धर्म-कर्म

मंगलवार के दिन ये सभी उपाय और मंत्र करेंगे बजरंगबली को प्रसन्न

Shiv Kumar Mishra
7 Jun 2022 3:18 AM GMT
मंगलवार के दिन ये सभी उपाय और मंत्र करेंगे बजरंगबली को प्रसन्न
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हिंदू धर्म में हनुमान जी को मानने वाले भक्त अत्यधिक हैं। हनुमान जी सबसे ज़्यादा पूजे जाने वाले देवों में से एक हैं, जिन्हें अगर प्रसन्न कर लिया जाए तो ना जाने कितनी परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है। जीवन की कई बाधाएं हनुमान जी का नाम लेने भर से ही दूर हो जाती हैं।

कहते हैं कि इस धरा पर जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है उनमें बजरंगबली भी शामिल हैं। बजरंगबली सबसे बलवान और बुद्धिमान माने जाते हैं। उनके ना जाने कितने ही नाम हैं। अगर आपको हनुमान जी कृपा जल्द प्राप्त करना है तो आज हम आपको बताएंगे हनुमान जी को प्रसन्न करने के उपाय और कुछ खास मंत्रों के बारे में...

हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने के उपाय

लें राम का नाम

हनुमान जी के रोम-रोम में श्रीराम बसते हैं। इसलिए अगर बजरंगबली की कृपा हासिल करनी है तो दिन में कम से कम एक बार तो राम नाम जरूर जपें। माना जाता है कि इससे हनुमान जी बहुत प्रसन्न होते हैं।

हनुमान चालीसा पाठ

बजरंगबली को प्रसन्न करने का अचूक उपाय है हनुमान चालीसा का नियमित रूप से जाप करना। साथ ही बजरंग बाण का पाठ भी किया जा सकता है।

बूंदी के लड्डू

मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान जी की प्रतिमा को बूंदी के लड्डू का भोग लगाना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से पवन पुत्र हनुमान मनचाही इच्छा जरूर पूरी करते हैं।

सिंदूर अर्पित करें

अक्सर आपने देखा होगा कि मंदिरों में हनुमान जी की प्रतिमा का रंग सिंदूरी होता है। इसके पीछे का कारण यह है कि हनुमान जी को सिंदूर बहुत ज्यादा प्रिय है। अगर आप हनुमान जी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो उन्हें सिंदूर अर्पित करें। कहते हैं कि इस उपाय को करने से आने वाली हर बाधा दूर हो सकती है।

तुलसी पर राम लिख कर करें अर्पित

हनुमान जी को तुलसी अति प्रिय है। इसलिए उनके चरणों में हर मंगलवार, तुलसी के पत्ते पर सिंदूर से "श्रीराम" लिखकर अर्पित करें। मान्यता है कि इस उपाय से बजरंगबली प्रसन्न होते हैं और समस्त दुखों को हर लेते हैं।

इस मंत्र का करें जाप

• ॐ हं हनुमते नम:।'

• ''अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥''

• 'ॐ अंजनिसुताय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो मारुति प्रचोदयात्।'

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