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गांधीजी के संबंध में भ्रामक दुष्प्रचार प्रचार रोकने के लिए उसके पीछे की सत्यता खोजकर समाज के समक्ष रखनी चाहिए

सुजीत गुप्ता
13 Dec 2021 7:11 AM GMT
गांधीजी के संबंध में भ्रामक दुष्प्रचार प्रचार रोकने के लिए उसके पीछे की सत्यता खोजकर समाज के समक्ष रखनी चाहिए
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महात्मा गांधीजी के संबंध में भ्रामक दुष्प्रचार प्रचार के लिए उसके पीछे की सत्यता खोजकर समाज के समक्ष रखनी चाहिए

वर्धा। महात्मा गांधीजी के संबंध में भ्रामक अपप्रचार रोकने के लिए उसके पीछे की सत्यता खोजकरमहात्मा गांधीजी के संबंध में भ्रामक अपप्रचार रोकने के लिए उसके पीछे की सत्यता खोजकर समाज के समक्ष रखनी चाहिए। समाज के समक्ष रखनी चाहिए। यह बात युवा गांधी विचारक संकेत मुनोत, (पुणे) ने कही। वर्धा जिला सर्वोदय मंडल व मित्र मंडली के द्वारा किसान अधिकार अभियान वर्धा कार्यालय में पुणा के युवा गांधी विचारक संकेत मुनोत के साथ स्थानिक गांधीजनो का मुक्त संवाद का कार्यक्रम हुआ.

हाल के दिनों में संकेत मुनोत महाराष्ट्र में गांधी को जानें यह बहुचर्चित उपक्रम सोशल मीडिया में चलाने के लिए प्रसिध्द हुए है.महाराष्ट्र मे इस उपक्रम के माध्यम से हजारों युवाओं ने अपने गांधीजी से संबंधीत तथाकथित गलत मतों में बदलाव लाया है. संकेत मुनोत खुद इसी प्रक्रिया मे से गांधी विचार की ओर आकर्षित हुए हैं.अब वह पुरी तरह गांधी विचार के अध्यापक, लेखक व वाहक हुए है.

इस दौरे मे संकेत मुनोत विदर्भ के साथियोंसे मिलने आए थे. इसी वजह से वर्धा में उनसे कुछेक नयी पीढी के गांधीजन साथीयों से मुक्त चिंतन बैठक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मुक्त संवाद मे निम्न महत्वपूर्ण मुद्दोपर सहमति बनी.

आज पुरे देशभरमें गांधीजी को कोई भी बेरोकटोक मनगढंत बेतुकी बातें कहते रहते है. गांधीजी कि बदनामी करने वालो मेंं अन्य धाराओं के साथ मुख्यत: राईटीस्ट विचारधारा के लोगों की भागिदारी बहुत ज्यादा है. राईटिस्ट लोग योजनापुर्वक झुटी व बनावटी बातें समाज में फैलाने में लगे रहते है. सच को जांचने की भी जरुरत उन्हें नहीं लगती.

जिन बातों का गांधीजी ने अपने जीवन मे विरोध किया उन बातों की जिम्मेदारी भी गांधीजी के नाम पर लादने की कोशिश हो रही है. नये युवा पीढ़ी के सामने झुटे भ्रमो के माध्यम से चरित्रहनन का कार्यक्रम खुले आम चल रहा है. इससे देशभरमें सत्य अहिंसा, सर्वधर्म समभाव, समता, न्याय के विरोध मे वातावरण निर्माण हो रहा है. सच और झुठ , हिंसा अहिंसा के बीच की दूरी खतम करने का प्रयास किया जा रहा है.

गांधीजी व उनके समकालिक महामानवों में वैचारिक मतभेदों का विद्रूपीकरण करके समाज में रखा जा रहा है. इन भ्रांतियों को कमजोर करने के लिए हमे वर्तमान सोशल मीडिया का योग्य उपभोग करते हुए सच को समाज के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए. हमे सच को , वास्तविकता को समाज में रखते हुए सामाजिक एकत्व मे दरार न आए और सामाजिक सरोकार को बना रहें इसकी कोशिश करनी चाहिए.

वास्तविकता व विपर्यास में फरक करने वाली बातें, निर्भीक निष्पक्ष जांच पड़ताल कर सतत समाज में रखनी चाहिए. जनविरोधी, भेदनिती करने के पिछे की सुप्त सुक्ष्म सत्ताकांक्षी भूमिकाओ का समय समय पर पर्दाफाश करना चाहिए. कुलमिलाकर किसी भी महामानव का भक्त या अंध अनुयाई होना हमें अभिप्रेत नहीं है. लेकिन किसी भी प्रकार से योजनापुर्वक महामानव के संबंधित अप प्रचार को रोकना , उसका योग्य ज़बाब देना हमारा कर्तव्यं है.

हमे हमेशा सत्य को समाज के समक्ष रखने कि कोशिश करते रहना चाहिए. लोगो को सच की जानकारी होने के बाद , कुछ ना कुछ बदलाव तो जरुर होता है. लोग सच को जानने के बाद अपने पुराने गलत मतों को त्यागने का काम भी करते है, यह भी हमारा अनुभव हैं. इस तरह सर्वसमावेशी चर्चा हुई. शुरू मे किसान अधिकार अभियान के मुख्य प्रेरक अविनाश काकडे ने युवा गांधी विचारक संकेत मुनोत का परिचय कराकर दिया व बैठक की भुमिका रख्खी. संकेत मुनोत ने शुरु मे अपनी संक्षिप्त बात रखी व मुक्त चिंतन के लिए सबको मौका दिया. सर्वोदय मंडल के सचिव कन्हैय्या छांगाणी ने उपस्थित सबका स्वागत किया. प्रो प्रविण काटकर ने अंत में आभार प्रकट किया.

मुक्त चिंतन बैठक मे अविनाश काकडे, अमित त्यागी, किरण ठाकरे, प्रा प्रविण काटकर, पराग खंगार, जालंधरभाई, मनोज तायडे, कन्हैय्या छांगाणी, पंकज इंगोले, गोपाल दुधाने, सुदाम पवार, प्रो नूतन मालवी, मालतीताई देशमुख, सुयश तोशनीवाल, अद्वैत देशपांडे, पंडित चन्नोळे, श्रीकांत त्रीपाठी, दिनेश काकडे, प्रफुल कुकडे, चंद्रकांत ढगे, अनंतराव ठाकरे, ज्ञानेश्वरभाऊ ढगे, विजय चरडे, मयुर राऊत, मंगेश शेंडे इत्यादि साथियो की सहभागिता थी।

सुजीत गुप्ता

सुजीत गुप्ता

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