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मध्यप्रदेश उपचुनाव आज, आखिरी क्षणों तक संघर्ष

चारो निर्वाचित प्रतिनिधियों की असमय मौत के चलते ये उपचुनाव हो रहे हैं।इनमें एक लोकसभा और एक विधानसभा सीट भाजपा के पास थी।जबकि दो विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी जीते थे।

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अरुण दीक्षित

भोपाल।प्रदेश के एक लोकसभा और तीन विधानसभा क्षेत्रों के लिए शनिवार को मतदान होगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बने इन उपचुनावों में भाजपा ने जीत के लिए हर संभव उपाय किया है।वहीं कांग्रेस ने भी अपनी ओर से पूरी कोशिश की है।

मतदान की पूर्व संध्या पर शराब और पैसे बांटने का पारंपरिक काम पूरी शिद्दत से किया गया है।मतदाताओं को धमकाने और बूथ लूटने की तैयारी करने की शिकायतें भी चुनाव आयोग तक पहुंची हैं।प्रचार का समय खत्म होने के बाद चुनाव प्रचार करने का आरोप भाजपा नेताओं पर लगा है। भाजपा सांसद गणेश सिंह के खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया है। मतदान के एक दिन पहले जहाँ कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ केदारनाथ की शरण में थे वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भोपाल में बैठ कर चुनावी क्षेत्रों का समन्वय परखा।

उल्लेखनीय है कि चारो निर्वाचित प्रतिनिधियों की असमय मौत के चलते ये उपचुनाव हो रहे हैं।इनमें एक लोकसभा और एक विधानसभा सीट भाजपा के पास थी।जबकि दो विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी जीते थे।

कांग्रेस विधायकों के पाला बदलने की बजह से मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह ने इन उपचुनावों को आम चुनाव की तरह लड़ा है।उन्होंने पार्टी और सरकार दोनों को ही चुनाव में झोंक दिया था।चुनाव प्रचार का समय खत्म होने के बाद भी वह लगे रहे हैं।

उधर कांग्रेस पहले दिन से अंतर्कलह से जूझ रही है। केंद्रीय नेतृत्व को लेकर चल रहे असमंजस और स्थानीय नेताओं की गुटबाजी ने हालात और खराब किये हैं।चूंकि मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में ही है इसलिये वह टक्कर दे रही है।

कांग्रेस भाजपा सरकार के खिलाफ पनप रहे देशव्यापी असंतोष के सहारे लड़ी है।जबकि भाजपा ने अपनी कमियों पर पर्दा डालने का हरसंभव उपाय किया है। यह एक कड़बी सच्चाई है कि भाजपा को दो विधानसभा क्षेत्रों के लिए कांग्रेस और समाजवादी पार्टी से प्रत्याशी उधार लेने पड़े हैं।वंशवाद की नई परिभाषा ने भी भाजपा के भीतर असंतोष बढ़ाया है। इसलिये यह माना जा रहा है कि कितनी भी खराब हालत में क्यों न हो, कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी है।

शनिवार को मतदान के बाद परिणाम के लिए दो दिन इंतजार करना होगा।दो नवम्बर को नतीजे आएंगे।यह नतीजे यह तय करेंगे कि शिवराज की कुर्सी के पाए हिलेंगे या फिर और मजबूत होंगे।लेकिन कमलनाथ की स्थिति पर ज्यादा फर्क पड़ने वाला नही है।क्योंकि उनका तो एक और विधायक भाजपा के पाले में चला गया है।अब एक और उपचुनाव होगा। फिलहाल तो चारो क्षेत्रों में लक्ष्मी जी सुरा के साथ घूम रही हैं।इन्ही के जरिये वे उंगलियां मशीनों के बटन तक पहुंचेगी जो चुनाव परिणाम तय करेंगी।

अरुण दीक्षित
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