीन पग जमीन मांगी। बलि ने उनको तीन पग देने का वचन दिया। तब भगवान विष्णु ने दो पग में पूरी पृथ्वी नाम दी। यह देखकर राजा बलि समझ गए कि यह वामन व्यक्ति कोई साधारण नहीं हो सकता है। उन्होंने अपना सिर आगे कर दिया। यह देखकर भगवान विष्णु राजा बालि से प्रसन्न हुए और उनसे वर मांगने को कहा। साथ ही बलि को पाताल लोक में रहने को कहा।

तब राजा बलि ने कहा कि हे प्रभु! पहले आप वचन दें कि जो वह मांगेंगे, वह आप उनको प्रदान करेंगे। उनसे छल न करेंगे। भगवान विष्णु ने उनको वचन दिया। तब बलि ने कहा कि वह पाताल लोक में तभी रहेंगे, जब आप उनके आंखों के सामने हमेशा प्रत्यक्ष रहेंगे। यह सुनकर विष्णु भगवान दुविधा में पड़ गए। उन्होंने सोचा कि राजा बलि ने तो उनको पहरेदार बना दिया।

अपने वचन में बंधे भगवान विष्णु भी पाताल लोक में राजा बलि के यहां रहने लगे। इधर माता लक्ष्मी विष्णु भगवान का इंतजार कर रही थीं। काफी समय बीतने के बाद भी नारायण नहीं आए। इसी बीच नारद जी ने बताया ​कि वे तो अपने दिए वचन के कारण राजा बलि के पहरेदार बने हुए हैं। माता लक्ष्मी ने नारद से उपाय पूछा, तो उन्होंने कहा कि आप राजा बलि को भाई बना लें और उनसे रक्षा का वचन लें।

तब माता लक्ष्मी ने एक महिला का रूप धारण किया और राजा बलि के पास गईं। रोती हुई महिला को देखकर बलि ने कारण पूछा। उन्होंने कहा कि उनका कोई भाई नहीं है। इस पर बलि ने उनको अपना धर्म बहन बनाने का प्रस्ताव दिया। जिस पर माता लक्ष्मी बलि को रक्षा सूत्र बांधीं और रक्षा का वचन लिया। दक्षिणा में उन्होंने बलि से भगवान विष्णु को मांग लिया।

इस प्रकार माता लक्ष्मी ने बलि को रक्षा सूत्र बांधकर भाई बनाया, साथ ही भगवान विष्णु को भी अपने दिए वचन से मुक्त करा लिया।

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