Top Stories

दिल्ली हाईकोर्ट की यूपी पुलिस को बड़ी सख्त फटकार ने यूपी के निजाम पर सवाल खड़ा कर दिया, जानिये कैसे?

Shiv Kumar Mishra
30 Oct 2021 4:10 AM GMT
दिल्ली हाईकोर्ट की यूपी पुलिस को बड़ी सख्त फटकार ने यूपी के निजाम पर सवाल खड़ा कर दिया, जानिये कैसे?
x

राजेश बैरागी

यह यूपी पुलिस नहीं पूरे उत्तर प्रदेश के निजाम पर सवाल था। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा,-यह दिल्ली है, यहां गैरकानूनी काम नहीं होता।' मसला प्रेम संबंध और फिर बालिग लड़का लड़की के आपसी रजामंदी से शादी का है। लड़की शामली (उ.प्र.) की है और लड़का दिल्ली का।लड़की पक्ष की रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए शामली पुलिस दिल्ली तक चली आई और लड़के व उसके पिता को उठा ले गयी। दोनों दो माह से जेल में हैं।

लड़के के परिजनों ने दिल्ली हाईकोर्ट से गुहार लगाई तो शामली पुलिस को तलब किया गया। खुद थाना प्रभारी ने हाईकोर्ट से कहा कि दोनों पिता पुत्र को शामली बस स्टैंड से गिरफ्तार किया है। जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने यह बात शपथपत्र के जरिए लिखकर देने का आदेश दिया। लड़की के प्रेमी संग चले जाने के मामले में आमतौर पर पुलिस का रवैया क्या रहता है? पुलिस कथित पीड़ित परिवार को दो चार दिन प्रतीक्षा करने की सलाह देकर टरका देती है। मामला कोई रंग लेने लगे तो रिपोर्ट दर्ज होती है। कार्रवाई तब भी हवा का रुख देखकर ही की जाती है। परंतु ऐसे कुछ मामलों में पुलिस जिले और राज्यों की सीमा लांघकर कार्रवाई करती है।

इस मामले में पुलिस ने लड़की के बयान लेने की जरूरत भी नहीं समझी। दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस को जो फटकार लगाई वह सिर माथे पर परंतु उसने तो उत्तर प्रदेश के पूरे निजाम पर ही सवाल खड़ा कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा,-यह दिल्ली है, यहां गैरकानूनी काम नहीं होता।' हाईकोर्ट ने लड़की की मां के रोने पर कहा,-यह उत्तर प्रदेश नहीं है, यहां रोने धोने का कोई असर नहीं होगा।' क्या दिल्ली पुलिस दूध की धुली है? यदि ऐसा होता तो फरवरी 2020 के दंगों के लिए दिल्ली पुलिस को रोजाना अदालत की डांट नहीं पड़ रही होती। हाईकोर्ट का अपने राज्य के पक्ष में रहना गलत नहीं है परंतु पुलिस कहीं की हो, उसके लिए कोई हाईकोर्ट छाती पर हाथ रखकर कसम नहीं खा सकता।

हालांकि शामली से पहले बिल्कुल ऐसे ही मामले में ग्रेटर नोएडा पुलिस आरोपी लड़के को दिल्ली से उठाकर ग्रेटर नोएडा के बस स्टैंड से गिरफ्तार दिखा चुकी है। उसकी शादी के सुबूत और लड़की के बालिग होने के प्रमाणपत्र अपने औचित्य की प्रतीक्षा में हैं। इस मामले में लड़के के परिजनों ने दिल्ली हाईकोर्ट में गुहार नहीं लगाई है।

Next Story