![](/images/clear-button-white.png)
- होम
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- राष्ट्रीय+
- आर्थिक+
- मनोरंजन+
- खेलकूद
- स्वास्थ्य
- राजनीति
- नौकरी
- शिक्षा
- Home
- /
- Top Stories
- /
- नाइजीरिया यूनिवर्सिटी...
नाइजीरिया यूनिवर्सिटी मे आगरा स्टूडेंट का जलवा, 12 साल की उम्र में दो बार मिली डॉक्टरेट की उपाधि
![A student from Agra University of Nigeria got doctorate degree twice at the age of 12. A student from Agra University of Nigeria got doctorate degree twice at the age of 12.](https://www.specialcoveragenews.in/h-upload/2023/10/24/387487-university-of-nigeria.webp)
नाइजीरिया यूनिवर्सिटी मे आगरा स्टूडेंट का जलवा, 12 साल की उम्र में दो बार मिली डॉक्टरेट की उपाधि
उत्तर प्रदेश की ताजनगरी आगरा के 12 साल के बच्चे को नाइजीरिया की अल्सा यूनिवर्सिटी ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की है। यह उपाधि इस बच्चे को दोबारा मिली है। आइए जानते हैं कौन है ये 12 साल का बच्चा?
ताजनगरी के गांव बरारा के रहने वाले किसान के 12 साल के बेटे देवांश धनगर को इतनी कम उम्र में दूसरी बार डाक्टरेट की मानद उपाधि मिली है। यह उपाधि नाइजीरिया की अल्सा यूनिवर्सिटी ने दी है। इससे पहले उन्हें अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी थी। नाइजीरिया से डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिलने से बच्चे के परिजनों में खुशी छाई है। वहीं आस-पड़ोस समेत रिश्तेदार भी घर पहुंचकर उसे बधाइयां दे रहे हैं। परिजनों के अनुसार देवांश ने 12 साल की उम्र में 12वीं की परीक्षा पास कर ली। इसके साथ ही घर पर जेईई (मेंस) की तैयारी भी पूरी की। जेईई मेंस को देवांश ने 99.91% परसेंटाइल के साथ क्वालिफाई किया।
आगरा में किसान के लाड़ले ने ऐसा कमाल किया कि सुनने वाले भी हैरान रह गए। जिस उम्र में सामान्य बच्चे सातवीं में पढ़ते हैं, उसमें देवांश ने 99.91 परसेंटाइल पाकर लोगों को हैरान कर दिया। पढ़े लिखे किसान दंपति के होनहार बेटे की हर जगह चर्चा हो रही है। आपको बता दें कि 12 वर्ष की उम्र में देवांश ने 12वीं परीक्षा के साथ-साथ जेईई मेंस में 99.91% प्राप्त किया। कुछ महीने पहले अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी ने देवांश धनगर को डॉक्टर की मानद उपाधि दी थी। देवांश धनगर जो कभी स्कूल ही नहीं गया और गरीब बच्चों को निशुल्क कोडिंग की शिक्षा देता है। पूरे भारतवर्ष में अब तक लगभग 700 से अधिक बच्चों को फ्री कोडिंग सिखा चुका है।
किसानी करते हैं देवांश के माता-पिता, 10वीं की परीक्षा में मिले 80 फीसदी अंक
गांव बरारा में रहने वाले 12 साल के देवांश के माता-पिता किसान हैं। देवांश के पिता लाखन सिंह बताते हैं “विलक्षण प्रतिभा के धनी देवांश धनगर का जन्म साल 2010 में 27 नवंबर को हुआ था। देवांश ने हल्की उम्र में ही घर में रहकर प्राथमिक पढ़ाई पूरी कर ली। इसके बाद साल 2021 में मात्र 11 साल की उम्र में बोदला स्थित सुंदर लाल मेमोरियल हायर सेकेंडरी स्कूल से यूपी बोर्ड के तहत दसवीं की परीक्षा 80 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण की। इसके बाद 11वीं में सीबीएसई बोर्ड के आरके इंटर कालेज अलबतिया में प्रवेश लिया और घर पर ही इंजीनियरिंग की तैयारी शुरू कर दी। जनवरी में जेईई (मेंस) की परीक्षा में 89 परसेंटाइल मिले। इसके बाद देवांश ने अप्रैल में दोबारा परीक्षा दी। इसके परिणाम में देवांश को 99.91 परसेंटाइल मिले। 12वीं के परीक्षा परिणाम का इंतजार कर रहे देवांश ने जेईई एडवांस की तैयारी शुरू कर दी है।
नोएडा से नौकरी छोड़कर गांव में बसे थे पिता लाखन
देवांश के पिता लाखन सिंह की अपनी अलग कहानी है। आरबीएस खंदारी से 1999 में एमसीए करने के बाद नोएडा में नौकरी शुरू की। पहले पिता चल बसे और फिर मां। घर संभालने के लिए वापस गांव लौटे, लेकिन आर्थिक संकट ने घेर लिया। इसके बाद उन्होंने घर में बच्चों को ट्यूशन देना शुरू किया। दूसरों के बच्चों को पढ़ाने के साथ अपने बेटे को भी पढ़ाया। बेटे की सफलता पर लाखन सिंह कहते हैं कि अब उसमें ही अपना भविष्य देखता हूं।
कोडिंग का मास्टर है देवांश, अपने दादा के नाम पर खोली अकादमी
कोडिंग के मास्टर देवांश धनगर ने एक आवासीय अकादमी की स्थापना की जिसका नाम अपने दादा के नाम के साथ श्री गिर्राज देवांश एकेडमी रखा है। उसके नाम कई राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार है। भारत का यह पहला विद्यार्थी है। जिसने इतनी कम उम्र में जी मैंस जैसी परीक्षा 99.9% बिना किसी कोचिंग के प्राप्त की। देवांश को कोडिंग में महारत हासिल है। उसे कई पुरस्कार मिल चुके हैं। देवांश भविष्य की योजनाओं पर बताते हैं कि आइआइटी से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग कर देवांश कैंब्रिज यूनिवर्सिटी, अमेरिका से पढ़ाई करना चाहते हैं और आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों के लिए देवांश एक एजूकेशन कंपनी खोलना चाहते हैं।
![Sonali kesarwani Sonali kesarwani](/images/authorplaceholder.jpg?type=1&v=2)