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36 हज़ार करोड़ के बहुचर्चित नान घोटाला में सुप्रीम कोर्ट में भूपेश बघेल की किरकिरी, बढ़ेंगी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मुश्किलें

Shiv Kumar Mishra
17 Oct 2021 8:14 AM GMT
36 हज़ार करोड़ के बहुचर्चित नान घोटाला में सुप्रीम कोर्ट में भूपेश बघेल की किरकिरी, बढ़ेंगी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मुश्किलें
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विपक्ष में बैठकर नान घोटाले की जांच की मांग करने वाले भूपेश बघेल खुद भ्रष्टाचारी गिरोह में हुए शामिल

विजया पाठक, एडिटर, जगत विजन

छत्तीसगढ़ में 36 हजार करोड़ का कथित नागरिक आपूर्ति निगम यानी नान घोटाला फिर से एक बार चर्चा में आ गया है। विपक्ष में रहते हुए भूपेश बघेल ने नान घोटाले को एक बड़ा मुद्दा बनाया था। लेकिन अब भूपेश बघेल पर ही इस कथित घोटाले के मुख्य अभियुक्त आईएएस अफ़सरों अनिल टुटेजा (प्रमोटी आईएएस) और आलोक शुक्‍ला को बचाने के गंभीर आरोप लग रहे हैं। ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने छत्तीसगढ़ में बीजेपी के कार्यकाल में हुए राशन घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर चल रही जाँच के बाद सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि इस घोटाले की जाँच के लिए भूपेश बघेल के आदेश पर बनाई गई स्पेशल टास्क फ़ोर्स के सदस्यों, मुख्यमंत्री और एक बड़े क़ानून के अधिकारी ने इस घोटाले में नाम आने वाले दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला के ख़िलाफ़ कथित तौर पर मामले को पूरी तरह से कमज़ोर किया है। इस गंभीर आरोप के बाद विपक्षी दल बीजेपी ने भूपेश बघेल की सरकार पर चौतरफ़ा हमला बोला है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि भूपेश बघेल और कांग्रेस पार्टी पत्र लिखकर जिस पीडीएस घोटाले की सीबीआई जाँच और अभियुक्त अधिकारियों को गिरफ़्तार करने की माँग करते थे, आज वही भूपेश बघेल उन्हें बचाने के लिए ऐड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं। डॉ. रमन सिंह के आरोपों में बल दिखाई देता भी है। क्योंकि राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शुरू से ही इस घोटाले के मुख्य आरोपियों को बचाने की जुगत करते रहे हैं।

बड़ा दिलचस्‍प है कि जिस घोटाले पर हल्ला बोलकर भूपेश बघेल सत्ता तक पहुंचे हैं या बीजेपी को सत्ता से बाहर किया है वही भूपेश बघेल आज इस घोटाले के मुख्य आरोपियों को बचाने की पूरी कोशिश में लगे हैं। सत्ता में आने के बाद प्रदेश की जनता ने उम्मीद लगाई थी कि अब शायद भूपेश सरकार बहुचर्चित नान घोटाले की निष्प क्ष जांच कराकर दोषियों को सजा दिलवाएंगे लेकिन किसी ने उम्मीद ही नहीं की होगी वह खुद इस घोटाले के हिस्सेेदार बन जाएंगे।

विजया पाठक

मुख्यमंत्री पद से लेकर राज्य में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार की मुश्किलें कम होती नहीं दिखाई दे रही हैं। पहले से ही भूपेश बघेल सरकार पर लाखों-करोड़ों रुपये के घोटाले और हेराफेरी को लेकर चर्चाएं होती रही हैं। वहीं अब राज्य में 36 हज़ार करोड़ का कथित नागरिक आपूर्ति निगम (नान घोटाला) फिर से चर्चा में आ गया है। यह बात गौर करने वाली है कि नान घोटाले में आरोपी बताये जा रहे जिन दोनों आईएएस अधिकारियों अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला के खिलाफ भूपेश बघेल और पूरी कांग्रेस पार्टी मोर्चा खोलकर बैठी थी, वही दोनों आईएएस अधिकारी भूपेश बघेल की सरकार में सबसे ताकतवर बन कर उभरे। उद्योग विभाग के संचालक के पद पर कार्यरत अनिल टुटेजा के बारे में तो कहा गया कि मुख्यमंत्री की उपसचिव सौम्या चौरसिया के साथ मिलकर वे सरकार के सारे फ़ैसलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। सरकार की इस कार्यशैली से सवाल उठना तो लाजमी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को बचाने में क्यों लगे हैं? यह मुख्यमंत्री और भ्रष्टाचारी अधिकारियों की सांठगांठ की ओर इशारा करता है। इससे लगता है कि भूपेश बघेल खुद भ्रष्टाचारी गिरोह के सदस्य हैं।

कुल मिलाकर भ्रष्टाचार का गढ़ बनते जा रहे छत्तीसगढ़ की इस कारगुजारी से कांग्रेस नेतृत्व आज भी अंजान बना हुआ है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब कांग्रेस के हाथ एक बार फिर राज्य फिसलकर किसी दूसरी राजनैतिक पार्टी के हाथ में चला जायेगा। कांग्रेस शीर्षस्थ को यह बात समझना चाहिये कि राज्य में भी पंजाब जैसे हालात पैदा होते जा रहे हैं, पहले ही अपने वायदे के मुताबिक राज्य में ढाई साल बाद मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने के फैसले से शीर्ष नेतृत्व पीछे हट रहा है। ऐसे में पार्टी नेताओं में असंतोष बढ़ना लाजमी है और इसका नुकसान खुद कांग्रेस पार्टी को भुगतना होगा।

क्या है नान घोटाला?

नागरिक आपूर्ति निगम राज्य भर में लाखों परिवारों को राशन बांटने का काम करती रही है। राज्य की आर्थिक अपराध शाखा यानी ईओडब्ल्यू और भ्रष्टाचार निवारक ब्यूरो ने 12 फ़रवरी 2015 को नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के 28 ठिकानों पर एक साथ छापा मारकर करोड़ों रुपये बरामद किये थे। इसके अलावा इस मामले में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित कई दस्तावेज़, हार्डडिस्क और डायरी भी एंटी करप्शन ब्यूरो ने ज़ब्त की थी। आर्थिक अपराध शाखा ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ में राइस मिलों से लाखों क्विंटल घटिया चावल लिया गया और इसके बदले करोड़ों रुपये की रिश्वतख़ोरी की गई। इसी तरह नागरिक आपूर्ति निगम के ट्रांसपोर्टेशन में भी भारी घोटाला किया गया। नमक की आपूर्ति में भी कथित भ्रष्टाचार किया गया। इस मामले में आरंभिक तौर पर 27 लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया था। बाद में दो आईएएस अधिकारी आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा के ख़िलाफ़ भी मामला दर्ज किया गया। कथित घोटाले के दौरान दोनों अधिकारी क्रमश: नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंध निदेशक और चेयरमैन थे। तब राज्य में विपक्षी दल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ने आरोप लगाया था कि इस मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा ने अभियुक्तों से एक डायरी भी बरामद की गई थी, जिसमें सीएम मैडम समेत तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह के कई परिजनों के नाम कथित रुप से रिश्वत पाने वालों के तौर पर दर्ज था। इस मामले की जाँच चलती रही, कई अधिकारी सालों जेल में रहे, लेकिन रमन सिंह की सरकार ने हाईकोर्ट में एक हलफ़नामा देकर दावा किया कि नागरिक आपूर्ति निगम में कोई घोटाला हुआ ही नहीं है। हालांकि निचली अदालत में तो यह मामला चलता ही रहा। इस घोटाले को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में हमर संगवारी ने 42/2015, सुदीप श्रीवास्तव ने 43/2015, वीरेंद्र पांडेय ने 44/2015 और वशिष्ठ नारायण मिश्रा ने 57/2015 जनहित याचिका भी दायर की। मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुँचा और अदालत ने इसकी समयबद्ध सुनवाई के निर्देश भी दिए, लेकिन मामला अपनी रफ़्तार से चलता रहा। इस दौरान ही कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के बतौर भूपेश बघेल ने दोनों आईएएस अधिकारियों अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला के ख़िलाफ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक को पत्र लिखा। यह भी दिलचस्प है कि कथित घोटाले के अभियुक्त दोनों आईएएस अधिकारियों अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला के ख़िलाफ़ 17 जुलाई 2015 को राज्य शासन द्वारा और चार जुलाई 2016 को केंद्र सरकार द्वारा अभियोजन स्वीकृति दी गई, लेकिन सालों तक दोनों के ख़िलाफ़ अभियोग पत्र पेश नहीं किया गया‌। विधानसभा चुनाव के बाद लेकिन चुनाव परिणाम से पहले 29 नवंबर 2018 को दोनों अभियुक्तों के ख़िलाफ़ अभियोग पत्र पेश किया गया। जाँच अधिकारी ही निलंबित विधानसभा चुनाव के परिणाम आये और 15 सालों से सत्ता में रही भारतीय जनता पार्टी की विदाई हो गई। 17 दिसंबर 2018 को भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और कुछ दिनों बाद ही नान घोटाले की एसआईटी जाँच की घोषणा की गई। इस बीच प्रवर्तन निदेशालय द्वारा नान घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग का एक मामला जनवरी 2019 को दर्ज किया गया और 27 फ़रवरी 2020 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपसचिव सौम्या चौरसिया समेत बघेल के कई क़रीबी अधिकारियों और नेताओं के घर आयकर विभाग ने छापामारी की। आयकर विभाग ने रायपुर में 27.02.2020 को कुछ लोगों के समूह, हवाला डीलरों और उद्योगपतियों पर जाँच बिठाई। जाँच के दौरान अवैध कामों से जुड़े दस्तावेज़ और इलेक्ट्रॉनिक सामान ज़ब्त किये गये, जिनसे पता चलता है कि सरकारी अधिकारियों और अन्य लोगों को हर महीने बड़ी रक़म अदा की जाती थी।

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