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ज्ञानवापी मस्जिद पर मौलाना शहाबदुद्दीन के बिगड़े बोल, दी ये चेतावनी- यदि दूसरी मस्जिद पर हमला हुआ तो ...

सुजीत गुप्ता
13 May 2022 1:03 PM GMT
ज्ञानवापी मस्जिद पर मौलाना शहाबदुद्दीन के बिगड़े बोल, दी ये चेतावनी- यदि दूसरी मस्जिद पर हमला हुआ तो ...
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ज्ञानवापी परिसर की कमीशन कार्यवाही मामले में कोर्ट ने सख्त रूख दिखाया है। एडवोकेट कमिश्नर बदलने की मांग को खारिज करते हुए कमीशन कार्यवाही पूरी कर 17 मई तक रिपोर्ट सुनवाई के लिए न्यायालय के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया है। समस्त बिंदुओं को स्पष्ट करते हुए दिशा-निर्देश तो दिए ही हैैं साफ शब्दों में कहा है कि यदि किसी भी स्थान पर अवरोध उत्पन्न किया जाता है, जैसे कहीं पर ताला आदि बंद कर दिया गया है तो जिला प्रशासन को पूरा अधिकार होगा कि ताला खुलवा कर या तोड़वा कर कमीशन की कार्यवाही करवाएं।

ज्ञानवापी मस्जिद का मामला तूल पकड़ता जा रह है। एक दिन पहले ओवैसी ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर मुस्लिम पक्ष को सुप्रीम कोर्ट जाने की सलाह दे चुके हैं। अब मौलाना शहाबादुद्दीन ने चेतावनी दी है।

बरेलवी धर्मगुरू मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा है कि इस मामले को तूल देकर माहौल बिगाड़ा जा रहा। मौलाना ने ताजमहल के मुद्दे को भी बेवजह का मामला बताया है। सुन्नी बरेलवी मसलक के ऑल इंडिया तंजीम उलमा-ए-इस्लाम के महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने अपना वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया है।

उनके मुताबिक बनारस की ऐतिहासिक ज्ञानवापी मस्जिद मुगल बादशाह औरंगजेब आलमगीर ने बनवाई थी ये सरासर झूठ बात है। बताया गया कि साल 1669 के वक्फ नामा का हवाला दिया जा रहा है, मगर उसके अध्ययन से कहीं यह बात साबित नहीं होती कि मंदिर को तोड़ा गया है। चेतावनी भरे लहजे में मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि दूसरी मस्जिद पर अगर हमला हुआ तो हिन्दुस्तान के मुसलमान खामोश बैठने वाले नहीं है।

मौलाना के मुताबिक केंद्र सरकार ने 1991 में धर्म स्थलों से जुड़े विवादों में यथा स्थिति बनाए रखने के लिए एक कानून पार्लियामेंट में पास किया था। इस कानून में बाबरी मस्जिद मुद्दे को बाहर रखा गया था। बताया गया कि इस कानून में स्पष्ट तौर पर यह कहा गया है कि 1947 से पहले जो धर्म स्थल जिस स्थिति में था उसी स्थिति में रहेगा। मौलाना के मुताबिक चंद फिरकापरस्त ताकतें भारत की गंगा—जमुनी तहजीब और इत्तेहाद को तोड़ने में लगी हुई हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद को बाबरी मस्जिद की तरह राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश हो रही है।

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