
गंगा दशहरा पर इस मंत्र के जाप से कटेंगे पाप, पूजा के बाद पढ़ें आरती

हिंदू धर्म में मां गंगा की महिमा का बहुत बखान किया गया है। शास्त्रों में गंगा को 'पतित पावनी' कहा गया है। इसका मतलब है कि गंगा में आस्था की डुबकी लगाने से पापों का नाश होता है और पापी भी इहलोक में दोष से मुक्त हो जाते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार, गंगा दशहरा के दिन ही ऋषि भागीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा धरती पर आईं थीं।
मान्यता है कि इस दिन पवित्र गंगा में डुबकी लगाने वाले भक्त के सारे पाप कर्मों का नाश होता है और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। गंगा दशहरा के दिन गंगा में स्नान का विशेष महत्व है। यदि आप इस दिन गंगा में स्नान करने नहीं पहुंच पा रहे हैं तो घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करने से गंगा में डुबकी लगाने के समान फल प्राप्त होगा। गंगा दशहरा पर मां गंगा के इस मंत्र के जाप से कटेगें पाप और पूजा के बाद आरती पढ़ने से मां गंगा की कृपा प्राप्त होगी....
मां गंगा का मंत्र:
ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः गंगा आरती:
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता। जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता, ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता। चंद्र सी ज्योति तुम्हारी, जल निर्मल आता। शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता। ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता। पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता। कृपा दृष्टि हो तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता। ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता। एक बार जो प्राणी, शरण तेरी आता। यम की त्रास मिटाकर, परमगति पाता। ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता। आरति मातु तुम्हारी, जो नर नित गाता। सेवक वही सहज में, मुक्ति को पाता। ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।