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बरखा शर्मा खुदकशी केस : आठ साल बाद मंगेतर को मिली सात साल की सजा

बरेली (देशदीपक गंगवार) : बरेली कॉलेज की गेस्ट लेक्चरर बरखा शर्मा के बहुचर्चित खुदकशी मामले में अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश संजीव फौजदार की अदालत ने मंगेतर मानिक शर्मा को दोषी मानते हुए सात साल के सश्रम कारावास से दंडित किया है। साथ ही 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
आरोप था कि दहेज में तीन लाख रुपया न देने पर मानिक ने सगाई तोड़ने की धमकी दी थी। इससे आहत बरखा ने खुदकशी कर ली। विशेष न्यायालय ने साक्ष्य के अभाव में मानिक शर्मा की मां किरन शर्मा, भाई पारस शर्मा, बहन चांदनी शर्मा तथा भाभी गुड़िया शर्मा को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने व दहेज मांगने के जुर्म से बरी कर दिया है।
रामचन्द्रपुरम निवासी बरेली कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. वन्दना शर्मा ने थाना सुभाषनगर में पांच नवम्बर 2007 को 5 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट लिखाई थी कि उनकी छोटी बहन बरखा शर्मा की शादी वीके शर्मा के पुत्र मानिक शर्मा से तय हुई थी। उनकी सगाई की रस्म निवास पर चार नवंबर की सुबह 10 बजे होना थी, लेकिन मानिक शर्मा उसकी मां, बहन, भाभी तथा भाई ने बार-बार बुलाने पर कहा कि जब तक तीन लाख रुपये नहीं मिलेंगे सगाई नहीं होगी। जब वर पक्ष के उपरोक्त रिश्तेदारों ने कहा कि यह उनकी इज्जत की बात है तब एक लाख रुपये तथा सामान देने की बात हुई। साथ ही सगाई की रस्म के फौरन बाद दो लाख रुपया देने को कहा नहीं तो सगाई खत्म समझो, यह सारी बात मृतका बरखा ने सुन ली।
उसी रात 10 बजे बरखा ने अपने मंगेतर मानिक शर्मा से फोन पर बात की, मानिक शर्मा दहेज की मांग पर अड़ा रहा। अगले दिन सुबह 9 बजे बरखा की लाश पंखे से लटकी मिली थी। घर पर छोड़े सुसाइड नोट में बरखा ने अपनी मौत का जिम्मेदार मानिक शर्मा को ठहराया था। आठ साल की कानूनी लड़ाई के पश्चात शनिवार को इस मुकदमे का फैसला किया गया है।
अभियोजन की ओर से एडीजीसी राजपाल सिंह यादव व मृतका के परिवार के निजी अधिवक्ता विवेक सहगल व मुरादाबाद से आए उनके अधिवक्ता संजीव राघव ने बताया कि डॉ. वन्दना शर्मा जो बरेली कालेज में प्रोफेसर के पद पर हैं उनके अलावा डॉ. टीएस आर्या, बहिन कु. विवेक शर्मा, पिता शिवकुमार शर्मा, तहेरा भाई दीपक कुमार शर्मा सहित सात गवाह गवाही में पेश किए गए थे।
मृतका द्वारा मृत्यु पूर्व लिखा सुसाइड नोट भी न्यायालय में पेश किया गया। सभी अभिलेख व गवाहों के बयानों के आधार पर विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण प्रथम द्वारा मृतका के मंगेतर को सात साल की कैद व 20 हजार रुपया व दहेज मांगने के जुर्म में दहेज प्रतिषेध कानून के तहत एक साल की सजा से दंडित किया गया है। दोनों सजाएं साथ-साथ चलेगी। अदालत ने साक्ष्य के अभाव में अन्य सभी आरोपियों को जुर्म से बरी कर दिया।
परिवार को मिला न्याय :
दहेज की भेंट चढ़ी बरखा की लड़ाई विश्वनाथ पुरम के शर्मा परिवार ने खूब लड़ी। शनिवार को अदालत फैसला होने के बाद सभी परिजनों ने सजा पर तसल्ली जताई। परिजनों का कहना है कि उनके बरखा तो नहीं आ सकती लेकिन जो उसकी मौत के लिए जिम्मेदार बने, उन्हें जेल होने से इस तरह के अन्य गुनहगारों को भी सबक मिलेगा।

बरखा का सुसाइड नोट : -
रेसपेक्टेड मम्मी पापा दीदी और मुझसे सभी बड़े मैं पूरे होशोहवास में अपनी इच्छा से मौत को गले लगा रही हूं। मैं जानती हूं कि मैं ये क्या कर रही हूं। मेरे इस फैसले में मेरे मम्मी पापा तथा परिवार वालों की कोई गलती नहीं है। गलती है तो सिर्फ उस इंसान की जिसे मैंने खुद से ज्यादा चाहा। जिसे अपना भगवान बेस्ट फ्रेंड माना। उसके लिए सबकुछ सहा। मगर मैं जानती हूं कि वो सिर्फ और सिर्फ पैसे से प्यार करता है, मुझसे नहीं। मैंने कभी नहीं चाहा था कि इस तरह से अपनी जिंदगी का अंत करूंगी। मगर आज इस दहेज रूपी दानव ने मुझे भी निगल लिया। मानिक आप जिंदगी में हमेशा सच्चे प्यार के लिए तरसेंगे। मगर आपको कभी सच्चा प्यार नहीं मिलेगा। आइ एम सॉरी मम्मी, आइ एम सॉरी पापा, आइ एम सॉरी दी। प्लीज मुझे माफ कर देना। आइ लव यू ऑल । आपकी नासमझ बेटी, बहन.. बरखा।
कब क्या हुआ : ---
मई 2007 :- बरखा का वैवाहिक विज्ञापन छपा
जून 2007 :- मानिक शर्मा से रिश्ता तय हुआ
04 नवंबर 2007 :- उठापटक के बीच सगाई
05 नवंबर 2007 :- बरखा ने किया सुसाइड मुकदमा और आरोपियों की गिरफ्तारी
वर्ष 2008 :- चार्जशीट दाखिल और कोर्ट कार्रवाई शुरू
05 दिसंबर 2015 :- मामले में फैसला
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