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साहित्य : ख़्वाबों में तू है, ख़यालों में तू है  मीठे में तू है मसालों में तू है

साहित्य : ख़्वाबों में तू है, ख़यालों में तू है मीठे में तू है मसालों में तू है

जाने क़िस्मत में क्या लेखनी पायी है जाने ये सोच मुझे कहाँ ले आयी है मैं भटक रहा हूँ विचारों में अपने जाने ये प्रेम की कैसी रुसवाई है..

16 Oct 2021 6:50 AM GMT