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करहल: अखिलेश VS एसपी बघेल का क्यों मुकाबला हो गया है रोचक? जानें

सुजीत गुप्ता
17 Feb 2022 6:08 AM GMT
करहल: अखिलेश VS एसपी बघेल का क्यों मुकाबला हो गया है रोचक? जानें
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भाजपा और सपा की रणनीति एक-दूसरे को हर हाल में पछाड़ने की है। इसको देखते हुए विधानसभा चुनाव को लेकर जारी किए जाने वाले उम्मीदवारों पर गौर करना जरूरी होगा। अखिलेश यादव को मैनपुरी की करहल सीट से उतारने का फैसला लेते समय संभवत: समाजवादी पार्टी की एक सोच यह भी रही हो कि सपा अध्यक्ष के लिए यहां मुकाबला बेहद आसान होगा और नामांकन के बाद उन्हें इधर देखने की जरूरत भी नहीं होगी। लेकिन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने ऐसा दांव खेला कि अब यहां मुकाबला टक्कर का हो गया है।

आज खुद सपा संस्थापक मैदान में उतरेंगे। वहीं, बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले पूर्व अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह भी आज यहां प्रचार के लिए आ रहे हैं। अखिलेश यादव ने जैसे ही चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा की, भाजपा की ओर से उनके खिलाफ सशक्त उम्मीदवार उतारने पर चर्चा शुरू हो गई। अखिलेश यादव ने जिस दिन करहल विधानसभा सीट से नामांकन किया, उसी दिन करीब एक घंटे के अंतराल पर भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने नामांकन कर दिया। इस प्रकार करहल की लड़ाई अखिलेश के लिए चुनौती वाली बना दी गई।

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में चल रहे सत्ता संग्राम के बीच मैनपुरी के सांसद और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव पहली बार चुनाव प्रचार में उतरने जा रहे हैं। मुलायम सिंह मैनपुरी के कोसमा में आयोजित जनसभा में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ मंच साझा करेंगे। 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव मैनपुरी लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी के रूप में नामांकन पत्र दाखिल करने आए थे। इसके बाद से उनका मैनपुरी में आगमन नहीं हो पाया था। वहीं, अमित शाह की रैली भी होने की वजह से मैनपुरी का सियासी तापमान चरम पर पहुंच गया है।

यूं तो इटावा और मैनपुरी सपा का बेहद मजबूत किया है। 2017 में जब बीजेपी यूपी में 300 से अधिक सीटों पर कमल खिलाने में कामयाब रही थी तब भी मैनपुरी की चारों सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा था। करहल सीट की बात करें तो 2017 में सपा के सोबरन यादव ने यहां से जीत हासिल की थी। सोबरन यादव ने भाजपा की रमा शाक्य को 38 हजार वोटों से हराया था। सपा को 49.81 के फीसदी वोट मिले थे।

डर गए हैं अखिलेश - बघेल

करहल से भाजपा प्रत्याशी एवं केंद्रीय राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल का कहना है कि अखिलेश यादव डर गए हैं, इसलिए वोट मांगते फिर रहे हैं। इससे पहले नामांकन के दौरान अखिलेश ने कहा था कि करहल की जनता उन्हें जिताएगी, वह अब यहां नहीं आएंगे। इसके बाद लगातार वह मैनपुरी आ रहे हैं। उधर, सपा जिलाध्यक्ष देवेंद्र सिंह यादव ने कहा कि कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए गुरुवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव मैनपुरी आ रहे हैं। वह चारों विधानसभा क्षेत्रों में एक-एक जनसभा करेंगे।

तीसरी बार करहल आ रहे हैं अखिलेश यादव

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव करहल सीट से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। वह तीसरी बार मैनपुरी की जनता से रूबरू होंगे। सबसे पहले वह 31 जनवरी को नामांकन करने आए थे, इसके बाद छह फरवरी को करहल के नरसिंह इंटर कॉलेज में जनसभा को संबोधित किया था। अब तीसरी बार अपने पिता मुलायम सिंह यादव के साथ अखिलेश वोट मांगने आ रहे हैं। वह करहल विधानसभा क्षेत्र के घिरोर स्थित चापरी तिराहा पर जनसभा को संबोधित करेंगे।

अखिलेश यादव यहां हेलीकॉप्टर से दोपहर 2.20 बजे पहुंचेंगे। लगभग आधा घंटे रुकने के बाद तीन बजे के करीब मैनपुरी विधानसभा क्षेत्र के गंगापुर खेल मैदान पर जनसभा को संबोधित करेंगे। इसके बाद भोगांव विधानसभा क्षेत्र के नेशनल डिग्री कॉलेज में 3.50 बजे और किशनी विधानसभा क्षेत्र के आदर्श इंटर कॉलेज मैदान में साढ़े चार बजे जनसभा को संबोधित करेंगे। इसके बाद वे इटावा चले जाएंगे।

क्यों मुकाबला हो गया है रोचक?

बीजेपी ने इस बार कभी यादव परिवार के बेहद खास रहे एसपी सिंह बघेल को चुनाव मैदान में उतार दिया है। वह राजनीति के बेहद मंझे हुए खिलाड़ी हैं। कभी मुलायम के सुरक्षा अधिकारी रहे बघेल उनसे सियासी अखड़े के कई दांव सीख चुके हैं और अब उन्हीं के सहारे अखिलेश को पटखनी देने की कोशिश कर रहे हैं। करहल में कुल 3 लाख 71 हजार वोटर हैं। जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां सर्वाधिक 1 लाख 44 हजार यादव वोटर हैं तो 14 हजार मुस्लिम हैं। यादव-मुस्लिम सपा के कोर वोटर माने जाते हैं। वहीं, एम-वाई के अलावा करहल में 35 हजार शाक्य वोटर हैं, 34 हजार जाटव, 25 हजार क्षत्रिय, 14 हजार ब्राह्मण , 14 हजार पाल, 10 हजार लोधी, 17 हजार कठेरिया, 14 हजार मुस्लिम, 3 हजार वैश्य वोटर हैं। गैर मुस्लिम और यादव वोटर्स की कुल संख्या भी डेढ़ लाख से अधिक है, जिस पर बीजेपी फोकस कर रही है। ऐसे में यदि एम-वाई को छोड़कर अन्य जातियों के वोटर्स को गोलबंद करने में कामयाब हो जाती है तो मुकाबला बेहद करीबी हो जाएगा।

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