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Success Story: राजस्थानी इंजीनियर ने छोड़ दी अपनी नौकरी और अब ऊंटनी के दूध से कम आ रहे हैं लाखों

Smriti Nigam
19 Jun 2023 9:08 PM IST
Success Story: राजस्थानी इंजीनियर ने छोड़ दी अपनी नौकरी और अब ऊंटनी के दूध से कम आ रहे हैं लाखों
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Business Idea: आपको बता दें कि यह काम आप ₹1000000 से भी कम में शुरू कर सकते हैं जिसमें ऊंट के दूध का पाउडर, चॉकलेट और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट शामिल है।

Business Idea: आपको बता दें कि यह काम आप ₹1000000 से भी कम में शुरू कर सकते हैं जिसमें ऊंट के दूध का पाउडर, चॉकलेट और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट शामिल है।

Camel Milk Market: आज के समय में शायद ही कोई ऐसा होगा जिसमें ऊंट की सवारी ना की हो लेकिन अब ऊंट की सवारी पुरानी हो गई है।अब ऊंट के दूध का फैशन आ गया है। राजस्थान के एक शख्स ने 2016 में ₹1000000 से भी कम पूंजी लगाकर बूटस्ट्रैप्ड बिजनेस के रूप में स्थापित फूड कंपनी जिसमे वर्तमान में ऊंटनी के दूध से बने प्रॉडक्ट की एक किस्म शामिल है, जिसमें ऊंट के दूध का पाउडर, चॉकलेट और एक कॉस्मेटिक लाइन शामिल है. यह दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, बठिंडा और चंडीगढ़ के चैनलों के साथ-साथ अमेरिका, मलेशिया और फिलीपींस के थोक विक्रेताओं को ऊंट के दूध के पाउडर की सप्लाई करता है.

आपको बता दें कि यह कंपनी गुजरात और राजस्थान में ऊंट प्रजनको साथ मिलकर काम करती है जिससे उन्हें रेवेन्यू मिलता है और साथ ही जानवरों की देखभाल करने और उनकी आबादी को संरक्षित भी आसानी से किया जा सकता है। संस्थापकों के प्रयास से अब तक 200 से अधिक ऊंट इसमें शामिल किए गए हैं। ऊंट का दूध पहले से ही दुनिया में कहीं और बेचा जा रहा था। राजस्थान के मूल निवासी हितेश ने कारण बताया कि घूमने वाले ऊंट चरवाहों के लिए रेवेन्यू का साधन डिवेलप करना फायदेमंद हो सकता है।

हाल ही में ऊंटनी के दूध और उसके प्रोडक्ट ने स्वास्थ्य विकल्प में काफी पापुलैरिटी हासिल की है। इसके अलावा यहां मेडिकल लाभ भी देता है और शुगर ऑफिस जैसी पुरानी बीमारियों के इलाज के रूप में भी यह काफी कारगर है साबित हुआ है।यह आमतौर पर इम्यूनिटी सिस्टम को भी बढ़ाता है।इसके अलावा ऊंट का दूध उन लोगों के लिए भी लाभदायक है जो लैक्टोज इनटोलरेंट है और जो अपनी फिटनेस के प्रति जागरूक हैं उनके लिए भी यह किसी वरदान से कम नहीं है।इस में वसा की मात्रा भी कम होती है . यह देखते हुए कि यह एक खराब होने वाला प्रॉडक्ट है, इसे कुछ जरूरतों के मुताबिक पैक किया जाता है जो फ्रॉजन फॉर्म हुए रूप में 60 दिनों तक और पाउडर के रूप में नौ महीने तक इसकी शेल्फ लाइफ को बनाए रखता है.

हितेश राठी का जन्म एक साधारण मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था उनकी मां एक हाउसवाइफ थी जबकि उनके पिता एलआईसी के लिए एक एजेंट के रूप में काम करते थे। वह बीकानेर राजस्थान में पढ़ाई के बाद इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की पढ़ाई के लिए कोटा गए हुए थे।चंडीगढ़ में पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज उन्हें सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री दे दी।

मूल रूप से पुंज लॉयड इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी और फिर पीई एनालिटिक्स, गुरुग्राम के लिए काम करने के बाद, वह 2015 में म्यांमार में एक कंस्ट्रक्शन मैनेजर के रूप में काम करने के लिए चले गए. राठी जब म्यांमार में थे तो उन्हें लगा कि वह जिंदगी भर किसी और के लिए काम नहीं कर सकते हैं अब उन्हें कुछ अपने लिए करना होगा उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और मार्केट रिसर्च करने लगे राठी ने अपने एक इंटरव्यू में बताया कि उनके माता-पिता इन सब बातों के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थे। शुरुआती ऑर्डर फोन और उनकी वेबसाइट पर लिए गए थे।ऊंट के दूध के प्रोडक्ट अंततः सभी प्रमुख ई-कॉमर्स साइट पर आ गए और आज वह अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, बिग बास्केट,शॉपक्लूज, स्नैपडील और दूधवाला जैसी साइटों पर व्यापक रूप से पाए जा सकते हैं. वे दुनिया भर में अपना माल भेजते हैं.

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