- होम
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- राष्ट्रीय+
- आर्थिक+
- मनोरंजन+
- खेलकूद
- स्वास्थ्य
- राजनीति
- नौकरी
- शिक्षा
Archived
स्टेनॉग्राफर का बेटा बना जज, पिता का सपना किया साकार
Special News Coverage
15 March 2016 2:38 PM GMT
नासिक : एक स्टेनॉग्राफर के बेटे विशाल अपने पिता की प्रेरणा का सहारा लेकर इस मुकाम तक पहुंचे और जज बनकर पिता का सपना साकार किया। कमजोर आर्थिक परिस्थितियों में भी मेहनत और लगन से किस तरह अपना लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है, इसका जीवंत उदाहरण हैं महाराष्ट्र के नासिक जिले के विशाल देशमुख।
विशाल के पिता विष्णु देशमुख मनमाड के लोअर कोर्ट में 30 साल तक स्टेनॉग्राफर थे। विष्णु ने अपना पूरा जीवन अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने के प्रयास में लगा दिया। उन्होंने ही विशाल को लॉ पढ़ने और जज बनने की प्रेरणा दी थी।
विशाल ने पुणे के आईएलएस लॉ कॉलेज से लॉ की पढ़ाई की। इसके बाद उसने मनमाड के लोअर कोर्ट में पांच साल तक प्रैक्टिस भी की। यह दौर विशाल के लिए काफी लाभकारी साबित हुआ। इस दौरान विशाल ने राज्य के फर्स्ट क्लास जिला मजिस्ट्रेट के पद के लिए महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग की परीक्षा भी दी। विशाल ने पहले प्रयास में ही यह परीक्षा पास कर ली और जज बनकर अपने पिता का सपना साकार कर दिया।
विशाल अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने अभिभावकों को देते हैं। विशाल का मानना है कि उनकी प्रेरणा और प्रयासों के अभाव में, वह कभी जज बनने के बारे में सोच भी नहीं सकते थे। विशाल का कहना है कि अगर आपके अन्दर निष्ठा है और आप कठिन परिश्रम कर सकते हैं तो गरीबी कभी भी बाधा नहीं बन सकती।
साभार : NBT
Special News Coverage
Next Story