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दिल्ली में रहेगा 6 दिन ड्राई डे, इन दिनों में रहेगी शराब की दुकानें बंद

Shiv Kumar Mishra
24 Jan 2023 5:26 AM GMT
दिल्ली में रहेगा 6 दिन ड्राई डे, इन दिनों में रहेगी शराब की दुकानें बंद
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देश में इंन छह दिनों मादक पदार्थों की बिक्री प्रतिबंधित रहती है।

DryDay: देश की राजधानी दिल्ली में 26 जनवरी से 31 मार्च के बीच शराब की बिक्री प्रतिबंधित की गई है। दिल्ली में इन 6 दिनों को ड्राई डे घोषित किया गया है। इस दौरान शराब की बिक्री बंद रहेगी। इन दिनों की घोषणा कर दी गई है।

1-26 जनवरी (गणतंत्र दिवस)

पूरे देश में गणतंत्र दिवस का पर्व बड़े जोर शोर से मनाया जाता है। देश की राजधानी दिल्ली में इस दिन परेड का आयोजन किया जाता है। देश के विभिन्न अंचलों से आम जनता परेड देखने आती है। यह परेड इंडिया गेट से शुरू होकर लालकिल तक आती है। इस दौरान उमड़े जन समूह को सुव्यवस्तिथ करने के उद्देश्य सभी मादक पदार्थों की बिक्री प्रतिबंधित रहती है।


2-5 फरवरी (रविदास जयंती)

देश में रविदास जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन रविदास के अनुआई उनकी झांकियों को बड़े जोर शोर से निकालते है। रविदास जी एक बहुत ही अच्छे संतों में गिने जाते है। इस दिन भी मादक पदार्थों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है।

3-15 फरवरी (स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती)

दयानन्द सरस्वती का जन्म १२ फरवरी टंकारा में सन् १८२४ में मोरबी (मुम्बई की मोरवी रियासत) के पास काठियावाड़ क्षेत्र (जिला राजकोट), गुजरात में हुआ था। उनके पिता का नाम करशनजी लालजी तिवारी और माँ का नाम यशोदाबाई था। उनके पिता एक कर-कलेक्टर होने के साथ ब्राह्मण कुल के समृद्ध और प्रभावशाली व्यक्ति थे। इनका जन्म धनु राशि और मूल नक्षत्र मे होने से स्वामी दयानन्द सरस्वती का बाल्यावस्था में नाम मूलशंकर रखा गया। उनका प्रारम्भिक जीवन बहुत आराम से बीता। दयानंद सरस्वती की माता वैष्णव थीं जबकि उनके पिता शैव मत के अनुयायी थे। आगे चलकर विद्वान बनने के लिए वे संस्कृत, वेद, शास्त्रों व अन्य धार्मिक पुस्तकों के अध्ययन में लग गए।

4-18 फरवरी (शिवरात्रि)

महाशिवरात्रि भारतीयों का एक प्रमुख त्यौहार है। यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। माघ फागुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 18 फरवरी के दिन मनाया जाएगा। माना जाता है कि सृष्टि का प्रारम्भ इसी दिन से हुआ। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग (जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है) के उदय से हुआ। इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ हुआ था। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। भारत सहित पूरी दुनिया में महाशिवरात्रि का पावन पर्व बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया जाता है। मंदिरों में भारी भीड़ उमड़ती है। इस लिहाज से इस दिन मादक पदार्थों की बिक्री भी प्रतिबंधित रहती है।

5-8 मार्च (होली)

होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली रंगों का तथा हँसी-खुशी का त्योहार है। यह भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है, जो आज विश्वभर में मनाया जाने लगा है। रंगों का त्यौहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। यह प्रमुखता से भारत तथा नेपाल में मनाया जाता है। यह त्यौहार कई अन्य देशों जिनमें अल्पसंख्यक हिन्दू लोग रहते हैं वहाँ भी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते हैं। दूसरे दिन, जिसे प्रमुखतः धुलेंडी व धुरड्डी, धुरखेल या धूलिवंदन इसके अन्य नाम हैं, लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और फिर से दोस्त बन जाते हैं। एक दूसरे को रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं, गले मिलते हैं और मिठाइयाँ खिलाते हैं। इस दिन देर रात तक लोग एक दूसरे को बधाई देते नजर आते है। इस दिन भी मादक पदार्थ की बिक्री प्रतिबंधित होती है।

6-30 मार्च (राम नवमी)

हिन्दु धर्म शास्त्रों के अनुसार त्रेतायुग में रावण के अत्याचारों को समाप्त करने तथा धर्म की पुनः स्थापना के लिये भगवान विष्णु ने मृत्यु लोक में श्री राम के रूप में अवतार लिया था। श्रीराम चन्द्र जी का जन्म चैत्र शुक्ल की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में रानी कौशल्या की कोख से, राजा दशरथ के घर में हुआ था। सम्पूर्ण भारत में रामनवमी मनायी जाती है। तेलंगण का भद्राचलम मन्दिर उन स्थानों में हैं जहाँ रामनवमी बड़े धूमधाम से मनायी जाती है।

रामनवमी का त्यौहार पिछले कई हजार सालों से मनाया जा रहा है।

रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियाँ थीं लेकिन बहुत समय तक कोई भी राजा दशरथ को सन्तान का सुख नहीं दे पायी थीं जिससे राजा दशरथ बहुत परेशान रहते थे। पुत्र प्राप्ति के लिए राजा दशरथ को ऋषि वशिष्ठ ने पुत्रकामेष्टि यज्ञ कराने को विचार दिया। इसके पश्चात् राजा दशरथ ने अपने जमाई, महर्षि ऋष्यश्रृंग से यज्ञ कराया। तत्पश्चात यज्ञकुण्ड से एक दिव्य पुरुष अपने हाथों में खीर की कटोरी लेकर बाहर निकले।

यज्ञ समाप्ति के बाद महर्षि ऋष्यश्रृंग ने दशरथ की तीनों पत्नियों को एक-एक कटोरी खीर खाने को दी। खीर खाने के कुछ महीनों बाद ही तीनों रानियाँ गर्भवती हो गयीं। ठीक 9 महीनों बाद राजा दशरथ की सबसे बड़ी रानी कौशल्या ने राम को जो भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने जुड़वा बच्चों लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया। भगवान राम का जन्म धरती पर दुष्ट प्राणियों को संघार करने के लिए हुआ था।

इस दिन भी पूरे देश में हर्षोउल्लास का वातावरण होता है तो इस दिन मादक पदार्थों की बिक्री नहीं होती है।

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