विज्ञान

इसरो प्रमुख के सिवन ने 'व्रिक्रम लैंडर' की दी ताजा जानकारी,ये है 5 सवाल

Sujeet Kumar Gupta
8 Sep 2019 12:33 PM GMT
इसरो प्रमुख के सिवन ने व्रिक्रम लैंडर की दी ताजा जानकारी,ये है 5 सवाल
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इसरो के लिए बड़ी चुनौती अब लैंडर विक्रम की सही स्थिति का पता लगाना है

इसरो (ISRO) को चांद पर विक्रम लैंडर की स्थिति का पता चल गया है. ऑर्बिटर ने थर्मल इमेज कैमरा से उसकी तस्वीर ली है. हालांकि, उससे अभी कोई संचार स्थापित नहीं हो पाया है. ये भी खबर है कि विक्रम लैंडर लैंडिंग वाली तय जगह से 500 मीटर दूर पड़ा है. चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे ऑप्टिकल हाई रिजोल्यूशन कैमरा (OHRC) ने विक्रम लैंडर की तस्वीर ली है।

के सिवन ने ट्वीट कर ताजा जानकारी दी है कि "हमने पाया है कि VikramLander की चंद्र सतह पर और कक्षीय ने लैंडर की एक थर्मल छवि पर क्लिक किया है। लेकिन अभी तक कोई संचार नहीं है। हम संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। जल्द ही इसका संचार किया जाएगा"

हालांकि इसरो वैज्ञानिक ऑर्बिटर के जरिए विक्रम लैंडर को संदेश भेजने की कोशिश कर रहे हैं ताकि, उसका कम्युनिकेशन सिस्टम ऑन किया जा सके,बेंगलुरु स्थित इसरो सेंटर से लगातार विक्रम लैंडर और ऑर्बिटर को संदेश भेजा जा रहा है ताकि कम्युनिकेशन शुरू किया जा सके। भविष्य में विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर कितना काम करेंगे, इसका तो डेटा एनालिसिस के बाद ही पता चलेगा।

इसरो वैज्ञानिक अभी यह पता कर रहे हैं कि चांद की सतह से 2.1 किमी ऊंचाई पर विक्रम अपने तय मार्ग से क्यों भटका. इसकी एक वजह ये भी हो सकती है कि विक्रम लैंडर के साइड में लगे छोटे-छोटे 4 स्टीयरिंग इंजनों में से किसी एक ने काम न किया हो. इसकी वजह से विक्रम लैंडर अपने तय मार्ग से डेविएट हो गया. यहीं से सारी समस्या शुरू हुई, इसलिए वैज्ञानिक इसी प्वांइट की स्टडी कर रहे हैं.

इसके अलावा चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर में लगे ऑप्टिकल हाई रिजोल्यूशन कैमरा (OHRC) से विक्रम लैंडर की तस्वीर ली जाएगी. यह कैमरा चांद की सतह पर 0.3 मीटर यानी 1.08 फीट तक की ऊंचाई वाली किसी भी चीज की स्पष्ट तस्वीर ले सकता है।

इसरो के लिए बड़ी चुनौती अब लैंडर विक्रम की सही स्थिति का पता लगाना है. इसके अलावा 5 अहम सवाल हैं जिनका जवाब इसरो के वैज्ञानिकों को तलाशना है.

1. वैज्ञानिकों की पहली कोशिश ये पता लगाने की होगी कि विक्रम चांद की सतह पर लैंड कर पाया या नहीं?

2. विक्रम ने क्रैश किया या फिर सतह पर उतरने से पहले दिशा भटक गया?

3. अगर क्रैश किया तो कितना नुकसान हुआ है?

4. क्या विक्रम तक सूर्य की रोशनी पहुंच रही है?

5. क्या सोलर एनर्जी से विक्रम दोबारा काम कर पाएगा?

विज्ञान से दूर-दूर तक नाता ना रखने वाले भी चंद्रयान से चमत्कार होने का इंतजार कर रहे हैं. 24 घंटे पहले छाई निराशा के बीच आज आशा की कुछ रोशनी दिखने लगी है. संपर्क टूटने के 36 घंटे बाद लैंडर विक्रम की लोकेशन मिली है।

बतादें कि शुक्रवार रात डेढ़ बजे शुरू हुई विक्रम के सॉफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया सामान्य रफ्तार से आगे बढ़ रही थी। लैंडर विक्रम जब चांद की सतह से महज 2.1 किलोमीटर दूर रह गया था, तो अचानक इसरो के कंट्रोल रूम में सन्नाटा पसर गया। वैज्ञानिकों के चेहरे लटक गए। कुछ समझ नहीं आ रहा था कि हुआ क्या। दरअसल स्क्रीन पर आ रहे आंकड़े अचानक थम गए थे। तभी इसरो चीफ सिवन वहां बैठे पीएम मोदी की तरफ बढ़े। उन्होंने पीएम को ब्रीफ किया और बाहर निकल गए। इससे अटकलें लगने लगीं कि आखिर हुआ क्या है। कुछ ही देर में इसरो ने कंट्रोल रूप से अपनी लाइव स्ट्रीमिंग भी बंद कर दी। इससे बेचैनी और बढ़ गई।


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