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बाबा विश्वनाथ मंदिर में लागू हुआ ड्रेस कोड, विदेशी महिलाओं को साड़ी पहनने पर ही होंगे दर्शन

Special News Coverage
23 Nov 2015 9:33 AM GMT
kashi vishwanath


वाराणसी : बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक उत्त्तर प्रदेश के काशी विश्वनाथ मंदिर में विदेशी सैलानियों के लिए ड्रेस कोड लागू कर दिया गया है। ये ड्रेस कोड विशेष करके विदेशी महिलाओं के लिए हैं। इसके अंतर्गत वे मंदिर परिसर में हाफ पैंट, कैप्री या मिनी स्कर्ट पहनकर नहीं जा सकेंगी। ऐसी ड्रेस में आने वाली विदेशी महिलाओं से कहा जाएगा कि वे चेंजिग रूम में ऊपर से साड़ी पहन लें।

अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी पीएन दि्वेदी ने बताया कि मंदिर परिसर में दर्शन-पूजन के दौरान विदेशी महिलाएं कम कपड़ों में जाती थीं। इसी पर लोगों काे एतराज था। अब उन पर रोक लगाई गई है। उनके लिए विश्वनाथ मंदिर पुलिस चौकी के पास चेंजिंग रूम बनाया जाएगा। वहां साड़ियां रखी जाएंगी। मंदिर परिसर के काउंटर के पास भी साड़ियों का इंतजाम किया गया है। इसके अलावा जो भारतीय श्रद्धालु आरती के दौरान हाफ पैंट पहनकर पहुंच जाते हैं, उन पर भी रोक लग सकती है। बेल्ट लगाकर मंदिर में आने पर पहले से ही बैन है।

दरअसल, बीते कई दिनों से यह बाते सामने आ रही थी कि विदेशी महिलाएं मंदिर में पश्चिमी परिधानों में ही आ जाती हैं। स्थानीय संगठनों ने इसे भारतीय संस्कृति के लिहाज से गलत बताया था। इसके बाद शनिवार को कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण ने मंदिर परिसर का जायजा लिया। इसके बाद ये फैसला लिया गया कि मंदिर में ऐसे कपड़े पहनकर एंट्री करने पर रोक लगाई जाए, जिससे भारतीय गरिमा को ठेस पहुंचती हो।

बता दें कि हर दिन इस मंदिर में 60 हजार श्रद्धालु आते हैं। इनमें 3000 विदेशी होते हैं। हालांकि, यह साफ नहीं है कि क्या मंदिर में आने वाली भारतीय महिलाओं के लिए भी इसी तरह के नियम बनाए गए हैं?

क्या कहते हैं विदेशी श्रद्धालु?
<०> काशी घूमने आईं अमेरिकी टूरिस्ट लाइंस मूरी ने बताया कि भारतीय संस्कृति का अहम लिबास साड़ी है। अगर इसे हमारे लिए लागू किया जा रहा है, तो यह एक अच्छी कोशिश है।

<०>अमेरि‍का की ही ब्रूनी मिल्स ने कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर की पहचान पूरे विश्व में है। विदेशी महिलाओं पर ड्रेस कोड लागू करना सही है, क्योंकि हर देश की संस्कृति अलग है। मंदिर में कम कपड़े पहनकर जाने से भारतीय महिलाएं शर्माती हैं। अब विदेशी महिलाएं भी साड़ी पहनेंगी तो अलग पहचान बनेगी।

<०> जर्मनी की स्टेविया की मानें तो यह पहल अच्छी है, लेकिन जिला प्रशासन को चेंजिंग रूम के पास खास नजर रखनी होगी ताकि कोई बदसलूकी न होने पाए।
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