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राहुल गांधी ने भूपेश बघेल से काटी कन्नी?

Shiv Kumar Mishra
17 Nov 2021 11:37 AM GMT
राहुल गांधी ने भूपेश बघेल से काटी कन्नी?
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शराब बिक्री से होने वाले राजस्व का 75 फीसदी हिस्सा कमीशनखोरी में एकला चलो की राह पर भूपेश बघेल!

विजया पाठक, एडिटर

जबसे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कांग्रेस हाईकमान के आदेशों की अवहेलना शुरू की है तबसे कांग्रेस की शीर्ष नेतृत्व भूपेश बघेल से काफी खफा चल रहा है। सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी ने तो उनसे बात करना ही बंद कर दिया है और बताया जा रहा है कि हाईकमान ऐसे मौके की तलाश में है जब भूपेश बघेल को अपने किए बर्ताव का खामियाजा भुगतना पड़े। इसी का असर है कि वर्तमान में मुख्यमंत्री एकला चलो की राह पर चलने को मजबूर हैं। ऐसे कई अवसरों पर देखा है कि सरकार के फैसलों में मंत्रीमंडल का सहयोग नहीं मिला है। सीएम अकेले ही चलते दिखाई दे रहे हैं। कहने को तो वह मुख्यमंत्री हैं और उनके सहयोग के लिए पूरा मंत्रीमंडल हैं लेकिन मंत्रीमंडल के काफी सदस्य सीएम से नाराज चल रहे हैं। सरकार में वह केवल नाम के मंत्री हैं। उन्हें न केवल सीएम का सहयोग मिल रहा है और न ही वह (मंत्री) सीएम का समर्थन कर रहे हैं। सरकार इस समय अराजकता के माहौल से गुजर रही है।

दरअसल जबसे प्रदेश में ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री के फार्मूले पर भूपेश बघेल अपने वादे से मुकरे हैं और पार्टी हाईकमान के आदेश की अवहेलना की है तबसे माहौल और ज्यादा खराब हो गया है। पार्टी हाईकमान ने तो बघेल को दिल्ली बुलाकर इस्तीफा देने का फरमान जारी कर दिया था और किसी अन्य को सीएम बनाने की बात कही गई थी। लेकिन भूपेश बघेल ने इस्तीफा देना तो दूर हाईकमान के आदेश की अवहेलना करते हुए बगावत का रास्ता अपना लिया। सरकार के कई मंत्री और विधायक भूपेश बघेल के इस रवैये से काफी नाराज चल रहे हैं। जिसका ही असर है कि राज्य में कांग्रेस का ग्राफ गिरता जा रहा है।

शराब बिक्री से होने वाले राजस्व का 75 फीसदी हिस्सा कमीशनखोरी में

राज्य में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर भूपेश बघेल सरकार पर पहले से ही लाखों-करोड़ों रुपये के घोटालों और हेराफेरी की चर्चाएं होती रही हैं। कमीशनखोरी चरम पर है। आबकारी विभाग को होने वाली आमदनी को केवल पच्चीहस फीसदी ही सरकार के खजाने में पहुंच रहा है बाकी 75 फीसदी रकम कमीशनखोरों के जेब में जा रही है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि मुख्यमंत्री स्वयं इस कमीशनखोरी से अंजान नहीं हैं। सीएम खुद जानबूझकर इस गोरखधंधे को हवा दे रहे हैं और खुलेआम मची लूट के हिस्सेदार बने हुए हैं। हम जानते हैं कि प्रदेश में शराब की बिक्री से बहुत बड़ी रकम प्राप्त होती है। यह प्रदेश सरकार की कमाई का बड़ा जरिया है। लेकिन यह भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी हुई है। प्रत्येक दिन करोड़ों रूपये के राजस्व का नुकसान राज्य सरकार हो रहा है। वहीं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में भी जमकर भ्रष्‍टाचार किया जा रहा है। बोर्ड के अधिकारी फैक्‍ट्री मालिकों से मोटी रकम लेकर नियमों की धज्जियां उड़वा रहे हैं। रायपुर समेत प्रदेश के अन्‍य शहरों में भी जहां-जहां फैक्ट्रियां हैं सब जगह यही स्थिति है। फैक्ट्रियों से निकलने वाले प्रदूषित जल और धुंए से आमजनों की जिंदगी से खिलवाड़ हो रहा है। सूत्रों का कहना है कि इस भ्रष्‍टाचार के खेल में सीएम हाउस तक भ्रष्‍टाचार का पैसा पहुंचता है।

भूपेश पर भारी पंच ''भूत''

भूपेश सरकार में इस समय पॉच अधिकारियों की तूती बोल रही है। ये पांच अधिकारी हैं- विनोद वर्मा, सौम्या चौरसिया, रूचिर गर्ग, अनिल टुटेजा और आलोक शुक्लां। इन पॉचों का अपने-अपने क्षेत्रों में भ्रष्टा चार और विवादों से गहरा नाता रहा है। विनोद वर्मा की बात करें तो इनका नाम प्रदेश के पूर्वमंत्री राजेश मूणत की फर्जी अश्लील सीडी कांड में सामने आया है। दूसरा नाम आता है सौम्या चौरसिया का। सौम्या चौरसिया वह महिला अधिकारी हैं जिन्हें इस समय सुपर सीएम कहा जा रहा है। मतलब साफ है कि सीएम भूपेश बघेल इस महिला अफसर की सलाह के बगैर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाते हैं। तीसरा नाम आता है रूचिर गर्ग का। रूचिर गर्ग वहीं शख्स हैं जिन्हें कभी अपनी गलत हरकतों की वजह से नवभारत और नई दुनिया प्रेस से निकाला गया था। वर्तमान में यह सीएम के मीडिया सलाहकार बने हुए हैं और गलत सलत सलाह देकर सरकार की और सीएम की छबि धूमिल करने पर तुले हुए हैं। चौथा नाम आता है अनिल टुटेजा का। अनिल टुटेजा छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नान घोटाले के प्रमुख आरोपी रहे हैं। वर्तमान में टुटेजा सीएम बघेल के चहेते अफसरों में शुमार हैं और महत्वपूर्ण विभाग के मुखिया हैं। पांचवा नाम आता है डॉ. आलोक शुक्ला का। राज्य सरकार ने डॉ. शुक्ला को लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव की महती जिम्मेदारी दी है। इसके अलावा चिकित्सा शिक्षा विभाग का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। भूपेश बघेल सरकार के ये पंच ''भूत'' पूरी सरकार के कर्ताधर्ता हैं। इनकी सलाह या मशवरा के बगैर मुख्यमंत्री एक कदम भी आगे नहीं चलते हैं। या कहें तो इनके बगैर सत्ता' में एक पत्ता भी नहीं हिलता है।

बघेल के टारगेट में मंत्री

सरकार में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने सहयोगी मंत्रियों को टारगेट पर रखा है। जिसमें सबसे प्रमुख हैं टीएस सिंहदेव बाबा। क्योंकि टीएस सिंहदेव ही वह कड़ी हैं जिनके कारण भूपेश बघेल की कुर्सी खतरे में नजर आ रही है और ढाई-ढाई साल का फार्मूला सुर्खियां बटोर रहा है। इनके अलावा वह मंत्री या विधायक भी भूपेश बघेल के टारगेट में हैं जो उस समय भूपेश बघेल के साथ दिल्ली नहीं गए थे जब मुख्यमंत्री बदलने की बात चल रही थी। अब बघेल उन मंत्री या विधायकों से चुन-चुनकर बदला ले रहे हैं। उनके क्षेत्र के विकास कार्यों पर अड़ंगा लगाया जा रहा है। उनकी छबि को धूमिल करने की कोशिशें की जा रही है। जनता के बीच उनकी छबि को बदनाम करने की साजिशें रची जा रही हैं।

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