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नहीं रहे पंकज परिमल ...

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अद्भुत प्रतिभा के धनी प्रसिद्ध नवगीतकार,ग़ज़लकार,ललित निबन्धकार, दोहाकार अर्थात् छान्दसिक काव्य के सिद्धांत एवं व्यवहार में विशिष्ट शैली के विचित्र व्यक्तित्व पंकज परिमल अपनी अनन्त यात्रा पर प्रयाण कर गये । कल दोपहर लगभग बारह बजे परिमल जी का हृदयगति रुकने से निधन हो गया । स्मृतिशेष परिमल जी के एक छोटे से गीत को प्रस्तुत करते हुए अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।

'गाल लाल हो गये'

उपमा का

अंगराग लगने से

कविता के गाल

लाल हो गए

व्यंजनाएँ

अमरबेल-सी फैलीं

अभिधा का

नीम-गाछ सूख गया

ऐसे कुछ

अर्थ-श्लेष उग आए

उनमें

निहितार्थ कहीं छूट गया

मंचों पर

वाह-वाह बढ़ने से

कविवर के गाल

लाल हो गये ।

('नदी की स्लेट पर' से)

- जगदीश पंकज ( नवगीतकार)

Desk Editor
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