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भूतपूर्व RBI गवर्नर रघुराम राजन का सनसनीखेज खुलासा : अर्थव्यवस्था की उस भयंकर बदहाली की शर्मनाक कहानी

Desk Editor
21 Sep 2021 6:35 AM GMT
भूतपूर्व RBI गवर्नर रघुराम राजन का सनसनीखेज खुलासा : अर्थव्यवस्था की उस भयंकर बदहाली की शर्मनाक कहानी
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तथाकथित महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल के दसवें वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था को इतनी दयनीय स्थिति में पहुंचा दिया था।

बात अगस्त 2013 की है जब देश का 5 लाख किलोग्राम सोना गिरवी रखने की नौबत आ गयी थी। देश की अर्थव्यवस्था की उस भयंकर बदहाली की शर्मनाक कहानी क्यों भूल गए राहुल गांधी और लुटियन मीडिया के चाटुकार कांग्रेसी पत्रकार.?

आजकल राहुल गांधी और लुटियन मीडिया के कांग्रेसी चाटुकार पत्रकार लगातार यह मातम कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को तबाह बरबाद कर डाला है।

अतः आज यह याद दिलाना जरूरी है कि देश की अर्थव्यवस्था की बरबादी तबाही का अर्थ क्या होता है।

वह तारीख थी 29 अगस्त 2013, उस दिन तक कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार अपना 9 वर्ष 3 माह का कार्यकाल पूरा कर चुकी थी। इसी 29 अगस्त 2013 को पूरे देश के मीडिया में प्रमुखता से छपी एक खबर से पूरे देश में सनसनी फैल गयी थी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि बहुत बुरी तरह धूमिल हुई थी।

इस खबर में बहुत स्पष्ट शब्दों में यह उल्लेख किया गया था कि देश की आर्थिक स्थिति इतनी नाजुक हो चुकी है कि केन्द्र सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने सुझाव दिया है कि देश के स्वर्णकोष से निकाल कर देश का 5 लाख किलोग्राम सोना गिरवी रख दिया जाए।

उल्लेख यह भी कर दूं कि उस समय देश के स्वर्णकोष में 5 लाख 57 हजार किलोग्राम सोना ही था। अर्थात देश के स्वर्णकोष का लगभग 90% सोना गिरवी रख देने की सलाह कोई और नहीं बल्कि तत्कालीन केन्द्र सरकार का वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा दे रहा था। उस समय के बाजार भाव (27,750 प्रति दस ग्राम) के हिसाब से इतने सोने की कीमत 1.38 लाख करोड़ रुपए थी।

तथाकथित महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल के दसवें वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था को इतनी दयनीय स्थिति में पहुंचा दिया था।

मीडिया में छपी उपरोक्त सनसनीखेज खबर के पश्चात देश में उपजे जनाक्रोश जनक्षोभ के दबाव में देश के तत्कालीन वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने सफाई दी थी कि मेरी बात को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया। लेकिन आनंद शर्मा की इस सफाई की धज्जियां अगले 2-3 महीने के घटनाक्रम ने उड़ा दी थीं। देश और दुनिया में हो रही जबरदस्त थू थू के कारण सोना तो गिरवी नहीं रखा गया था ।

लेकिन देश की दयनीय अर्थव्यवस्था पर पर्दा डालने का एक दूसरा चोर दरवाजा मनमोहन सिंह की तत्कालीन यूपीए सरकार ने खोज लिया था। अपने शासनकाल के अन्तिम वर्ष में यूपीए सरकार ने सितम्बर 2013 से दिसम्बर 2013 के मध्य फॉरेन करंसी नॉन रेसिडेंट डिपोजिट" यानी FCNR (B) के माध्यम से लगभग 25 बिलियन डॉलर के कर्ज समेत कुल 32.32 बिलियन डॉलर (2.23 लाख करोड़ रुपयों) का अनापेक्षित कर्ज़ देश के माथे मढ़ दिया था। इस कर्ज का भार मोदी सरकार ने ही ब्याज सहित उतारा है।

उपरोक्त तथ्य से यह भी स्पष्ट होता है कि मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल के अंतिम वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था को इतनी दयनीय और दरिद्र स्थिति में पहुंचा दिया था कि देश का 90% सोना गिरवी रखकर 1.38 लाख करोड़ रुपए का जुगाड़ करने के बावजूद वह स्थिति नहीं सुधरती।

इसीलिए फॉरेन करंसी नॉन रेसिडेंट डिपोजिट" यानी FCNR (B) के माध्यम से यूपीए सरकार ने 2.23 लाख करोड़ रुपयों के कर्ज का जुगाड़ किया था।

अंत में उल्लेख कर दूं कि अगस्त 2013 में देश का जो स्वर्ण भंडार 557 टन था उसमें मोदी सरकार ने 148 टन की वृद्धि की है। 30 जून 2021 को देश का स्वर्ण भंडार 705 टन हो चुका था।



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