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सपा-RLD गठबंधन में क्या हुआ खेला, RLD प्रदेश अध्यक्ष का 7 पेज के लेटर में सात सवाल, कौन देगा जवाब?

सुजीत गुप्ता
19 March 2022 2:31 PM GMT
सपा-RLD गठबंधन में क्या हुआ खेला, RLD प्रदेश अध्यक्ष का 7 पेज के लेटर में सात सवाल, कौन देगा जवाब?
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मसूद अहमद ने 7 पेज का ओपन लेटर लिखकर कई सनसनीखेज आरोप लगाए

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी गठबंधन की हार के बाद राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) में भी बड़ा तूफान मच गया है। रालोद के प्रदेश अध्यक्ष मसूद अहमद ने पार्टी छोड़ दी है। मसूद ने रालोद प्रमुख जयंत चौधरी को लेटर लिखकर यूपी चुनाव में टिकट बेचे जाने से लेकर दलितों और मुसलमानों की उपेक्षा करने के भी आरोप लगाए हैं। उन्होंने 7 पेज के लेटर में जयंत चौधरी और अखिलेश यादव पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। मसूद ने अखिलेश से गठबंधन तोड़ने की भी सलाह दी है।

सपा-रालोद गठबंधन में थी दरार

मसूद ने जो बातें लेटर में लिखी हैं उससे जाहिर होता है कि चुनाव के बीच गठबंधन साथियों में दरार थी। कम सीटें मिलने की वजह से जयंत को अकेले भी चुनाव में उतरने की सलाह पार्टी ने दी थी। मसूद ने लिखा, ''12 जनवरी 2022 को मैंने आपके आदेश पर पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हुए मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार अखिलेश जी से बातचीत की। इसमें अखिलेश जी ने गठबंधन के सभी घटकों से सीटों की चर्चा करने से इनकार कर दिया। इसकी सूचना मैंने आपको दी। इस अपमान के चलते मेरे और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने आपसे चुनाव में अकेले उतरने का आह्वान किया, लेकिन आखिरी फैसला आपके ऊपर छोड़ दिया। आपके द्वारा कई दौर की वार्ता के बाद पार्टी को आश्वस्त किया कि हमें 36 सीटों पर चुनाव लड़ना है, जिसमें पूरब की 3 सीटें, 1 सीट लखीमपुर, 1-1 सीट बुंदेलखंड और प्रयागराज मंडल की भी होंगी। आपने यह भी आश्वस्त किया कि कुछ सीटें हम एक दूसरे के सिंबल पर भी लड़ेंगे, जिस क्रम में 10 समाजवादी नेता रालोद के निशान पर लड़ाए गए जबकि सपा ने रालोद के एक भी नेता को अपने निशान पर नहीं लड़ाया।''

ये है सात पेज का लेटर

टिकट बेचने का लगाया आरोप

मसूद ने लिखा है चुनाव शुरू होते ही बाहरी लोगों को टिकट दिया जाने लगा। पार्टी के प्रत्याशियों से दिल्ली कार्यालय में बैठे लोग करोड़ों की मांग करने लगे। उन्होंने कहा है कि जयंत चौधरी को इसकी सूचना दी गई तो उन्होंने भी इसे पार्टी हित में बताया। मसूद लिखते हैं, ''दिन में 2 बजे पार्टी में आए गजराज सिंह को उसी दिन 4 बजे हापुड़ विधानसभा सीट से टिकट दे दिया गया, जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट गया। हापुड़ विधानसभा में 8 करोड़ रुपए लेकर टिकेट बेचे जाने की बात से पार्टी कार्यकर्ताओं में रोष उत्पन्न हुआ, जिसकी मैंने आपको सूचना दी थी।''

जाटों में गया अखिलेश के सामने कमजोर पड़ने का संदेश

मसूद ने माठ और सिवालखास सीट पर सपा और रालोद में हुए विवाद का भी जिक्र किया है। उन्होंने लिखा, ''माठ पर हमने भी उम्मीदवार उतारा। लेकिन संजय लाठर ने आपसे मुलाकात की और तत्काल आपने माठ पर दावेदारी वापस ले ली। इससे जाट भाइयों में यह संदेश गया कि आप अखिलेश के सामने कमजोर पड़ रहे हैं और सरेंडर कर रहे हैं। अपनी गृह सीट बेच दिए जाने पर जाट मत तत्काल आधे हो गए। मेरे द्वारा आपको लगातार ये बताया गया कि जाट कौम अत्यंत संवेदनशील है और उनमें यह संदेश जा रहा है कि अखिलेश यापको और पार्टी को अपमानित कर रहे हैं। लेकिन धन संकलन के आगे पार्टी बेच दी गई और नतीजा यह कि जाट मत नाराज होकर 2/3 से अधिक बीजेपी में चले गए।''

'राजभर की ओछी भाषा से नुकसान, शिवपाल के अपमान से गलत संदेश'

मसूद ने लेटर में कहा है कि उन्होंने जयंत चौधरी और अखिलेश यादव को बताया था कि ओम प्रकाश राजभर द्वारा ओछी भाषा का प्रयोग चुनाव के ध्रुवीकरण का कारण बन रहा है। लेकिन उन्होंने कोई सुध नहीं ली। शिवपाल का जिक्र करते हुए उन्होंने लिखा, ''शिवपाल जी को मन भर के अपमानति किया गया। इससे अखिलेश जी के घमंडी होने का संदेश गया जिससे बदलाव के इच्छुक उदारवादी मत हमसे छिटक गए।'' अपना दल कमेरावादी को लेकर मसूद ने कहा है कि गठबंधन के घटकों को इतना अपमानित किया गया कि वह चुनाव में सीटें वापस करने की घोषणा करने लगे। कृष्णा पटेल जी और उनकी पार्टी को खुलकर अपमानति किया गया, जिसका नतीजा यह हुआ कि पटेल वोट गठबंधन से छिटक गया।'' उन्होंने यह भी कहा कि चंद्रशेखर रावण को अपमानित करने से दलित वोट नाराज होकर बीजेपी में चला गया।

कब तक मजबूरी में वोट देगा मुसलमान?

रालोद के प्रदेश अध्यक्ष ने लेटर में कहा है कि इमरान मसूद जैसे नेताओं को अपमानित कर आप (अखिलेश जी) अपनी छवि मुसलमानों में धूमिल कर रहे हैं। मुसलमान और अन्य वर्ग कब तक मजबूरी में हमें वोट देगा। जनता के बीच रहना ही मुलायम सिंह की कुंजी रही है, सिर्फ चुनाव के वक्त निकलना भी जनता को नागवार गुजरता है।''

पूछे कई सवाल

टिकट पैसे लेकर क्यों बेचे गए? गठबंधन की सीटों का ऐलान समय रहते क्यों नहीं किया गया? टिकट भी आखिरी समय पर क्यों बांटे गए? रालोद, अपना दल, आजाद समाज पार्टी और महान दल को क्यों अपमानित किया गया? आप दोनों ने मुस्लिम और दलित मुद्दों पर क्यों चुप्पी साधी? आप दोनों द्वारा मनमाने तरीके से टिकट क्यों बाटें गए? रालोद के निशान पर 10 समाजवादी नेता चुनाव लड़े पर समाजवादी निशान पर एक भी रालोद नेता नहीं उतारा गया, जबकि आपके द्वारा टीवी चैनलों पर इसकी घोषणा की गई थी। आपने स्वंय घोषणा की थी कि हम 403 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, लेकिन रालोद ने ना तो पश्चिम के बाहर चुनाव लड़ा ना ही आपकी तस्वीर या पार्टी का झंडा पूरब में दिखाई पड़ा। सपा द्वारा पार्टी को अपमानित किया गया और वाराणसी में जो कुछ हुआ वो भी निंदनीय रहा। ऐसा क्यों? मसूद ने इन 7 सवालों के जवाब अखिलेश और जयंत से 21 मार्च तक मांगा है। उन्होंने लेटर में कहा है कि यदि इन सवालों के जवाब नहीं दिए जाते हैं तो इसे उनका प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा समझा जाए।

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