खेलकूद

फॉर द टाइम बिंग रोजमर्रा की कई परेशानियों से निजात दिलाता है क्रिकेट

Shiv Kumar Mishra
11 July 2021 5:27 AM GMT
फॉर द टाइम बिंग रोजमर्रा की कई परेशानियों से निजात दिलाता है क्रिकेट
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विजय शंकर पाण्डेय

भारतीय क्रिकेट टीम के बल्ले से जितने रन नहीं बरसे, उससे ज्यादा तो आज बनारस में दिन भर पानी बरसा है... बताया जा रहा है कि पिछले चार दिनों में जुलाई के कोटे की आधी बारिश पूर्वांचल में हो चुकी है.... जाहिर है प्रकृति का रन रेट बनिस्बत टीम इंडिया बहुत बेहतर है... आज शाम होते होते करोड़ों चेहरे मायूस हो गए (होंगे)... भारत-पाकिस्तान के बीच बीते 16 जून को हुए मुक़ाबले को डिजिटल प्लेटफॉर्म हॉटस्टार पर एक वक्त में 1.2 करोड़ से ज़्यादा लोगों ने देखा.... इसी वजह से मैं करोड़ों का अनुमान लगा रहा हूं....

बहुत लाचारी न हो तो मैं पिछले कई सालों से टीवी नहीं देखता.... मगर सोशल साइटों पर बरस रहे आंसू... गुस्सा... और पछतावे को बड़ी शिद्दत से महसूस कर रहा हूं... 1975 और 79 का विश्वकप तो मुझे याद भी नहीं आता... इसकी सबसे बड़ी वजह तो यह है कि तब टीवी इतनी सहज सुलभ नहीं थी... अमेरिकी इंजीनियर मॉर्टिन कूपर का अविष्कार मोबाइल तब तक भारत पहुंचा ही नहीं था.... जाहिर है तब के बच्चों में आज की तरह क्रिकेट स्पिरिट नहीं थी... टीम इंडिया भी तब बैक बेंचर ही थी... टीम इंडिया तो 1983 में भी फिसड्डी ही आंकी जा रही थी.... मगर करिश्मा कर दिखाया कपिलदेव की कप्तानी और मोहिंदर अमरनाथ के हरफनमौला प्रदर्शन ने... यहीं से इंडिया पर क्रिकेट का जादू सर चढ़ कर बोलने लगा....

विश्वकप का चौथा संस्करण पहली बार इंग्लैंड से बाहर 1987 में भारत-पाकिस्तान में सांझे तौर पर आयोजित हुआ... यह मेजबानी ही अपने आप में भारत और पाकिस्तान की बहुत बड़ी जीत थी.... दरअसल 1983 का विश्वकप फाइनल देखने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष एनकेपी साल्वे न्योते पर पहुंचे..... उन्होंने बीसीसीआई के कई और सदस्यों के लिए ईसीबी से टिकट की मांग की तो उन्हें इनकार कर दिया गया.... साल्वे को यह बात नागवार लगी...

लंच के वक्त साल्वे ने पाकिस्तान क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के तत्कालीन चैयरमैन नूर खान से कहा- काश विश्वकप जैसे बड़े टूर्नामेंट भारत में भी होते... जवाब में नूर खान ने कहा - हम अपने देश में क्यों नहीं वर्ल्ड कप करवा सकते... इस पर साल्वे का जवाब था कि क्यों न भारत-पाकिस्तान मिल कर ऐसा आयोजन करें..... मगर यह सब इतना आसान नहीं था.... तब आईसीसी ने इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया को वीटो पॉवर दे ऱखा था.... ताकि विश्वकप इंग्लैंड से बाहर न जा सके...

इसके बाद भारत और पाकिस्तान ने विश्वकप के लिए एक ज्वाइंट कमेटी बनाई... साल्वे अध्यक्ष बनाए गए.... भारत ने आईसीसी को अपने पक्ष में लेने के लिए एक जानदार जुगत भिड़ाया.... भारत ने टेस्ट खेलने वाले देशों को इंग्लैंड से करीब 4 गुना ज्यादा तो वहीं टेस्ट ना खेलने वाले देशों को 5 गुना ज़्यादा रुपये देने की बात कही... तब 28 देश आईसीसी के सदस्य थे... इनमें से सिर्फ 7 देश टेस्ट क्रिकेट खेलते थे... जबकि 21 देशों को टेस्ट खेलने का दर्जा नहीं मिला था.... भारत के इस प्रस्ताव को सुनकर आईसीसी भी हैरान रह गई... भारत-पाकिस्तान ने साथ में आकर इस वर्ल्ड कप आयोजन की वोटिंग को 16-12 से जीत लिया.... जाहिर है इस आयोजन को लेकर भारतीयों का उत्साह चरम पर रहा होगा....

मेरे घर में भी ब्लैक ऐंड व्हाइट ही सही, टीवी आ चुकी थी.... तब के अखबारों में क्रिकेट पंडितों के लंबे चौड़े आर्टिकल छपे.... इंग्लैंड में तो मुकम्मल व्यवस्थित ढंग से मैच हो रहे थे.... वहां कई स्टेडियम बहुत करीब करीब हैं.... सो आवाजाही में भी टीमों को सहूलियत होती थी.... मगर भारतीय उपमहाद्वीप के बड़े क्षेत्रफल की वजह से क्या दिक्कत नहीं होगी.... मगर ढेर सारे पर, परंतु, लेकिन और अर्थात के बावजूद आयोजन हुआ.... बहुत शानदार ढंग से.... पहली बार 60 की बजाय 50-50 ओवरों के विश्वकप मैच हुए.... भारतीय और पाकिस्तानियों ने पूरे इत्मीनान से इसका लुत्फ भी उठाया.... लगभग महीने भर चले इस आयोजन के दौरान मैं और मेरा परिवार..... माता-पिता और भाई बहन... सब काम काज छोड़कर एक-एक मैच को इंज्वॉय किए....

सेमीफाइनल में भारत का मुकाबला इंग्लैंड से और पाकिस्तान का आस्ट्रेलिया होना क्लीयर हो गया.... आयोजन के लिए ताल से ताल मिलाकर चल रहे भारत-पाकिस्तान में अब पारंपरिक प्रतिद्वंद्विता कुलांचे भरने लगी... मेरे ज्यादातर दोस्तों की राय थी कि पाकिस्तान विश्वकप से अब बाहर हो जाता तो अच्छा रहता... पाकिस्तान में खेले गए सेमीफाइनल में आस्ट्रेलिया ने मेजबान टीम पराजित भी कर दिया.... टीम इंडिया समर्थकों की बांछे खिल गईं..... वृहत्तर कलकत्ता में जमकर आतिशबाजी हुई.... ऐसा लगा भारत ने फाइनल ही जीत लिया हो...

अगले दिन भारत का मुकाबला मुंबई में इंग्लैंड के साथ था.... दुर्भाग्य से इंग्लैंड ने भी मेजबान टीम भारत को विश्वकप से बाहर कर दिया... जवाब में पाकिस्तान से जश्न मनाए जाने की खबरें आईं....

इडेन गार्ड्न कोलकाता में 95,000 दर्शकों की मौजूदगी में इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया के बीच रिलायंस विश्वकप फाइनल खेला गया..... करीबी मुकाबले में आस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को 7 रनों से पराजित कर दिया.... क्रिकेट का जन्मदाता रहा है इंग्लैंड... तीन बार फाइनल तक पहुंचने के बावजूद इंग्लैंड एक बार भी कप नहीं जीत पाया है..... एक बार फाइनल तक पहुंचने वाला न्यूजीलैंड भी इस खिताब से अब तक दूर है......

खैर हमारी खुमारी तो रिलायंस कप सेमी फाइनल में टीम इंडिया के हारते ही उतर चुकी थी... ऐसा झटका लगा था कि कई दिनों तक मेरे दिमाग से इस पराजय की टीस निकल ही नहीं पा रही थी.... उसके बाद फिर कभी इत्मीनान से बैठकर टीवी पर क्रिकेट मैंने नहीं देखा...

कानपुर में रहने के दौरान बेटे की जिद पर ग्रीन पार्क में एक मैच देखने गया जरूर... मगर बोरियत होने पर बीच में ही छोड़कर चलते बना....

असल में क्रिकेट शाही खेल तो है ही.... इसे पैसे के करिश्मे ने और आकर्षक और रोमांचक बना दिया है.... डफ़ एंड फ़ेल्प के मुताबिक़ पिछले साल आईपीएल की ब्रांड वेल्यू 6.3 अरब डॉलर रही... जाहिर है इस बार का वर्ल्ड कप इससे आगे निकलने की कोशिश में रहा होगा.... कांटे के मुकाबलों में 10 सेकेंड के विज्ञापन के लिए लोग 25-25 लाख तक खर्च करने को लोग तैयार बैठे थे.... यह अब करोड़ों-अरबों का कारोबार है.... और धंधे की चांदी रहे इसलिए क्रिकेट के बुखार का संक्रमण बहुत सलीके से सुनियोजित ढंग से फैलाया जाता है.... मीडिया रही सही कसर पूरी कर देती है..... फिक्सिंग से लेकर सट्टे बाजार तक गुलजार रहते हैं....

क्रिकेट हमे कुछ पल..... कुछ दिन के लिए ही सहीं..... फॉर द टाइम बिंग रोजमर्रा की कई परेशानियों से निजात दिला देता है.... हम सारा टेंशन भूल कर यह तय करने में जुट जाते हैं कि गेंदबाजी किससे करवानी चहिए और फिल्डिंग कैसी होनी चाहिए... जरूरत पड़ने पर बल्लेबाजी के टिप्स भी देने लगते हैं..... कई लोगों को मौका मिले तो सीधे कमेंटेटर बॉक्स में सर्जिकल स्ट्राइक कर दें..... उनके सामने तो चीयर ब्वॉय क्या, चीयर गर्ल्स तक पानी मांगेगी..... यहां तक कि कई एक्सपर्ट तो सट्टा बाजार से लेकर मीडिया दरबार तक के कई गॉशिप्स से लबालब भर जाते हैं.... जाहिर है पैसा वसूल (?) हो जाता है.....

वैसे क्रिकेट वर्ल्ड कप में भी हर खिलाड़ी को ऐन मौके पर अपनी टीम (अपना देश) बदलने की छूट मिलनी चाहिए... बिलकुल सांसद विधायकों की तर्ज पर.... इससे क्रिकेट और क्रिकेटर का जबरदस्त विकास होगा... इसके बाद दिखेगा दुनिया के सबसे धनवान बीसीसीआई के कारोबारी भेजे का करिश्मा....

(फोटो - भारत की जीत के लिए वाराणसी में गंगा आरती करते साधु-संत. साभार - अमर उजाला)

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