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रामविलास पासवान की पार्टी दो टुकड़ो में बटी, आयोग ने चुनाव चिह्न और नाम भी बदले

रामविलास पासवान की पार्टी दो टुकड़ो में बटी, आयोग ने चुनाव चिह्न और नाम भी बदले
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दलित राजनीति के बड़े चेहरे रहे रामविलास पासवान की विरासत उनके निधन के एक साल के बाद ही बंट गई है। चुनाव आयोग ने लोकजनशक्ति पार्टी के दोनों धड़ों को अलग-अलग पार्टी के तौर पर मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही अब पुराना नाम और चुनाव चिह्न भी खत्म कर दिया है।

अब चिराग पासवान की लीडरशिप वाले धड़े का नाम लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) होगा। इस दल को हेलिकॉप्टर चुनाव चिह्न आवंटित दिया गया है। इसके अलावा उनके चाचा और रामविलास पासवान के सगे भाई पशुपति कुमार पारस की पार्टी का नाम राष्ट्रीय लोकजनशक्ति पार्टी होगा। इस दल को सिलाई मशीन चुनाव चिह्न दिया गया है। इससे पहले लोजपा का चुनाव चिन्ह बंगला हुआ करता था।

केंद्रीय चुनाव आयोग ने शनिवार को चिराग पासवान और पशुपति पारस के नेतृत्व वाले लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के दो गुटों के बीच चल रहे "विवाद" के सुलझने तक लोजपा के चुनाव चिन्ह को फ्रीज करने का फैसला किया था. चुनाव आयोग के सूत्रों ने पहले कहा था कि "निर्णय 4 अक्टूबर तक लिया जाएगा।

बता दें कि रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी में अंदरूनी कलह शुरू हो गई थी। 16 जून को चिराग पासवान की गैर-मौजूदगी में पांचों सांसदों ने संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई और हाजीपुर सांसद पशुपति पारस को संसदीय बोर्ड का नया अध्यक्ष चुन लिया था। इसकी सूचना लोकसभा स्पीकर को भी दी गई, अगले दिन लोकसभा सचिवालय से उन्हें मान्यता भी मिल गई थी।

17वीं लोकसभा में लोजपा के कुल छह सांसद हैं, जिनमें पांच सांसदों पशुपति कुमार पारस, चौधरी महबूब अली कैसर, वीणा देवी, चंदन सिंह और प्रिंस राज ने चिराग पासवान को पार्टी के सभी पदों से हटा दिया था। इसके बाद उन्होंने चिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस को अपना नेता चुन लिया था।


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