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दिल्ली HC का सराहनीय फैसला, अगर घर में बेटी बड़ी - तो वही घर की 'कर्ता धर्ता'
Special News Coverage
1 Feb 2016 8:12 AM GMT
नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने एक बेहद सराहनीय फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि जो बेटी घर में सबसे बड़ी होगी वही उस घर की 'कर्ता धर्ता' होगी। कोर्ट ने फैसला सुनाया कि- घर में जो सबसे बड़ा होगा वही उस घर का कर्ता होगा, फिर चाहे वह लड़की ही क्यों न हो। बता दें कि कोर्ट ने अपने फैसले में 'कर्ता' शब्द का ही प्रयोग किया है। समाज में बदलवा लाने वाला और बेटियो को बराबरी का हक़ दिलाने वाला यह फैसला जस्टिस नाजमी वजीरी ने सुनाया।
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के हवाले से कोर्ट ने कहा, अगर कोई पुरुष घर में पहले पैदा होने पर मुखिया का कामकाज संभाल सकता है तो ठीक उसी प्रकार औरत घर के मुखिया का काम संभल सकती है। हिंदू संयुक्त परिवार की किसी महिला को ऐसा करने से रोकने वाला कोई कानून भी नहीं है।'
हालांकि कोर्ट का मानना है कि मुखिया की भूमिका में रहते हुए पुरुषों के जिम्मे बड़े-बड़े काम आ जाते हैं। इतना ही नहीं, वे प्रॉपर्टी, रीति-रिवाज और मान्यताओं से लेकर परिवार के जटिल और अहम मुद्दों पर भी अपने फैसले लागू करने लगते हैं। इस लिहाज से यह फैसला पितृसत्तात्मक समाज की उस धारा पर चोट पहुंचता है और उसे तोड़ने वाला है।
आपको बता दें कि कोर्ट ने यह फैसला दिल्ली के एक कारोबारी परिवार की बड़ी बेटी की ओर से दाखिल याचिका कि सुनवाई के दौरान सुनाया। कारोबारी परिवार कि बड़ी बेटी ने पिता और तीन चाचाओं की मौत के बाद केस दायर कर दावा किया था कि वह घर की बड़ी बेटी है। इस लिहाज से घर कि मुखिया वही हो। याचिका में उसने अपने बड़े चचेरे भाई के दावे को चुनौती दी थी, जिसने खुद को कर्ता घोषित कर दिया था।
आपको जानकारी देते चले कि यह फैसला इसलिए अहम माना जा रहा है क्योकि साल 2005 में हिंदू सक्सेशन एक्ट में संशोधन कर धारा 6 जोड़ी गई थी। जिसके तहत महिलाओं को पैतृक संपत्ति में बराबर का अधिकार दिया गया था। पर घर के मुखिया के रूप में फैसले करने का अधिकार अब मिला।
यह फैसला सामाजिक बदलाव का प्रतीक है, मिसाल है। यह फैसला दर्शाता है कि जो बेटी पिता को कंधा दे सकती है, वह पिता की भूमिका में भी हो सकती है और किसी बेटे से कम नहीं। पुराने जमाने से यह प्रथा चली हां रही है कि घर का मुखिया पुरुष ही रहेगा फिर चाहे वह घर में सबसे छोटा ही क्यों न हो। लेकिन यह फैसला अब इस परंपरा को तोड़ने वाला है।
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