
Archived
2017 में बीजेपी इस तरह भेदेगी 'टीपू सुल्तान' का किला
Special News Coverage
16 March 2016 8:07 AM IST

लखनऊ
बीजेपी ने बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद यूपी में अपने प्लान में बड़े बदलाव किए हैं। बिहार चुनाव में बीजेपी ने स्थानीय नेतृत्व को अधिक तवज्जो नहीं दी थी। बाहरी नेताओं से पूरा बिहार पटा था। कार्यकर्ताओं में रोष था और विपक्षी दलों ने इस बात को लेकर बीजेपी पर हमले भी किए थे। इसका असर चुनाव परिणाम पर पड़ा। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पार्टी यह गलती नहीं करना चाहती है। इसीलिए पार्टी ने विधायकों, सांसदों तथा क्षेत्रीय व जिला पदाधिकारियों को पूरा महत्व देते हुए उनसे निरन्तर संवाद का सिलसिला बना रखा है।
यूपी की कमान राजनाथ को होंगे किसान चेहरा
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तथा केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की क्षेत्रीय रैलियों के जरिए चुनावी माहौल गरमाने की योजना इसी रणनीति का एक हिस्सा है। पार्टी राजनाथ सिंह के किसान चेहरे का लाभ लेकर यूपी की लड़ाई को नया आयाम देना चाहती है। स्थानीय नेतृत्व के रूप में राजनाथ सिंह को खास महत्व दिया जा रहा है। लोकसभा चुनाव से पहले मोदी ने राजनाथ सिंह के साथ ही विजय शंखनाद रैलियां सम्बोधित करके कांग्रेस के विरुद्ध माहौल बनाया था। इसी कहानी को फिर दोहराने की तैयारी है। अभी हाल में अमित शाह के साथ यूपी के वरिष्ठ भाजपा नेताओं की बैठक में तय हुआ था कि शाह और राजनाथ सिंह की हर महीने रैली आयोजित की जाए।
राजनाथ की रैलियों की घोषणा से सरगर्मियां बढ़ीं
पार्टी सूत्रों के मानें तो रणनीति के तहत प्रधानमंत्री मोदी की रैलियों हर दो महीने में होंगी। राजनाथ की रैलियों की घोषणा करके बीजेपी ने यह संकेत दे दिया है कि रणनीतिक रूप से यूपी का प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष चाहे किसी को बनाया जाए और सीएम पद के लिए चाहे कोई चेहरा आगे किया जाए मगर यूपी में राजनाथ सिंह ही बीजेपी के सर्वोपरि नेता हैं। उनकी रैलियों की घोषणा से चुनाव तैयारियों में पीछे चल रही भाजपा एक झटके में अन्य दलों के मुकाबले में खड़ी हो गई है। वैसे भी, यूपी की लड़ाई अतिपिछड़े वोटों के इर्दगिर्द सिमटने के आसार दिखायी पड़ रहे हैं।
Share this:
Next Story