धर्म-कर्म

ऐसे करें मां कालरात्रि के सातवें स्वरूप की पूजा, माँ के साथ सेल्फ़ी करें अपलोड और पाएं इनाम

Shiv Kumar Mishra
2 Oct 2022 5:04 AM GMT
ऐसे करें मां कालरात्रि के सातवें स्वरूप की पूजा, माँ के साथ सेल्फ़ी करें अपलोड और पाएं इनाम
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एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥

दुर्गा जी का सातवां स्वरूप मां कालरात्रि है। इनका रंग काला होने के कारण ही इन्हें कालरात्रि कहा गया और असुरों के राजा रक्तबीज का वध करने के लिए देवी दुर्गा ने अपने तेज से इन्हें उत्पन्न किया था। इनकी पूजा शुभ फलदायी होने के कारण इन्हें शुभंकारी भी कहते हैं।

नवरात्रि के सातवें दिन यानी महासप्तमी को माता कालरात्रि की पूजा की जाती है। जैसा उनका नाम है, वैसा ही उनका रूप है। खुले बालों में अमावस की रात से भी काली, मां कालरात्रि की छवि देखकर ही भूत-प्रेत भाग जाते हैं। खुले बालों वाली यह माता गर्दभ पर बैठी हुई हैं। इनके श्वांस से भयंकर अग्नि निकलती है।

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इतना भयंकर रूप होने के बाद भी वे एक हाथ से भक्तों को अभय दे रही हैं। मधु कैटभ को मारने में मां का ही योगदान था। मां का भय उत्पन्न करने वाला रूप केवल दुष्टों के लिए है। अपने भक्तों के लिए मां अत्यंत ही शुभ फलदायी हैं। कई जगह इन्हें शुभकंरी नाम से भी जाना जाता है।

माँ कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं। दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं। इनके उपासकों को अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय आदि कभी नहीं होते।

इनकी कृपा से वह सर्वथा भय-मुक्त हो जाता है। इस दिन मां कालरात्रि की पूजा करने से सभी पाप धुल जाते हैं और रास्ते में आने वाली सभी बाधाएं पूरी तरह खत्म हो जाती हैं।



Shiv Kumar Mishra

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