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बनना चाहते थे ब्लॉक प्रमुख, भाजपा ने बना दिया विधायक, दिलचस्प है इनकी ये कहानी?

सुजीत गुप्ता
14 March 2022 7:57 AM GMT
बनना चाहते थे ब्लॉक प्रमुख, भाजपा ने बना दिया विधायक, दिलचस्प है इनकी ये कहानी?
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यूपी की अंतिम विधानसभा क्षेत्र दुद्धी से कमल खिलाने वाले रामदुलार की राजनीतिक कहानी अजीवो गरीब है क्योंकि जिस व्यक्ति ने पहले ब्लॉक प्रमुख बनने का सपना देखा था उसे सीधे विधायक बनने का मौका मिल गया। वह गत वर्ष हुए पंचायत चुनाव में आरंगपानी से क्षेत्र पंचायत सदस्य बने और भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के जिलाध्यक्ष रहते ब्लॉक प्रमुख म्योरपुर के लिए नामांकन किया था। हालांकि यह सीट अपना दल के खाते में चली गई और रामदुलार को नाम वापस लेना पड़ा।

नामांकन पत्र वापस लेने के बाद मानसिंह गोंड निर्विरोध म्योरपुर ब्लॉक के ब्लॉक प्रमुख निर्वाचित हुए। बाद में किस्मत पलटी और भाजपा ने रामदुलार को अपना प्रत्याशी बनाया। भाजपा के लिए यह दाव कारगर साबित हुआ। दुद्धी सीट पर पहली बार भाजपा को जीत मिली। रामदुलार ने सात बार विधायक रहे आदिवासी नेता व पूर्व राज्य मंत्री विजय सिंह गोंड के गढ़ को भेदने में सफलता पाई।

दुद्धी सीट पर वर्ष 2017 में सत्ताधारी दल ने जीत का स्वाद भी चखा तो चुनाव निशान अपना दल (एस) का कप-प्लेट था। इस बार हर हाल में दुद्धी को जीतने के लिए पार्टी ने पहले ही योजना बना ली थी। सात बार विधायक रहे आदिवासी नेता व पूर्व राज्य मंत्री विजय सिंह गोंड के गढ़ को भेदने के लिए उन्हीं के शिष्य रामदुलार पर दांव लगाया।

कभी विजय सिंह के बेहद करीबी रहे रामदुलार उनके हर दांव से भली-भांति वाकिफ थे। विजय सिंह के कई चुनावों का तो रामदुलार ने ही संचालन भी किया। अब मौका मिलते ही रामदुलार ने वही दांव लगाकर गुरु को ही पटखनी दे दी।

सोनभद्र की चार सीटों में से दुद्धी सीट पर जीत भाजपा के लिए बेहद खास है। उत्तर प्रदेश की यह अंतिम विधानसभा सीट भाजपा के लिए हमेशा से चुनौती रही है। यह पहली सीट है, जहां आज तक भाजपा कमल खिलाने में नाकाम रही थी। इस बार शिष्य पर ही दांव लगाकर भाजपा ने न सिर्फ विजय का किला ढहा दिया, बल्कि बरसों से बनी जीत न मिलने की टीस भी खत्म की है।

दुद्धी जिले की सबसे पुरानी सीट रही है। इससे पहले हुए 17 चुनावों में सिर्फ एक बार यह सीट जनसंघ के पाले में रही। अन्य सभी चुनाव कांग्रेस, सपा और बसपा ने ही जीते। भाजपा के लिए यह विडंबना ही रही कि जिस सीट पर निर्दल उम्मीदवार भी परचम लहराने में कामयाब रहा हो, वहां भी वह कमल नहीं खिला पाई थी।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल इलाके की सीटों पर सबसे आखिरी चरण में मतदान हुआ था. इस क्रम में सोनभद्र जिले की दुद्धी सुरक्षित विधानसभा सीट पर सबसे आखिरी दौर में 7 मार्च को वोट डाले गए थे

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