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भवानी के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा की ऐसे करें पूजा तो होगी मनोकामना पूर्ण......
हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल की चतुर्थी तिथि को नवरात्रि का चौथा दिन होता है. इस दिन आदि शक्ति के भवानी के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा का विधान है. नवारित्र के 9 दिन मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है. मान्यता है कि मां कुष्मांडा की पूजा करने से आयु, यश, बल और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है. साथ ही, अगर मां कुष्मांडा की सच्चे दिल से पूजा की जाए,तो मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.
शास्त्रों के अनुसार मां कुष्मांडा संसार को अनेक कष्टों और संकटों से मुक्ति दिलाती हैं. इस दिन लाल रंग के फूलों से पूजा करने का विधान है. ऐसा माना जाता है कि मां को लाल रंग के फूल बेहद प्रिय हैं. कहते हैं कि मां कुष्मांडा की पूजा के बाद दुर्गा चालीसा और मां दुर्गा की आरती अवश्य करनी चाहिए. बता दें कि मां कुष्मांडा को अष्टभुजा वाली भी कहा जाता है. आइए जानते हैं मां कुष्मांडा की कथा और भोग के बारे में.
नवरात्रि चौथे दिन की व्रत कथा
नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है. कहते हैं कि इस दिन मां की व्रत कथा पढ़ने और सुनने से ही शुभ फलों की प्राप्ति होती है. मां कुष्मांडा का जन्म दैत्यों के संहार के लिए हुआ था. पुराणों के अनुसार कुष्मांडा का अर्थ कुम्हाड़ा होता है. मां का वाहन सिंह है. मान्यता है कि मां की विधिवत्त पूजा करने से बल, यश और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि मां कुष्मांडा को मालपुए बहुत प्रिय हैं. इसलिए अगर उन्हें मालपुए का भोग लगाया जाए,तो वे बहुत जल्द प्रसन्न हो जाती हैं.
नवरात्रि 2022 चौथ दिन का रंग
मां कूष्मांडा को पीला रंग बेहद प्रिय है इसलिए इस दिन मां को पीले रंग के वस्त्र, पीली चूड़ी, पीली मिठाई आदि चीजें अर्पित करें. इससे मां जल्दी प्रसन्न होती हैं.
मां कूष्मांडा का प्रिय फूल पुराणों के अनुसार देवी कूष्मांडा को पीले रंग का कमल बेहद पसंद है. मान्यता है कि अगर इसे मां कुष्मांडा को अर्पित किया जाए, तो साधक को अच्छे स्वास्थ का आशीर्वाद प्राप्त होता है.