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न्याय और शांति पदयात्रा का हुआ समापन, जल, जंगल और जमीन के मुद्दे पर जारी रहेगा आंदोलन

न्याय और शांति पदयात्रा का हुआ समापन, जल, जंगल और जमीन के मुद्दे पर जारी रहेगा आंदोलन
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समाज में न्याय और शान्ति की स्थापना के संकल्प के साथ पदयात्रा का हुआ समापन

दिल्ली। न्याय और शांति आधारित समाज की स्थापना के उद्देश्य के साथ 21 सितम्बर, अंतरराष्ट्रीय शान्ति दिवस से चल रही 12 दिवसीय वैश्विक न्याय और शांति पदयात्रा का आज गांधी जयंती और अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के अवसर समापन किया गया। एकता परिषद और सर्वोदय संघ द्वारा आयोजित इस पदयात्रा में अलग-अलग देशों एवं जगहों पर समापन कार्यक्रम में छात्र, युवा, राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता, गांधी को आदर्श मानने वाले लोग आदि शामिल हुए।


छत्तीसगढ़ के तिल्दा स्थित प्रयोग आश्रम में आयोजित शांति सम्मेलन में छत्तीसगढ़ की माननीया राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके, यूनिसेफ के छत्तीसगढ़ प्रमुख जॉब जकारिया, सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल, एकता परिषद के संस्थापक प्रख्यात गांधीवादी विचारक राजगोपाल पी. व्ही., एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रन सिंह परमार सहित कई गांधीवादी समाजसेवी शामिल हुए।

राजगोपाल पी. व्ही. ने समापन कार्यक्रम में कहा कि यह एक महान दिन है। 150 साल पहले एक ऐसे व्यक्ति ने जन्म लिया था जिनकी बातें आज भी प्रासंगिक हैं। गांधी जी ने जो बातें अपने समयकाल में कही थीं, आज हमलोग उसे समाज में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। आज पूरा विश्व यह महसूस कर रहा है कि विश्व अति गरीबी, जलवायु संकट, पलायन आदि जैसे गंभीर मुद्दों से जूझ रहा है। संपूर्ण विश्व इन तमाम मुद्दों का समाधान ढूंढ रहा है और यह समाधान गांधी जी के विचारों में है।

एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रन सिंह परमार ने कहा कि पदयात्रा के माध्यम से हमने पूरी दुनिया में न्याय और शान्ति आधारित समाज की स्थापना का संदेश दिया है। आज भी दुनिया में न्याय और शांति के लिए गांधी जी के विचारों के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। अगर लोगों को न्याय नहीं मिलेगा तो समाज में शांति स्थापित नहीं होगी। गांधी जी एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक सिद्धांत हैं और इसी सिद्धांत से हम विश्व को खुशहाल बना सकते हैं।


एकता परिषद के राष्ट्रीय महासचिव अनीष कुमार कहते हैं, "12 दिवसीय पदयात्रा के दौरान हमने यह जाना कि कोविड-19 के बाद जमीनी स्तर पर परिस्थितियाँ बेहद खराब हो गई है। वंचित और आदिवासी समाज की स्थिति और भी गंभीर है। यह सही है कि सरकार और जन संगठनों द्वारा इन्हें तात्कालिक राहत प्रदान की गई, लेकिन अब इन्हें दीर्घकालिक राहत की जरूरत है। स्थिति गंभीर होने के कारण इनके सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ने का खतरा भी मंडरा रहा है।"

एकता परिषद के डोंगर शर्मा कहते हैं, "हम साथी जन संगठनों और स्थानीय प्रशासन के सामंजस्य के साथ आगे भी गरीब, वंचित, जरुरतमन्द, आदिवासी समुदायों के लिए राहत कार्यों के साथ स्थायी वैकल्पिक रोजगार के लिए प्रयासरत रहेंगे। साथ ही वन अधिकार का पट्टा हो या भूमि अधिकार का पट्टा, इन मुद्दों पर तेजी से काम किया जाएगा।''

12 दिवसीय न्याय और शांति पदयात्रा का आयोजन विश्व के 20 देशों सहित भारत के 11 राज्यों में किया गया था। पदयात्रा के दौरान पूरे देश में 6 लाख से अधिक लोगों के साथ संवाद किया गया।

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