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"सनातनियों की सबसे बड़ी विरासत है माता हिंगलाज शक्तिपीठ" सरकार देशभर के सनातनियों के लिए करें विशेष व्यवस्था ~ सिमरन गुप्ता

Gaurav Maruti Sharma
2 Jun 2025 6:56 PM IST
सनातनियों की सबसे बड़ी विरासत है माता हिंगलाज शक्तिपीठ सरकार देशभर के सनातनियों के लिए करें विशेष व्यवस्था ~ सिमरन गुप्ता
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हिंगलाज माता शक्तिपीठ, जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित है, सनातन धर्म का एक पवित्र स्थल है। हिन्दू शक्ति दल ने सरकार से इसके लिए करतारपुर कॉरिडोर जैसी व्यवस्था की मांग की है, ताकि श्रद्धालु धार्मिक अधिकारों के तहत दर्शन कर सकें और सांस्कृतिक विरासत से जुड़ सकें।

भारतवर्ष की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं में शक्ति उपासना का एक अत्यंत प्राचीन और गहरा आधार रहा है। इसी परंपरा का हिस्सा हैं 51 शक्तिपीठ, जो देवी सती के शरीर के अंगों के पृथ्वी पर गिरने से जुड़ा हैं। इन शक्तिपीठों में हिंगलाज माता शक्तिपीठ का विशेष स्थान है। यह शक्तिपीठ वर्तमान में पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में, मकरान पर्वत श्रृंखला के हिंगोल राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में स्थित है। हिंगलाज देवी मंदिर के बारे में मान्यता यह है कि यह वही पवित्र स्थल है जहाँ देवी सती का ब्रह्मरंध्र (मस्तिष्क का ऊपरी भाग) गिरा था। इस कारण यह आध्यात्मिक नजरिए से अत्यंत महत्वपूर्ण और शक्तिशाली स्थान माना जाता है।


वर्तमान समय में वहां तक पहुँचना भारतीय सनातनी श्रद्धालुओं के लिए लगभग असंभव सा हो गया है।

वर्तमान में यह विषय केवल धार्मिक आस्था का नहीं, बल्कि सांस्कृतिक उत्तराधिकार, धार्मिक अधिकार और कूटनीतिक नीति निर्माण का भी है। हाल ही में हिन्दू शक्ति दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सिमरन गुप्ता ने (जो एक सैनिक परिवार से संबंध भी रखते है)। उन्होंने देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और रक्षामंत्री को एक पत्र लिखकर यह मांग की है कि जिस प्रकार भारत सरकार ने करतारपुर साहिब कॉरिडोर जाने वाले सिख श्रद्धालुओं को ऐतिहासिक गुरुद्वारा दर्शन की सुविधा दी है। उसी तरह हिंगलाज माता के शक्तिपीठ के लिए भी एक व्यवस्थित और सुरक्षित धार्मिक कॉरिडोर अथवा विशेष वीजा की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।

यह मांग उन्होंने किसी विशेष धार्मिक समूह का पक्ष लेने के प्रयास से नहीं बल्कि भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त देश के प्रत्येक नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता और समानता के सिद्धांत पर किया है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार पाकिस्तान के लोग भारत से वीजा लेकर देश में स्थित हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, निज़ामुद्दीन औलिया या अन्य दरगाहों पर जाते हैं। वैसे ही सनातन धर्म के अनुयायियों को भी अपनी आस्था के केन्द्रों तक पहुँचने का अधिकार मिलना चाहिए।



सिमरन गुप्ता कहते है कि हिंगलाज माता शक्तिपीठ की ऐतिहासिकता केवल धार्मिक कथा तक सीमित नहीं है। यह प्राचीन तीर्थ स्थल भारतीय उपमहाद्वीप की साझा सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी है। पाकिस्तान में रहने वाले हिन्दू समुदाय के लोगो के अलावा पाकिस्तान के बलूच और सिंधी समुदाय के लोग भी इस मंदिर को 'नानी का मंदिर' कहकर सम्मान देते हैं, जो यह सिद्ध करता है कि यह स्थल बहुसांस्कृतिक श्रद्धा का केन्द्र है।

उन्होंने कहा कि क्या अब यह समय नहीं आ गया है कि भारत सरकार इस विषय को पाकिस्तान के साथ वार्ता करके इस विषय को एक सांस्कृतिक पहल के रूप में उठाए? क्या यह संभव नहीं कि जिस तरह करतारपुर कॉरिडोर धार्मिक और कूटनीतिक संतुलन का उदाहरण बना है। उसी प्रकार हिंगलाज माता कॉरिडोर भी भारत-पाक के बीच सांस्कृतिक पुल का उदाहरण बन सके?

सिमरन गुप्ता कहते हैं कि हम देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और रक्षामंत्री से इस विषय पर नीति-निर्माताओं, धार्मिक संस्थानों और नागरिक समाज को मिलाकर संवेदनशीलता, रणनीतिक दूरदर्शिता और धार्मिक समानता के आधार पर विचार करना चाहिए। यह केवल एक मंदिर तक पहुँचने की मांग नहीं है — यह उस सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत से पुनः जुड़ने का प्रयास है जो विभाजन के समय कृत्रिम रूप से सनातन धर्म में आस्था रखने वालों से छीन छीन लिया गया है।

सिमरन गुप्ता कहते हैं कि यदि यह पहल आगे बढ़ती है, तो यह न केवल करोड़ों श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान होगा। बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र की धार्मिक समावेशिता और कूटनीतिक संतुलन का एक ऐतिहासिक उदाहरण बन सकती है।

सिमरन गुप्ता जोर देकर कहते हैं कि "श्री हिंगलाज माता की यात्रा एक आस्था की यात्रा है, और आस्था, जब अधिकार बन जाए, तो राष्ट्र की आत्मा भी जागृत होती है।"

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