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ताइवान के उच्चाधिकारी पहुंचे "मां दंतेश्वरी हर्बल" कोंडागांव, मिलकर करेंगे काम- एमओयू पर बनी सहमति

Arun Mishra
14 Oct 2021 12:27 PM GMT
ताइवान के उच्चाधिकारी पहुंचे मां दंतेश्वरी हर्बल कोंडागांव, मिलकर करेंगे काम- एमओयू पर बनी सहमति
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काली मिर्च, स्टीविया, सफेद मूसली तथा ऑस्ट्रेलियन टीक की खेती से अतिथि दल हुआ प्रभावित, ताइवान के अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रोत्साहन विभाग तथा मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के बीच एमओयू पर सहमति

ताइवान के "अंतराष्ट्रीय व्यापार प्रोत्साहन विभाग" प्रमुख श्री वेल्बर वांग तथा भारत में उनके सहयोगी ऋषभ कल बुधवार को कोंडागांव के "मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म तथा रिसर्च सेंटर" पहुंचे। उन्होंने वहां पर स्थानीय जनजातीय समुदायों के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय जैविक पद्धति से उगाई जा रही औषधीय पौधों की खेती को स्वयं खेतों पर जाकर देखा समझा। ताइवान तथा छत्तीसगढ़ प्रदेश के बीच परस्पर आयात निर्यात, व्यापार को बढ़ाने की संभावनाओं पर ठोस पहल करने के उद्देश्य ताइवान के अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रोत्साहन विभाग के अधिकारी अपने दल के साथ छत्तीसगढ़ आए हुए थे। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के द्वारा उगाई जा रही सफेद मूसली, स्टीविया, काली मिर्च तथा अन्य दुर्लभ जड़ी बूटियों तथा मसालों की सर्टिफाइड ऑर्गेनिक खेती तथा इनके उत्पादों की गुणवत्ता के बारे में श्री वेल्बर ने काफी कुछ पढ़ सुन रखा था।

उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकर बड़ी हैरानी हुई थी कि पूरे भारत में सबसे पहले, यानी कि आज से 20 साल पहले, औषधीय पौधों की खेती का प्रमाणित जैविक फार्म बस्तर जैसे पिछड़े क्षेत्र में स्थापित हुआ था, इतना ही नहीं उन्होंने यहां के स्थानीय आदिवासी समुदायों के साथ मिलकर पर्यावरण संरक्षण, वृक्षारोपण, जड़ी बूटियों की प्रजातियों को बचाने हेतु, हर्बल की खेती तथा जैविक खेती में जो ठोस कार्य किया है,इसके लिए डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी की जितनी सराहना की जाए कम है।


यहां की काली मिर्च ,स्टीविया एवं सफेद मूसली की गुणवत्ता के बारे में जानकर वह पहले से ही काफी प्रभावित थे, इन सब कारणों से उन्होंने स्वयं कोंडागांव जाकर इस खेती को सीधे खेतों पर ही देखना समझना उचित समझा। उन्होंने कहा कि उनका संस्थान "मां दंतेश्वरी हर्बल समूह" द्वारा उगाए गए जैविक औषधियों मसालों तथा खाद्य संपूरकों के व्यापार को अपने देश को बढ़ावा देने हेतु पूरी मदद करेगा तथा इन जड़ी बूटियों एवं खाद्य पदार्थों के प्रसंस्करण हेतु अपने देश की उन्नत तकनीक भी उपलब्ध कराएगा। इसी तारतम्य में ताइवान के ताइपे में आने वाले दिनों में आयोजित होने वाले विश्व के सबसे बड़े "खाद्य व प्रसंस्करण तकनीक एक्सपो 2021-22" में भी "बस्तर के मां दंतेश्वरी हर्बल समूह" के सदस्यों के दल को सम्मिलित होने हेतु आमंत्रित किया जाएगा।

मां दंतेश्वरी हर्बल समूह की ओर से डाॅ राजाराम त्रिपाठी तथा अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रोत्साहन विभाग ताइवान की ओर से वेल्बर वांग ने परस्पर सहयोग के बिंदुओं पर एक साझा सहमत कार्यक्रम के अमल हेतु परस्पर "एमओयू' पर भी सहमति प्रदान की है।


अतिथि दल का "मां दंतेश्वरी हर्बल समूह" के रायपुर कार्यालय में संस्था के विपणन तथा विधिक प्रमुख अपूर्वा त्रिपाठी के द्वारा स्वागत किया गया। कोंडागांव पधारने पर अतिथि दल को फार्म भ्रमण करवाने का कार्य संस्था के उत्पादन प्रमुख अनुराग त्रिपाठी तथा फार्म प्रभारी जसमती नेताम के द्वारा किया गया। अतिथियों ने विशेष रूप यहां के प्रसिद्ध "इथनो मेडिको हर्बल पार्क" भी देखा। जिसमें की खतरे में तथा दुर्लभ प्रजातियों के रूप में चिन्हित 32 औषधिय पौधों में से 25 औषधिय पौधों को उनके नैसर्गिक वातावरण में संरक्षित तथा प्रवर्धित किया जा रहा है।

tकार्यक्रम के अंत में अतिथियों का दल मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के कार्यालय "हर्बल इस्टेट" परिसर में आयोजित एक सादे सम्मान समारोह में शामिल हुआ, जहां पर उनका सम्मान बस्तर के डोगरा आर्ट के स्मृति चिन्ह प्रदान कर किया गया। अतिथियों को कोंडागांव की विश्व प्रसिद्ध जीरो कैलोरी वाली हर्बल चाय भेंट की गई तथा अतिथियों को यह बताया गया कि कैसे यह अनूठी हर्बल चाय बिना शक्कर के मीठी भी रहती है, और कैसे इसे केवल एक कप रोज पीने से डायबिटीज, हृदय, पेट , एलर्जी, फेफड़े की बीमारी सहित 12 असाध्य रोगों से कारगर तरीके से बचाव किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि हाल में ही इस समूह ने अपनी अनूठी हर्बल चाय समेत लगभग बाईस प्रमाणित जैविक उत्पाद जो कि बस्तर के खेतों में ही उगाए गए हैं और यहीं पर ही तैयार किए गए हैं, इन उत्पादों को बेहद आकर्षक आर्गेनिक पैकिंग में, ऑनलाइन मार्केटिंग के जरिए वैश्विक बाजार में उतारे हैं जिन्हें अच्छी सराहना मिल रही है, बस्तर के किसानों के यह सभी उत्पाद अब मां दंतेश्वरी हर्बल की वेबसाइट पर तथा अमेजन एवं फ्लिपकार्ट पर भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं।


कार्यक्रम के अंत में संस्थान के संस्थापक डॉ राजाराम त्रिपाठी के द्वारा जनजातीय सरोकारों कि दिल्ली से प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका ककसाड़ जिसके कि वे संपादक भी हैं, का नवीनतम अक्टूबर अंक तथा अपनी अंग्रेजी में प्रकाशित कविता संग्रह "यस इट इज बस्तर स्पीकिंग" भी भेंट किया गया। अतिथि दल ने बस्तर तथा छत्तीसगढ़ को अपार संभावनाओं वाला बेहद सुंदर प्रदेश बताते यहां पुनः आने का वादा किया है।


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