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Special Coverage: क्या इंग्लैंड T-20 वर्ल्ड कप में 11 खिलाड़ियों के साथ खेल रहा था?

Shiv Kumar Mishra
15 Nov 2022 7:53 AM GMT
Special Coverage: क्या इंग्लैंड T-20 वर्ल्ड कप में 11 खिलाड़ियों के साथ खेल रहा था?
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कहते हैं नजरिया बदलोगे, नजारे बदल जाएंगे।

कहते हैं नजरिया बदलोगे, नजारे बदल जाएंगे। क्या इंग्लैंड T-20 वर्ल्ड कप में 11 खिलाड़ियों के साथ खेल रहा था? जी नहीं, उसके पास 11 की बजाय 18 प्लेयर्स थे जो एक ही वक्त मैदान पर मौजूद थे। समझ नहीं आया? आज लेखनबाजी आपके लिए बेहद रोचक विश्लेषण लाया है। एक ही सांस में पूरा पढ़ जाइएगा तो समझ आएगा कि भारत अंग्रेजों के सामने क्यों नहीं टिक पाया। यह सिर्फ एक मुकाबले में जीत की बात नहीं थी बल्कि 7 साल पहले के रणनीतिक बदलाव का नतीजा था।

इंग्लैंड 2022 टी-20 वर्ल्ड कप की चैंपियन रही। दुनिया ने देखा कि कैसे जोस बटलर की कप्तानी वाली टीम ने फीयरलेस और एग्रेसिव क्रिकेट खेलकर पाकिस्तान और भारत जैसी मजबूत टीमों को करारी शिकस्त दी। सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबले में इंग्लैंड के भले ही 11 खिलाड़ी मैदान पर उतरे थे, लेकिन वे 18 खिलाड़ियों के बराबर थे। टीम के 7 खिलाड़ी ऐसे थे जिनके रोल एक से ज्यादा थे। यानी कि वे आक्रामक बल्लेबाजी के साथ-साथ खौफनाक गेंदबाजी भी कर सकते थे।

2015 का ODI वर्ल्ड कप ऑस्ट्रेलिया में खेला गया था। इंग्लैंड इस वर्ल्ड कप के पहले ही राउंड में बाहर हो गई थी। इसके बाद इस टीम का कायापलट हो गया। यह टीम 2015 के बाद से 2 बार वर्ल्ड चैंपियन बन चुकी है। 2015 में इस टीम के कप्तान थे ऑयन मॉर्गन। इसी दौरान इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने अपनी टीम को नया रूप देने की बात ठानी। टीम में कई बदलाव हुए लेकिन कप्तान के तौर पर मॉर्गन को रहने दिया गया।

मॉर्गन और ECB की ये मुहिम रंग लाई और 2016 में भारत में खेले गए टी-20 विश्वकप में इंग्लैंड ने फाइनल में कदम रखा। उस वक्त वह जीत तो हासिल नहीं कर पाई, लेकिन फाइनल जरूर खेला। हालांकि फाइनल में ब्रेथवेट ने 4 गेंदों पर 4 छक्के लगाकर इंग्लैंड की जीत का ख्वाब तोड़ दिया। 2017 में खेली गई चैंपियंस ट्रॉफी में टीम सेमीफाइनल तक पहुंची। इसके बाद 2019 में इंग्लैंड ने न्यूजीलैंड को हराकर पहली बार वनडे वर्ल्ड कप जीता। जहां पर क्रिकेट पैदा हुआ, उसे पहला वनडे वर्ल्ड कप जीतने में इतने साल लग गए। अगर रणनीतिक बदलाव पहले हो जाते तो नतीजे भी जल्दी मिलते।

इस सफर में इंग्लैंड की टीम पूरी तरह बदल गई। टीम के पास 5 से ज्यादा ऐसे खिलाड़ी थे, जो बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों कर सकते थे। 2022 का वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले टीम की फॉर्म कोई खास नहीं थी। आयरलैंड के खिलाफ वर्ल्ड कप में टीम को हार भी मिली, लेकिन फिर जो वापसी हुई उसे दुनिया ने देखा। सोच कर देखिए, आयरलैंड से हारकर वर्ल्ड कप जीतना...! यूं ही नहीं इंग्लैंड को क्रिकेट का बाजीगर कहा जा रहा है।

इंग्लैंड की टीम एग्रेसिव क्रिकेट इसलिए खेल पा रही है, क्योंकि उनके खिलाड़ियों को भरोसा होता है कि टीम की बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में ज्यादा विकल्प हैं। एक छोटे से उदाहरण से समझिए। इंग्लैंड के पास इस वर्ल्ड कप में जोस बटलर और एलेक्स हेल्स के रूप में दोनों एग्रेसिव ओपनर थे। दोनों पावर-प्ले में बड़े-बड़े शॉट लगाते हैं। शुरुआती 6 ओवर में ही 60 से 70 रन बना लेते हैं। पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में हेल्स के आउट होने के बाद भी जोस बटलर ने 17 बॉल में 26 रन बनाए। ऐसा इसलिए क्योंकि बटलर को यकीन था कि मैं आउट भी हो गया तो आने वाला मेरा भाई संभाल लेगा।

दोनों ओपनर के आउट होने के बाद आने वाले बल्लेबाज फिल सॉल्ट, बेन स्टोक्स, हैरी ब्रूक, लियाम लिविंगस्टोन, मोईन अली, क्रिस वोक्स और सैम करन हैं। ये सभी बड़े शॉट खेलने में माहिर और काबिल हैं। इंग्लैंड के खिलाड़ी इसीलिए एग्रेसिव और बिना डर के खेलते हैं। भारत और पाकिस्तान की टीम में ऐसा नहीं है। वर्ल्ड कप में इंडिया और पाकिस्तान के ओपनर डिफेंसिव दिखे। इंग्लैंड के खिलाफ टीम इंडिया ने सेमीफाइनल के पावरप्ले में सिर्फ 38 बनाए थे। पूरे वर्ल्ड कप में भारतीय ओपनर्स ने पावरप्ले में 100 से भी कम के स्ट्राइक रेट से रन बनाए। रोहित शर्मा ने पावरप्ले में करीब 95 तो केएल राहुल ने लगभग 90 के स्ट्राइक रेट से स्कोर किया। क्या यह काफी था?

सूर्यकुमार यादव और हार्दिक पंड्या को छोड़ दें तो भारतीय टीम में 150 से ज्यादा स्ट्राइक रेट और पहली ही बॉल से फीयरलेस क्रिकेट खेलने वाला एक भी बल्लेबाज नजर नहीं आता। पाकिस्तान के साथ भी कुछ ऐसा ही है। बाबर आजम, मोहम्मद रिजवान, इफ्तिखार अहमद और शान मसूद। ये सभी पहली बॉल से बड़े शॉट नहीं लगा पाते। उन्हें पिच पर नजरें जमाने के लिए 10 बॉल से ज्यादा की जरूरत होती है। यहीं दोनों टीमें इंग्लैंड से मात खा जाती हैं। जब तक यह बदलेगा नहीं, किस्मत से हार मिटेगी नहीं।

इंग्लैंड के पास बेन स्टोक्स, लियाम लिविंगस्टोन, मोईन अली, क्रिस वोक्स, सैम करन, क्रिस जॉर्डन और आदिल रशीद के रूप में 7 बॉलिंग ऑप्शन थे। वहीं, भारत और पाकिस्तान के पास ऐसा नहीं था। ये दोनों टीमें 5 से 6 बॉलिंग ऑप्शन के साथ आई थीं। उस पर से भारत ने इंग्लैंड के आदिल रशीद से भी सीख नहीं ली। एक तरफ रशीद ने सेमीफाइनल और फाइनल में किफायती गेंदबाजी करते हुए विकेट चटकाए, वैसे ही लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल को टीम इंडिया ने बेंच पर बिठाए रखा।

टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और कोच अनिल कुंबले ने इस बारे में एक चैनल पर अपनी बात रखी है। कुंबले ने कहा- टी-20 वर्ल्ड कप की इस बार की विजेता और पिछले बार की विजेता ऑस्ट्रेलिया टीम को देखें तो दोनों ही टीमों में ऑलराउंडर्स की कमी नहीं है। इंग्लैंड टीम में 7वें नंबर पर लियाम लिविंगस्टोन बल्लेबजी करने आते हैं तो ऑस्ट्रेलिया में मार्कस स्टोइनिस छठे नंबर पर बल्लेबाजी करते के लिए आते हैं। दोनों ही खिलाड़ी कभी भी बल्ले और गेंद से मुकाबले का रुख बदल सकते हैं।

इस वर्ल्ड कप में छोटी-छोटी टीमों ने कई उलटफेर किए। सबसे बड़ा उलटफेर जिम्बाब्वे का था जिसने पाकिस्तान को हराया। इस मैच में भी ऐसे खिलाड़ी ने मैच बदला जो बल्लेबाजी के साथ गेंदबाजी भी करता है। मैच में सिकंदर रजा प्लेयर ऑफ द मैच थे। उन्होंने 4 ओवर में 25 रन देकर 3 विकेट झटके। रजा ने 66 मैच में 1259 रन बनाए हैं। इसके साथ ही उन्होंने 36 विकेट भी झटके हैं। भारत को अपनी टीम में ऐसे कम से कम 3 सिकंदर रजा चाहिए, जो अपने ऑल राउंड खेल से मैच बदल सकें।

फाइनल में जब आदिल रशीद और मोईन अली ट्रॉफी के साथ मंच पर मौजूद थे, तो खिलाड़ियों ने शैंपेन नहीं उड़ाया। उन्होंने अपने दोनों स्टार खिलाड़ियों की धार्मिक मान्यताओं का भरपूर सम्मान किया। जब यह दोनों खिलाड़ी मंच से चले गए, उसके बाद अंग्रेजों के ट्रेडिशनल स्टाइल में शराब की बोतलें उड़ा कर जश्न मनाया गया। जब खिलाड़ियों में आपस में इतना बेहतरीन तालमेल होता है तो उसका नतीजा क्रिकेट फील्ड पर नजर आता है।

इस वर्ल्ड कप ने हमें सिखाया है कि अगर वाइट बॉल क्रिकेट में अपनी किस्मत बदलनी है तो हर हाल में फीयरलेस क्रिकेट खेलना होगा। ऐसे में अश्विन और अक्षर पटेल जैसे बल्लेबाजों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। बतौर ओपनर केएल राहुल और रोहित शर्मा भी टीम की नैया पार नहीं लगा पाएंगे। भारत को ऐसे बल्लेबाज चाहिए जो पहली ही गेंद से बड़ा शॉट लगाने की क्षमता रखते हों। ऐसे बैटर जो बॉल 1 से विपक्षी टीमों पर दबाव बना सकें। क्या भारत अपने क्रिकेट खेलने के तरीके को बदलेगा? अगर नहीं तो अगले वर्ल्ड कप में एक और हार्टब्रेक के लिए तैयार रहें।

अगर इंग्लैंड से सीखेगा हिंदुस्तान

तो ही जीत से छू सकेगा आसमान

साभार Lekhanbaji

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