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आजादी के 74 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे ग्रामीण

Shiv Kumar Mishra
9 Oct 2021 10:35 PM IST
आजादी के 74 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे ग्रामीण
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चुनाव जीत जाने के बाद सरकार के प्रतिनिधियों से दलित बस्ती के लोगो को मिला केवल धोखा

कौशांबी आजादी के बाद से आज तक गांव में मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच सकी है विकास की बातें कांग्रेस की सरकार से लेकर समाजवादी पार्टी भारतीय जनता पार्टी बहुजन समाज पार्टी सहित सभी सरकार के नेताओं ने किया है जिले की जनता ने इंद्रजीत सरोज को बसपा शासनकाल में विधायक बना कर भेजा बहुजन समाज पार्टी ने उन्हें सूबे की सरकार में कबीना मंत्री बनाया लेकिन दलित बाहुल्य इस गांव में मूलभूत सुविधाओं की किरण फिर भी नहीं पहुंच सकी.

समय-समय पर सरकारे बदलती रही नेताओं के झूठे वादे जनता को मिलते रहे लेकिन सुविधाओं के नाम पर दलित बस्ती के लोगों को केवल नेताओं से ठेंगा मिला है गांव की जनता ने समाजवादी पार्टी के नेताओं को भी मौका दिया और कांग्रेस पार्टी के नेताओं को भी मौका दिया लेकिन मौका मिलने के बाद इन नेताओं का रंग बदल गया इतना ही नहीं भाजपा की सरकार में कौशांबी के रहने वाले डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य उप मुख्यमंत्री बनाए गए लेकिन दलित बस्ती के लोगों का दुर्भाग्य पीछा नहीं छोड़ सका और दलित बस्ती में मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच सकी हैं हम चर्चा कर रहे हैं चायल तहसील क्षेत्र के उदाथु गांव के मजरा पूर्वा डेरा का है.

पासी बिरादरी बाहुल्य पुर्वा डेरा गांव में ग्रामीणों को आने जाने के लिए खड़ंजा और सड़क नहीं मिल सकी है आजादी के 74 साल बाद भी पगडंडी और चकरोड के सहारे ग्रामीण घर पहुंचते हैं गांव में पीने के पानी की व्यवस्था पर्याप्त नहीं है बदलते परिवेश में कुएं सूख गए हैं पर्याप्त मात्रा में हैंडपंप नहीं लगाएगा और जो हैंडपंप लगाए गए हैं उनमें कई हैंडपंप ने पानी देना बंद कर दिया है इससे ग्रामीणों के सामने पीने के पानी की भी समस्या बरकरार है गांव में जल निकासी के लिए नाले नाली का निर्माण ठीक ढंग से नहीं हो सका है जिससे गांव में निकलने वाला गंदा पानी लोगों के घरों के सामने भरा रहता है बरसात का पानी गांव से नहीं निकल पाता है और कीचड़ बनकर चकरोड और पगडंडियों में भरा रहता है.

जिससे ग्रामीणों को दिक्कतों से जूझना पड़ता है इलाज के नाम पर लोगों को 7 किलोमीटर दूर चरवा अस्पताल पहुंचना पड़ता है रास्ता न होने से मरीज ले जाने में भी ग्रामीणों को दिक्कते होती है लेकिन मरीजों को इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए किसी सरकार के प्रतिनिधियों ने बीड़ा नहीं उठाया कहने के लिए तो स्वास्थ्य विभाग ने एएनएम की तैनाती गांव में की है लेकिन कभी गांव आना उनका नहीं होता है इतना ही नहीं किसानों के खेतों की फसलों की सिंचाई के लिए सरकारी नलकूप की व्यवस्था भी सरकार द्वारा नहीं की गई है सूबे में कांग्रेस समाजवादी पार्टी बसपा भाजपा सभी की सरकारें प्रतिनिधित्व कर चुकी है लेकिन इस पुर्वा डेरा की जनता को केवल कोरा आश्वासन मिला है.

दलित बाहुल्य इस गांव में रोजगार के साधन नहीं है खेती किसानी और मजदूरी के सहारे ग्रामीण जीविकोपार्जन कर रहे हैं इस गांव में छोटे किसान है जिससे उनके खेतों की उपज से उनके परिवार का जीविकोपार्जन नहीं चल पाता है चरवा छेत्र के पुर्वा डेरा की स्थिति देखकर विकास का अंदाजा लगाया जा सकता है ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने चुनाव के समय सभी सरकार के प्रतिनिधियों की बातों को सुना और सभी सरकार के प्रतिनिधियों ने विकास का वादा किया लेकिन चुनाव जीत जाने के बाद सरकार के प्रतिनिधियों से उन्हें केवल धोखा मिला है और प्रतिनिधियों के कोरा आश्वासन और धोखा खाते खाते वह आजिज आ चुके हैं ग्रामीणों ने एक बार फिर सरकार से गांव में नाली सड़क खड़ंजा पीने के पानी और सरकारी नलकूप आदि मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की है.

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