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पसीना वाले हनुमान जी का ऐतिहासिक मंदिर का वर्णन, जानें कहां पर है ये स्थित

CA Manish Kumar Gupta
10 Jan 2022 1:13 PM GMT
पसीना वाले हनुमान जी का ऐतिहासिक मंदिर का वर्णन, जानें कहां पर है ये स्थित
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साथियों कुछ समय पूर्व मैंने उत्तर प्रदेश के शहर फिरोजाबाद जो कि मेरी मातृभूमि भी है उसके इतिहास का वर्णन किया था और बताया था कि फिरोजाबाद से लगभग 7 किलोमीटर दूर चंदवार नामक ऐतिहासिक स्थल ही असली फिरोजाबाद है। साथ में यह जान लेना भी अत्यंत आवश्यक है किसी स्थान पर ऐतिहासिक जैन मंदिर और राजा चंद्रसेन का किला बना हुआ है निकट ही सूफी साहब की दरगाह है जो कि राजा चंद्रसेन के सिपहसालार हुआ करते थे। सूफी साहब की दरगाह और चंदवार के ऐतिहासिक जैन मंदिर के बारे में चर्चा अगले लेख में करूँगा ।

संभवत है उत्तर प्रदेश के पर्यटन मंत्री और पर्यटन विभाग को संज्ञान लेना होगा बाकी आगरा आए हुए पर्यटक ऐसे ऐतिहासिक स्थलों तक पहुंचे और उत्तर प्रदेश के राजस्व में वृद्धि हो।

चंदावर का युद्ध मुहम्मद ग़ोरी और कन्नौज के राजा जयचंद के बीच लड़ा गया था जिसमें जयचंद की हार और मृत्यु हुई। चंदावर या चंदवार, वर्तमान फ़िरोज़ाबाद का पूर्ववर्ती नगर था। फ़िरोज़ाबाद वर्तमान में उत्तर प्रदेश में फ़िरोज़ाबाद जिले का मुख्यालय है जो पहले आगरा जिले और उसके पहले इटावा ज़िले के अंतर्गत आता था। गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को हराने के पश्चात् 1194 ई. में भारत पर पुन: आक्रमण किया था। उस समय जयचंद कन्नौज का राजा था दोआब में अपने पैर जमाने के लिए तुर्कों को पहले कन्नौज राज्य को हराना जरूरी था, मोहम्मद गोरी ने कन्नौज पर आक्रमण कर दिया उस समय कन्नौज पर गहड़वाल वंश के शासक जयचंद का शासन था। कन्नौज और इटावा के बीच चंदावर नामक स्थान पर दोनों के मध्य युद्ध हुआ । इस युद्ध के दौरान जयचंद के आंख में तीर लग गया और वह हाथी से गिर पड़ा उसकी सेना का साहस टूट गया और वे रणभूमि से भाग गए । जयचंद पराजित हुआ और मारा गया। मोहम्मद गौरी द्वारा तराईन और चंदावर की विजय ने भारत में तुर्क राज्य की बुनियाद रख दी थी ।

यमुना के तट पर पसीना वाले हनुमान जी

चंदवार यमुना नदी के किनारे बसा हुआ एक नगर था जहाँ पर चंदवार का प्रसिद्ध बंदरगाह भी था। जहां से राजा चंद्रसेन के जमाने में और उससे पहले जलमार्ग से यातायात एवं व्यापार की सुविधा थी। इस बंदरगाह के अवशेष आज भी देखने को मिलते हैं। चंदवार के इसी बंदरगाह के नजदीक एक छोटी पहाड़ी पर पसीना वाले हनुमान जी विराजमान हैं, और इसी स्थान पर पसीना वाले हनुमान जी के नाम से विख्यात मंदिर स्थित है, ऐसा कहा जाता है कि यहां पर स्थापित हनुमान जी की पूजा अर्चना लगभग 2000 वर्ष से हो रही है लेकिन लगभग पिछले 30 - 40 सालों से यहां पर फिरोजाबाद से बाहर के लोग भी दर्शन करने और मन्नत मांगने आते हैं और जिन भक्तों की मन्नतें पूरी हो जाती हैं। वह फिर बारम्बार दर्शनों के लिए आते हैं। मंगलवार और शनिवार के दिन तो फिरोजाबाद शहर और आसपास के श्रद्धालु भारी संख्या में यहां पर पहुंचते हैं। सप्ताह के 2 दिनों में तो इस मंदिर पर पूजा अर्चना करने वाले श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ हो जाती है कि प्रशासन को अतिरिक्त पुलिस बल का इंतजाम करना पड़ता है।


चंदवार के इस मंदिर का महात्म्य

चंदवार स्थित इस मंदिर की कहानी बहुत विचित्र है। इस मंदिर में विराजमान हनुमान जी की प्रतिमा को हर समय पसीना आता रहता है। माना जाता है कि जो भी श्रद्धालु यहां चोला चढ़ाकर जाता है। वह कुछ ही देर में वो पानी की तरह बह जाता है। इस चमत्कार को देखकर लोग आश्चर्य चकित हैं। लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि यह चमत्कार है या फिर कुछ और आखिर इसका रहस्य क्या है क्योंकि यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है और पानी का स्तर वहां हनुमान जी की मूर्ति से लगभग 30 से 40 फीट नीचे है। पर चंदवार के मूल निवासी वीरेंद्र शंकर गुप्ता ने बताया कि मंदिर के प्रांगण के चारों तरफ आसानी से परिक्रमा लगाई जा सकती है और कहीं से पानी आने का प्रश्न ही नहीं उठता। मंदिर की छत पक्की बनी हुई है और ऊपर से पानी गिरने का और उसका मूर्ति तक पहुंचना संभव ही नहीं है। पसीना वाले हनुमान जी की प्रतिमा लगभग दो फीट ऊँची है। हनुमान मंदिर के द्वार पर श्री राम की स्तुति उकेरी हुई है और वहीं दूसरी तरफ हनुमान जी कि वंदना सफ़ेद मार्बल पर अंकित है। हनुमान जी की पूजा अर्चना करने आने वाले श्रद्धालु पहले राम स्तुति करते हैं उसके बाद हनुमान जी की पूजा कर उन्हें प्रसन्न करते हैं। वहीँ पूछे जाने पर चंदवार के मूल निवासी पंडित सुनील शर्मा ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी की में सच्चे मन से पूजा अर्चना करने से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और बजरंग बलि के दर्शन मात्र से ही भक्तों के समस्त पाप तिरोहित हो जाते हैं और परिवार में खुशहाली बनी रहती है।

चंदवार का खंडहरों के बीच था यह छोटा सा मंदिर

महंत जी ने लेखक को बताया कि पहले इस मंदिर के आस—पास कुछ भी नहीं था। यहां चारों ओर खडंहर थे और समीप ही यमुना नदी बहती रहती थी। धीरे—धीरे जैसे—जैसे इस मंदिर की ख्याति बढ़ी लोगों में आस्था जागी और कुछ विशेष व्यक्तियों के प्रयास और सामूहिक चंदे के द्वारा मंदिर में जीर्णोद्धार कार्य शुरू होने लगे। फिरोजाबाद और आसपास के नव युवकों की एक टोली ने एक ग्रुप का नाम बनाया और उसका नाम यमुना एकता टीम रखा गया। इस ग्रुप ने इस हनुमान मंदिर की सफाई और स्वच्छता का बीड़ा उठाया और सभी सदस्य स्वयं ही सफाई में जुट गई। ऐसी मेहनती स्वयंसेवकों के श्रमदान से मंदिर की सुंदरता कई गुना बढ़ गई।

विदित हो कि आज से लगभग 80 साल पहले चंदवार गांव काफी गुलजार था, तत्कालीन समय पर यहां के मूल निवासी डकैतों के भय से और प्रगति की चाहत में धीरे-धीरे यहां से निकलकर फिरोजाबाद शहर के किनारे पर बसने लगे और वह जगह चंदवार गेट और उसके पश्चात श्याम नगर और राम नगर के नाम से प्रसिद्ध हुई। इन्हीं स्थानों पर आज भी चंदवार के मूल निवासी निवास करते हैं जिनमें ब्राह्मण समाज और माथुर वैश्यों की बहुलता है। चंदवार स्थित जैन धर्म की मूर्तियों के निकलने पर यहां बने प्राचीन जैन मंदिर का नव निर्माण कराया गया उसके पश्चात यहां पर जैन समाज के लोगों का आना जाना भी बढ़ गया और वही वन चेतना केंद्र बनने पर और सूफी साहब की दरगाह पर भी श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ गई और इस तरीके से चंदवार वापस गुलजार होने लगा है।

हनुमान जयंती पर यहाँ विशेष कार्यक्रम होते हैं चूँकि मंदिर काफी ऊंचे स्थान पर बना हुआ है। अतः मंदिर से नीचे तक चंदवार का विहंगम दृश्य देखने को मिलता है। यहां मंदिर के सामने एक बड़ा हॉल बना दिया गया है। जहाँ श्रद्धालुओं के बैठने के लिए भी उचित व्यवस्था है। मंदिर तक जाने के लिए लोगों को पहले अपना निजी वाहन करके ले जाना अधिक सुविधाजन होगा। हनुमान जयंती के मौके पर मंदिर परिसर में भंडारे का आयोजन किया जाता है। अगर आप फिरोजाबाद से आ रहे हैं तो चंदवार गेट से रामनगर होते हुए आप सीधे यमुना किनारे चंदवार तक पहुंच सकते हैं वहीं अगर आप आगरा या फतेहाबाद से आ रही है तो आप यमुना नदी पर बने पुल को पार करके बाएं मुड़ते हुए चंदवार तक पहुंच सकते हैं।

लेखक- मनीष कुमार गुप्ता, संपर्क सूत्र नंबर, 09810771477

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लेखक मनीष कुमार गुप्ता एक पौराणिक इतिहासकार हैं। जिनके लेख विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित होते रहते हैं। लेखक कानून और आर्थिक मामलों के जानकार होने के साथ-साथ राजनीतिक विश्लेषक भी हैं जो विभिन्न टीवी चैनलों पर होने वाले डिबेट का हिस्सा रहते हैं।

वर्ष 2022 में लेखक मनीष कुमार गुप्ता को वह सौभाग्य मिला जिसमें वह अपने पैतृक गांव चंदवार में जाकर परम पवित्र पसीना वाले हनुमान जी के मंदिर में दर्शनों का लाभ मिला और साथ में सीए अशोक गुप्ता और डॉ मुकेश अग्रवाल जी भी साथ रहे।

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