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Mahashivratri 2021: आज है महाशिवरात्रि, ऐसे करें शिव जी को प्रसन्न, जानें- पूजन मूहर्त व पूजा विधि

Arun Mishra
11 March 2021 2:37 AM GMT
Mahashivratri 2021: आज है महाशिवरात्रि, ऐसे करें शिव जी को प्रसन्न, जानें- पूजन मूहर्त व पूजा विधि
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जानें- महाशिवरात्रि से जुड़ी वो हर बात जो आपके लिए जानना जरूरी है.

हर साल फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाने वाली शिवरात्रि को साल की सबसे बड़ी शिवरात्रि के तौर पर जाना जाता है. इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है. हिंदू कैलेंडर के हिसाब से आज देशभर में महाशिवरात्रि मनाई जा रही है. मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही महादेव और पार्वती का विवाह हुआ था.

महादेव और माता पार्वती के मिलन का जश्न मनाने के लिए शिव के भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और विधि विधान से मातारानी और भोलेनाथ का पूजन करते हैं. महाशिवरात्रि की रात में जागरण का भी विशेष महत्व है. जानें महाशिवरात्रि से जुड़ी वो हर बात जो आपके लिए जानना जरूरी है.

महाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त

महाशिवरात्रि त्रयोदशी चतुर्दशी तिथि 11 मार्च 2021 को दोपहर 2 बजकर 41 मिनट से 12 मार्च दोपहर 3 बजकर 3 मिनट तक रहेगी. लेकिन महाशिवरात्रि का व्रत 11 मार्च को ही रखा जाएगा. इसी रात में जागरण का महत्व है क्योंकि 11 मार्च की रात चतुर्दशी तिथि की रात कहलाएगी.

ऐसे करें पूजन

महाशिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके भगवान के समक्ष हाथ में जल, अक्षत, पुष्प और दक्षिणा लेकर पहले व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान शिव का जलाभिषेक करें. घर में भगवान के सामने एक दीपक जलाएं और इसे अगली सुबह तक जलाकर रखें. इसके बाद भगवान को चंदन का तिलक लगाएं. उनकी पसंदीदा चीजें जैसे तीन बेलपत्र, भांग, धतूरा, जायफल, कमल गट्टे, अक्षत, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र और दक्षिणा चढ़ाएं. इसके बाद शिवचालीसा का पाठ करें. ॐ नमः शिवाय या ॐ नमो भगवते रूद्राय मंत्र का जाप करें. कम से कम एक माला से लेकर 5, 7, 11, 21, 51 या श्रद्धानुसार कर सकते हैं. इसके बाद भगवान की आरती करें. आखिर में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर प्रसाद बांटें.

पूजा के दौरान ये बातें रखें ध्यान तो जल्द प्रसन्न होंगे महादेव

1. महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग का पूजन जरूर करें. शास्त्रों में भी शिवलिंग के पूजन को अतिश्रेष्ठ माना गया है.

2. शिवलिंग का पूजन यदि प्रदोष काल में किया जाए तो अत्यंत उत्तम माना जाता है. मान्यता है कि प्रदोष काल में स्वयं भगवान शिव शिवलिंग पर विराजित रहते हैं. सूर्यास्त से करीब एक घंटे पहले और सूर्यास्त के करीब एक घंटे बाद का समय प्रदोष काल माना जाता है.

3. पूजन के दौरान महादेव को सफेद रंग का फूल अर्पित करें. संभव हो तो पूजा के दौरान खुद भी लाल या सफेद रंग के वस्त्र धारण करें.

4. बेलपत्र और धतूरा चढ़ाने से भी महादेव काफी प्रसन्न होते हैं. बेलपत्र चढ़ाने से पहले उस पर चंदन से ऊँ नमः शिवाय जरूर लिखें. साथ ही उन्हें अक्षत जरूर अर्पित करें.

5. महादेव की पूजा से पहले नंदी की पूजा करें और अगर संभव हो तो इस दिन किसी बैल को हरा चारा जरूर खिलाएं.

ये गलतियां भूलकर भी न करें

1. शिवलिंग पर चढ़ाई गई चीजों को बिल्कुल भी ग्रहण न करें.

2. महादेव का जलाभिषेक लोटे या किसी कलश से करें. शंख से भूलकर भी न करें.

3. महादेव की पूजा में तुलसी, चंपा या केतकी के फूल का प्रयोग न करें.

4. इस दिन किसी की बुराई, चुगली न करें. न ही किसी का अपमान करें.

5. पूजा के दौरान काले वस्त्र धारण न करें.

इसलिए मनाई जाती है महाशिवरात्रि

माना जाता है कि इस दिन माता पार्वती और शिव का विवाह हुआ था और शिवजी ने वैराग्य जीवन से गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था. शिव और शक्ति के मिलन के उत्सव के तौर पर महाशिवरात्रि के दिन भक्त व्रत और पूजन करके इस उत्सव को मनाते हैं और शिव और शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इसके अलावा एक कथा ये भी है कि एक बार सृष्टि के आरंभ में ब्रह्माजी और विष्णुजी के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद हो गया. इस विवाद के दौरान एक अग्नि स्तंभ प्रकट हुआ और आकाशवाणी हुई कि जो भी इस स्तंभ के आदि और अंत को जान लेगा, वो ही श्रेष्ठ कहलाएगा. सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा और जगत के पालनहार विष्णु, दोनों ने युगों तक इस स्तंभ के आदि और अंत को जानने का प्रयास किया, लेकिन नहीं जान सके.

तब विष्णु भगवान ने अपनी हार स्वीकार करते हुए अग्नि स्तंभ से रहस्य बताने की विनती की. तब भगवान शिव ने कहा कि श्रेष्ठ तो आप दोनों ही हैं, लेकिन मैं आदि और अंत से परे परबह्म हूं. इसके बाद विष्णु भगवान और ब्रह्मा जी ने उस अग्नि स्तंभ की पूजा अर्चना की और वो स्तंभ एक दिव्य ज्योतिर्लिंग में बदल गया. जिस दिन ये घटना घटी, उस दिन फाल्गुन मास की चतुर्दशी थी. तब शिव ने कहा कि इस दिन जो भी मेरा व्रत व पूजन करेगा, उसके सभी कष्ट दूर होंगे और मनोकामनाएं पूरी होंगी. तब से इस दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाने लगा.

रात में जागरण का है विशेष महत्व

वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो भी महाशिवरात्रि की रात बेहद खास होती है. दरअसल इस रात ग्रह का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार अवस्थित होता है कि मनुष्य के भीतर की ऊर्जा प्राकृतिक रूप से ऊपर की ओर जाने लगती है. यानी प्रकृति स्वयं मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने में मदद कर रही होती है. धार्मिक रूप से बात करें तो प्रकृति उस रात मनुष्य को परमात्मा से जोड़ती है. इसका पूरा लाभ लोगों को मिल सके इसलिए महाशिवरात्रि की रात में जागरण करने व रीढ़ की हड्डी सीधी करके ध्यान मुद्रा में बैठने की बात कही गई है.

ये उपाय भी आएंगे काम

आर्थिक संकट दूर करने के लिए : लंबे समय से परिवार में आर्थिक परेशानियां झेल रहे हैं तो 'ऊँ शं शिवाय शं ऊँ नमः' मंत्र का कम से कम 21 बार जाप करें. आप चाहें तो पांच, सात, 11 या 21 मालाएं भी कर सकते हैं. लेकिन जाप रुद्राक्ष की माला से ही करें. इसके अलावा बेलफल से हवन करें.

वैवाहिक जीवन में खुशियां लाने के लिए : अगर आपके वैवाहिक जीवन में किसी तरह की परेशानी है तो महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जल अर्पित करें और बेल के तने पर थोड़ा-सा घी चढ़ाएं. इसके अलावा 'ऊँ शिवाय नमः ऊँ' मंत्र का कम से कम 51 बार जाप करें.

बेहतर जीवनसाथी के लिए : अगर आपको बेहतर जीवनसाथी की तलाश है तो महाशिवरात्रि से बेहतर कोई दिन नहीं. ये दिन माता पार्वती और शिवजी के मिलन का दिन है. इस दिन माता पार्वती और महादेव दोनों की विधि विधान से पूजा करें. माता के समक्ष नारियल भेंट करें. इसके बाद 'निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाश वासं भजेऽहं' मंत्र का 11 या 21 बार जाप करें और भगवान से बेहतर जीवनसाथी के लिए प्रार्थना करें.

विशेष कार्य सिद्धि के लिए : अगर आप लंबे समय से किसी काम के लिए प्रयास कर रहे हैं और सफलता नहीं मिल पा रही है तो शिवरात्रि के पावन अवसर पर महादेव की विधिवत पूजा के साथ तिल से हवन करें और बेल के पेड़ का पूजन करें. 'ऊँ शं शंकराय भवोद्भवाय शं ऊँ नमः' मंत्र का जाप करें.

ऑफिस में बेहतर परफॉरमेंस के लिए : अगर ऑफिस में मेहनत के बावजूद आपको परिणाम नहीं मिल पा रहे हैं तो आप महाशिवरात्रि के दिन बालू, राख, गोबर, गुड़ और मक्खन मिलाकर एक छोटा-सा शिवलिंग बनाएं और इसका विधि विधान से पूजन करें. इस दौरान शिव जी के इस मंत्र का जाप करें- 'नमामिशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं'. पूजा के बाद सभी चीजों को उस दिन उसी स्थान पर रहने दें. अगले दिन नदी में प्रवाहित कर दें.

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