भारत को 'विश्वगुरु' बनाने के लिए मोहन भागवत ने दिया यह मंत्र, शेर और बकरी की कहानी सुनाई
रायपुर से करीब 90 किलोमीटर दूर स्थित मदकू शिवनाथ नदी का एक द्वीप है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और पुराने मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के मदकूद्वीप में RSS की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने मंच से अपनी बातें रखते हुए समाज, पर्यावरण और भारत की संस्कृति पर बात की। इशारों-इशारों में भागवत धर्म परिवर्तन करने वालों को भी मुंगेली के मंच से चेतावनी दे गए।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भारत को विश्व गुरु बनाने को लेकर कहा, "हमें किसी का धर्म परिवर्तन नहीं करना है बल्कि जीना सिखाना है। हम पूरी दुनिया को ऐसा सबक देने के लिए भारत भूमि में पैदा हुए हैं। हमारा संप्रदाय किसी की पूजा प्रणाली को बदले बिना अच्छा इंसान बनाता है।" मुंगेली जिले से होकर बहने वाली शिवनाथ नदी में स्थित मदकू द्वीप में 16 नवंबर से 19 नवंबर तक घोष शिविर का आयोजन किया गया था। शुक्रवार को इसके समापन के अवसर पर घोष प्रदर्शन का आयोजन किया गया, जिसमें आरएसएस प्रमुख ने हिस्सा लिया था। उन्होंने इस अवसर पर कहा, ''सत्यमेव जयते नानृतम्। सत्य की ही जीत होती है, असत्य की नहीं। झूठ कितनी भी कोशिश कर लेकिन झूठ कभी विजयी नहीं होता है।''
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि विश्व गुरु भारत के निर्माण के लिए हम सभी को मिलकर साथ चलना होगा। ''हम सभी को अपने पूर्वजों के उपदेशों को स्मरण करना है। हमारे पूर्वजों के पुण्य का स्मरण करा देने वाले इस क्षेत्र में संकल्प लेना है कि संपूर्ण विश्व को शांति सुख प्रदान करा देने वाला विश्वगुरु भारत गढ़ने के लिए हम सुर में सुर मिलाकर एक ताल में कदम से कदम मिलाकर सौहार्द और समन्वय के साथ आगे बढ़ेंगे।''
भागवत ने कहा, ''यहां विविधता में एकता है और एकता में विविधता है। भारत ने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा। पूर्व में हमारे पूर्वज यहां से पूरी दुनिया में गए और उन्होंने वहां के देशों को अपना धर्म (सत्य) दिया। लेकिन हमने कभी किसी को बदला नहीं, जो जिसके पास था उसे उसके पास ही रहने दिया। हमने उन्हें ज्ञान दिया, विज्ञान दिया, गणित और आयुर्वेद दिया तथा उन्हें सभ्यता सिखाई। इसलिए हमारे साथ लड़ने वाले चीन के लोग भी यह कहते हुए नहीं सकुचाते कि भारत ने 2000 वर्ष पूर्व ही चीन पर अपनी संस्कृति का प्रभाव जमाया था, क्योंकि उस प्रभाव की याद ही सुखद है दुखद नहीं है।''
उन्होंने कहा कि दुनिया उसी को पीटती है जो दुर्बल है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि दुर्बलता ही पाप है। बलशाली का मतलब है संगठित होना। अकेला व्यक्ति बलशाली नहीं हो सकता है। कलयुग में संगठन ही शक्ति मानी जाती है। हम सभी को साथ लेकर चलेंगे, हमें किसी को बदलने की आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने घोष प्रदर्शन को लेकर कहा, ''आपने अभी देखा होगा कि इस शिविर में सभी अलग-अलग वाद्य यंत्र बजा रहे थे। वाद्य यंत्र बजाने वाले लोग भी अलग थे। लेकिन सभी का सुर मिल रहा था। इस सुर ने हमें बांधकर रखा है। इसी तरह हम अलग अलग भाषा, अलग अलग प्रांत से हैं, लेकिन हमारा मूल एक ही है। यह हमारे देश का सुर है और यह हमारी ताकत भी है। और यदि कोई उस सुर को बिगाड़ने का प्रयास करे तो देश का एक ताल है, वह ताल उसको ठीक कर देता है।''
शेर और बकरी की कहानी सुनाई
लोगों को मोहन भागवत ने यहां शेर और बकरी की एक कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि जंगल में कुछ गडरिए रहा करते थे जब वह अपनी भेड़ों के साथ जंगल में पहुंचे तो उन्हें शेर का एक बच्चा मिला। उसकी मां को शिकारियों ने मार दिया था। शेर के बच्चे की आंखें भी नहीं खुली थी, गडरिया को दया आई वह शेर के बच्चे को अपने साथ लेकर आ गए। उसे बकरियों का दूध पिलाया और बकरियों के बीच ही पाला।
शेर भेड़-बकरियों के बीच बड़ा हुआ तो खुद को बकरी समझने लगा। एक दिन वो बरकियों के साथ जंगल गया हुआ था वहां दूसरा शेर उसे मिल गया यह देखकर वह डर गया। दूसरे शेर से जीवन की भीख मांगने लगा। दूसरे शेर ने कहा मेरे साथ चलो वह उसे तालाब के किनारे ले गया और पानी में उसका चेहरा दिखाया। तब भेड़-बकरियों के बीच पले शेर को समझ आया कि वह भी एक शेर है। उसने दहाड़ लगाई ये उसके जीवन की पहली दहाड़ थी। इसे सुनकर गड़रिए कभी जंगल की तरफ नहीं गए।
आगे भागवत लोगों से कहने लगे अपने आप को पहचानो, हम उन ऋषियों के वंशज हैं जिन्होंने पूरी दुनिया को परिवार मानने का संदेश दिया। हमारा सत्य विविधताओं में मिल जुल कर रहना सिखाता है। यही हमें अच्छा मनुष्य बनाता है और यही सत्य हमें संपूर्ण दुनिया को बताना है। हिंदू धर्म इन्हीं विशेषताओं से भरा हुआ है हमें यह बातें दुनिया को सिखानी है पूजा करने का तरीका नहीं यह जीने का तरीका है। हम बलशाली बनेंगे तो बचेंगे कलयुग में संगठन ही शक्ति है, समाज यदि मिलकर रहेगा तो यह हमें शक्तिशाली बनाएगा।
रायपुर से करीब 90 किलोमीटर दूर स्थित मदकू शिवनाथ नदी का एक द्वीप है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और पुराने मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है।