Top Stories

साबरमती आश्रम के मौलिक स्वरूप पर हमला

सुजीत गुप्ता
1 Oct 2021 12:23 PM GMT
साबरमती आश्रम के मौलिक स्वरूप पर हमला
x
साबरमती आश्रम के मौलिक स्वरूप पर हमला, 2 अक्टूबर को विरोध में गांधी जन करेंगे उपवास

प्रसून लतांत

नई दिल्ली। गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे स्थित महात्मा गांधी के विश्वविख्यात साबरमती आश्रम के मौलिक स्वरूप को उजाड़ने की सरकारी कार्रवाई शुरू हो गई है। आश्रम में निवास कर रहे परिवार को आश्रम को छोड़ कर कहीं और जाने के लिए कह दिया गया है। उन्हें मुआवजा देने या वैकल्पिक घर दिए जाने की बात भी चल रही है। महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम के मौलिक स्वरूप को उजाड़ने की कार्रवाई का देश विदेश के गांधी जन विरोध कर रहे हैं। आगामी 2 अक्टूबर को उसके विरोध में गांधी जन उपवास करेंगे।

सरकार इस आश्रम को वर्ल्ड क्लास बनाने के मकसद से साबरमती आश्रम प्रोजेक्ट बना चुकी है। इसको बनाते समय सरकार ने किसी भी गांधीवादी संस्थाओं से या उनके प्रतिनिधियों से रायशुमारी तक नहीं की। इस योजना के बारे में गांधी जनों को दो साल पहले ही भनक मिल गई थी। तब देश की दिल्ली स्थित प्रमुख गांधीवादी संस्थाओं गांधी शांति प्रतिष्ठान, गांधी स्मारक निधि और राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय के प्रतिनिधियों ने साबरमती आश्रम ट्रस्ट की अध्यक्ष और वरिष्ठ गांधीवादी नेता इला भट्ट को इस संबंध में पत्र भी लिखा था।

भट्ट ने जवाब में कहा था कि वे उनकी भावनाओं से ट्रस्ट के सभी सदस्यों को अवगत कराएंगे। पर लगता है सरकार ने ट्रस्टियों को कोई भाव नहीं दिया। गांधी जनों को आपत्ति है कि सरकार की योजना के क्रियान्वयन से साबरमती आश्रम का मौलिक स्वरूप उजड़ जाएगा। आश्रम की सादगी खत्म हो जाएगी। गांधी जनों का कहना है कि गांधी जी के मूल्यों को देखते हुए कुटिया को उसके मौलिक स्वरूप में ही रहने दिया जाए,ताकि वह पर्यटन स्थल के बजाय प्रेरणा स्थल बना रहे।

महात्मा गांधी 1919 में जब दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश वापस आए तो उन्होंने अपने पैसे से अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे आश्रम बनाने के इरादे से जमीन का एक टुकड़ा खरीदा था। फिर अगले दो सालों में उन्होंने दोस्तों की मदद से साबरमती नदी के किनारे जेल और श्मशान की जमीन भी खरीद ली। इस तरह कुल सौ एकड़ जमीन पर गांधी जी का साबरमती आश्रम फैला हुआ था। अब यह आश्रम सिकुड़ कर मात्रा 45 एकड़ ही बचा रह गया है।

इस आश्रम की ख्याति तब खूब बढ़ी, जब गांधी जी ने यहां से नमक सत्याग्रह के लिए दांडी यात्रा शुरू की। यात्रा शुरू करते समय गांधी जी ने संकल्प लिया था कि वे अब इस आश्रम में तब पैर रखेंगे जब आजादी मिल जाएगी। इस बीच मुझे कुत्तों की मौत भी क्यों ना मरना पड़े। हालांकि नमक सत्याग्रह के बाद गांधी जी अपने संकल्पों के कारण वापस नहीं लौटे। वे देश भर में हरिजन कल्याण यात्रा करते रहे। उसी दौरान उनके लिए केवल पांच सौ रुपए की लागत से महाराष्ट्र में वर्धा स्थित सेवाग्राम में एक कुटिया बनाई गई। इस कुटिया में ही भारत छोड़ो आंदोलन की रणनीति तय की गई थी। गांधी जन आगामी 2 अक्टूबर को उपवास कर सरकार की योजना का विरोध करेंगे।

Next Story